बिना बिजली रौशन रहता है ये गाँव

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बिना बिजली रौशन रहता है ये गाँवgaonconnection

कुर्सी भीतरगाँव (कानपुर देहात)। अभी भी प्रदेश में ऐसे सैकड़ों गाँव हैं, जहां तक बिजली नहीं पहुंची है, ऐसे में कानपुर देहात के भीतर गाँव के लोगों ने इससे निपटने का तरीका खोज लिया है, आज वहां ज्यादातर घरों में सोलर पैनल लगे हुए हैं।

कानपुर देहात जिला मुख्यालय से लगभग 45 किलोमीटर दूर उत्तर दिशा में कुर्सी भीतर गाँव है। इस गाँव में आज तक बिजली नहीं पहुंची है। ग्रामीणों ने लगातार कोशिश की पर उनको सफलता नहीं मिली। इस समस्या से निजात पाने के लिए गाँव के लोगों ने आठ हजार से 20 हजार तक के सोलर पैनल लगा रखा है। जिससे उनकी जिन्दगी पहले से आसान हो गयी है। इस गाँव में रहने वाले पवन अवस्थी (25 वर्ष) कहते हैं, “हमारे गाँव में 150 घर हैं, 90 घरों में सौर ऊर्जा पैनल लगे हुए हैं। सौर ऊर्जा पैनल लगाना हमारी मजबूरी थी। क्योंकि मोबाइल चार्ज करने के लिए दूसरे गाँव में जाना पड़ता था, लेकिन मोबाइल पांच से 10 रुपए देने पड़ते थे। इसलिए सोलर पैनल पहली जरूरत समझकर लगवाना पड़ा। अभी 60 घर ऐसे हैं, जिनके घरों में अभी भी सोलर पैनल नहीं लगे हैं।”

राज्य सरकार ने वर्ष 2016-17 के बजट में 1,73,000 गाँवों तक बिजली पहुंचने के लिए 11,900 करोड़ रुपए की योजना बनाई है। सरकार का दावा है कि पिछले साल एक लाख गाँवों और मजरों तक बिजली पहुंचाई गयी है। लेकिन अगर हम गाँवों के हालात देखें तो अभी भी सैकड़ों गाँव हैं जहां पर बिजली नहीं है।

जिनके घर में सोलर पैनल लगा है, उनको दूसरे से कमाई हो जाती है। रसीद खान (38 वर्ष)  बताते हैं, “हमारे घर में सौर ऊर्जा पैनल नहीं है, हमें दूसरे के घर से अपना फ़ोन चार्ज करना पड़ता हैं, तीन रुपए एक बार के देने पड़ते हैं। हमारे पास एक साथ आठ हजार रुपए नहीं हैं, जिससे हम सोलर पैनल खरीद पाएं, लेकिन दूसरों से मदद मिल जाती है।”

गाँव में बिजली ने होने से सबसे ज्यादा परेशानी फसलों की सिंचाई में होती है। ऐसे में 200 बीघे खेतों की सिंचाई डीजल इंजन से होती है। 120 रुपए प्रति घंटा लगता है। अगर धान की फसल की बात करें तो सात से आठ पानी लगाने पड़ते हैं और एक बीघा में तीन से चार घंटा लगता है। लाइट की किल्लत की वजह से खेती करना भी बहुत महंगा हो गया है।

सोलर पैनल से लाइट और मोबाइल ही चार्ज हो पाता है, कई ऐसे भी लोग हैं, जिनको सरकार से लैपटाप मिला था। गाँव की प्रिया शुक्ला (20 वर्ष) बताती हैं, “तीन साल में मेरा लैपटाप सिर्फ चार बार ही चार्ज हुआ है, क्योंकि गाँव में कोई लैपटॉप चार्जिंग पर लगाने नहीं देता। बंद रखा लैपटाप हमारा जल्द ही खराब हो जायेगा, हमें सरकार की योजना का लैपटाप पाकर लाभ तो मिला, पर हम उसका इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं इसलिए वो हमारे लिए बेकार है।”

ऐसा नहीं है कि ग्रामीणों ने बिजली के लिए प्रयास नहीं किया। उन्होंने हजारों चक्कर बिजली विभाग के काटे, अधिकारी निस्तारण का आदेश देते हैं। लेकिन कोई समाधान आज तक नहीं हुआ। जो लोगों के पास अपने टीवी, फ्रिज, कूलर जैसे इलेक्ट्रानिक उपकरण है उनमें धूल मिट्टी लग गयी है और वो खराब होने लगे हैं। जब घर से बाहर रहते थे तो जरूरत की चीजें खरीदी थी। लेकिन अब गाँव आ गये सारा सामान ले आये हैं, वो बेकार ही पड़ा है।

स्वयं वालेंटियर: उमा शर्मा

स्कूल: प्रखर प्रतिभा इंटर कॉलेज

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

 

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