गैंग ऑफ वासेपुर 2 और मुक्काबाज़ में अपनी आवाज से बिहार के इस युवा ने लोगों के दिलों में दी दस्तक

Mohit AsthanaMohit Asthana   15 Feb 2018 8:42 AM GMT

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गैंग ऑफ वासेपुर 2 और मुक्काबाज़ में अपनी आवाज से बिहार के इस युवा ने लोगों के दिलों में दी दस्तकदीपक ठाकुर।

बीते दिनों अनुराग कश्यप की फिल्म गैंग ऑफ वासेपुर-2 का 'फ्रस्टियाओ नहीं मूरा' या फिर मुक्काबाज का 'अधूरा मैं' ये गाने लोगों की जुबान पर थे। आपको बता दें इन गानों को अपनी सुरीली आवाज दी है बिहार के जिला मुजफ्फरपुर के आथर गाँव के 24 वर्षीय दीपक ठाकुर ने।

गाँव में भी प्रतिभाओं की कमी नहीं है लेकिन उन प्रतिभाओं को मौका नहीं मिल पाता है। जिसकी वजह से वो खुद को साबित नहीं कर पाते हैं। लेकिन अपनी मेहनत और लगन से दीपक ने खुद की पहचान बनाई है।

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संगीत के प्रति लगाव देख माता-पिता ने भी दिया साथ

दीपक किसी काम के सिलसिले में नई दिल्ली में थे। गाँव कनेक्शन से टेलीफोन द्वारा उनसे सवाल किए गए जिसका उन्होंने बहुत ही दिल से जवाब दिया। जब उनसे संगीत के सफर के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि बचपन से ही उनको संगीत का शौक था। संगीत के प्रति उनकी लगन को देखते हुए किसान पिता पंकज ठाकुर और माता मीरा कुमारी ने भी साथ दिया।

बस फिर क्या था संगीत सीखने के लिए दीपक मुजफ्फरपुर आए और संगीत शिक्षक की तलाश शुरू कर दी। तभी उनको मशहूर संगीत शिक्षक डॉक्टर संजय कुमार 'संजू' के बारे में पता चला और उनकी शरण में जाकर दीपक ने उन्हें अपना गुरू बनाकर संगीत की शिक्षा शुरू की।

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जब एक मौके के इंतजार में खड़े रहे पूरी रात

बतौर दीपक कई बार उन्होंने लोगों के सामने अपनी कला का प्रदर्शन करने की कोशिश की लेकिन उनको मौका नहीं मिला। एक किस्सा याद करते हुए दीपक ने बताया कि अपने गाँव आथर से 42 किलोमीटर दूर समस्तीपुर जिले में एक जागरण देखने के लिए अपने मामा के साथ साइकिल से गए। मेरा भी मन था कि लोग मुझे भी सुने। जागरण में पहुंचकर मैंने एनाउंसर से कहा कि मैं भी गाता हूं तो एनाउंसर ने कहा कि ठीक है तुमको भी मौका दिया जाएगा। लेकिन दीपक रात भर स्टेज के नीचे खड़े रहे लेकिन उनको मौका नहीं मिला।

अलग आवाज की तलाश ने पहुंचा दिया मुंबई

मुजफ्फरपुर से मुंबई तक के सफर के बारे में दीपक ने बताया कि मेरे गुरूजी को उनके मित्रों से पता चला कि संगीत निर्देशक स्नेहा खान वालकर को एक अलग तरह की आवाज की जरूरत थी उस आवाज की तलाश में वो शहर में आई हुईं थी। इससे पहले अन्य शहरों से भी वो आवाज रिकॉर्ड करके लाई थीं। गुरूजी ने कहा दीपक तुम भी उनको अपनी आवाज सुना दो हम हारमोनियम ले कर चल दिये।

उस वक्त मुझे पता भी नहीं था कि वो फिल्मों की म्यूजिक डायरेक्टर हैं। मैंने उनको बिहार का लोक गीत सुनाया उन्होंने उसे रिकॉर्ड किया और मुंबई ले कर चली गईं। उस गाने को निर्देशक अनुराग कश्यप को सुनाया और उनको आवाज पसंद आई। लगभग दो साल बाद वहां से फोन आया और 2012 में मुझे मुंबई बुलाया गया। दीपक ने बताया कि जो गाना वो रिकॉर्ड करके ले गईं थी उसको उन्होंने गैंग ऑफ वासेपुर में डाल दिया था। मुंबई पहुंचने के बाद स्नेहा खान वालकर ने अनुराग कश्यप से मिलाया और गैंग ऑफ वासेपुर-2 के लिए गाना रिकॉर्ड किया गया।

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लंबे समय के बाद एक बार फिर बुलाया गया मुंबई

दीपक ने बताया ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद नौकरी की तलाश में ग्रेटर नोएडा आ गया। कुछ समय बाद 15 नवंबर 2016 को मेरी अनुराग से बात हुई और उन्होंने कहा कि मेरी एक फिल्म आ रही है मुक्केबाज़ उसमें एक गाना रिकॉर्ड करना है। फिल्म में संगीत निर्देशक रचिता अरोड़ा ने मुझे गाना सुनाया और उस गाने को मैंने रिकॉर्ड करके भेजा और वो भी अनुराग कश्यप को पसंद आ गया और इस गाने को मेरे ऊपर फिल्माया गया।

आगे के काम के बारे में दीपक ने बताया कि आने वाले समय में अनुराग कश्यप के साथ एक एलबम बनाना है इसके अलावा एक और फिल्म में बात चल रही है साथ ही एक शॉर्ट फिल्म में भी काम मिला है।

दीपक के गानों को सुनने के लिए आप उनके फेसबुक- Deepak Thakur, इंस्टाग्राम- @ideepakthakur, यूट्यूब- Deepak Thakur, ट्विटर- Deepakthakur767 पर जा सकते हैं।

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