बीदर से देश को सीखना चाहिए पानी बचाना

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बीदर, कर्नाटक (भाषा)। भीषण सूखे का सामना कर रहे कर्नाटक के एक जिले में अधिकारी की बुद्धिमानी के चलते जल संरक्षण प्रयासों की एक ऐसी मिसाल कायम हो गई है, जिससे देश के सूखाग्रस्त अन्य 250 जिले सीख ले सकते हैं।

कर्नाटक के बीदर जिले में पांच दशकों में ऐतिहासिक कुएं और जलाशयों को पहली बार साफ करके और उनमें से गाद निकालकर 10 टीएमसी (2,832 करोड़ लीटर) से अधिक अतिरिक्त पानी एकत्र कर रखने का प्रबंध किया गया है।

‘बीदर मॉडल’ इस मायने से अनोखा है क्योंकि जिला प्रशासन ने राज्य सरकार से बजट पहुंचने का इंतेजार किये बिना, मार्च में खुद से ही काम शुरु कर दिया था और करीब 2.5 करोड़ रुपया खर्च कर 26 लाख घन मीटर गाद हटाया। इतना काम पूरा करने में 100 करोड़ रुपया से कम का खर्च नहीं आता। बीदर में अभी भी बजट का पैसा नहीं पहुंचा है।

जिले ने यह सफलता बीदर के उपायुक्त अनुराग तिवारी की अगुवाई में पाई। उन्होंने ने बताया, “जनभागीदारी के चलते गाद निकालने का यह काम इतने कम पैसे में पूरा हो सका। जब राज्य सरकार की इस योजना के तहत जिला प्रशासन की पहल और चतुराई से जिले में कुल भंडारण क्षमता बढ़कर 20 टीएमसी हो जाएगी।

तिवारी ने बताया, ‘‘मैं यहां भीषण सूखों में से एक से रुबरु हूं। हमने जल संकट से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं। हमने समय पर कई जलाशयों में गाद निकालने का काम शुरु किया। ये कदम जिले को सूखा से मुक्त रखने की दिशा में अहम होंगे और यही टिकाऊ तरीका है।’’ हमने उनसे कहा कि पोषक तत्वों से भरपूर मिट्टी उनके खेतों को मुफ्त में मिलेगी, तो किसान स्वयं तैयार हो गये”। अगले सप्ताह मानसून के पहुंचने तक गाद निकालने का काम लगातार जारी रहेगा।

 

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