किताब समीक्षा : समय की विसंगतियों से टकराव ‘कंक्रीट के जंगल’

Mithilesh DharMithilesh Dhar   22 Aug 2017 8:33 PM GMT

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किताब समीक्षा : समय की विसंगतियों से टकराव ‘कंक्रीट के जंगल’राकेश धर द्विवेदी की किताब कंक्रीट के जंगल 

'कंक्रीट के जंगल' वैसे तो युवा कवि और कहानीकार राकेश धर द्विवेदी का पहला काव्य संग्रह, लेकिन अपनी पहली ही कृति में कवि ने समाज के लगभग सभी पहलुओं को छूने का प्रयास किया है। पहली ही कविता 'राम वनवास में' के माध्यम से राकेश ने एक नये तरह का प्रयोग का किया है। क्योंकि रावण अब अनेक हैं, पहले तो रावण लंका में था, लेकिन यहां तो रावण गाँवों में, कस्बों में, शहरों में, लोगों के दिलों में हैं। इसलिए राम फिर वनवास में जाने को तैयार हैं, राम आज उदास हैं, राम फिर निराश हैं।

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रावण और भगवान के राम के परिपेक्ष्य में लेखक ने समाज के बदले स्वरूप को दिखाने का प्रसास किया है। इस तरह अन्य कविताएं गौरेया के हक में, कंक्रीट के जंगल, जटायु तुम कहां हो, महिला सशक्तीकरण और समाजवाद जैसे विभिन्न सामाजिक पहलुओं के बदलाओं और दोहरे चरित्र पर युवा कवि ने मजबूत कुठारघात किया है। 68 कविताओं के माध्यम से (दो कविताएं कवर पेज पर भी) सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक विसंगितयों पर अगर कवि की बारीक नजर है तो उनके समाधान की प्रभावी आकुलता भी है। नगरों के अंधाधुंध बाजारीकरण से भी कवि चिंताग्रस्त नजर आता है शहीदों के शौर्य पर कवि फक्र भी करता है।

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कहने को तो ये युवा कवि का पहला काव्य संग्रह है, लेकिन उनकी कविताओं की विविधिता उन्हें अनुभवी और पगा हुआ कवि करार देती हैं। पेज के कवर की कुछ लाइनें मेरी मृत्यु के पश्चात मेरी कविताएं तुम्हारे पास आएंगी, तुम्हें रुलाएंगी, तुम्हें हंसाएंगी कुछ गीत नया सुनाएंगी, पहले ही प्रयास में एसी गहरी अभिव्यक्ति कवि की कल्पनाशीलता और भावुकता दर्शाती है।

कंक्रीट के जंगह शीर्षक कविता में भौतिकता के ताप की अनुभूति कराने में कवि बहुत हद तक सफल रहा है। मेकडावल की बोतल में मनी प्लांट है मुस्कुरा रहा। पास में खड़ा हुआ नीम का पेड़ काटा जा रहा है। यह सीधे तौर पर पेड़-पौधों की सुरक्षा संबंधी मानवीय सोच पर करारा आक्षेप है। उसके दृष्टिबोध पर सवालिया निशान है। मुधर मिलन कैसे होगा रचना श्रृंगार रस का भाव उत्पन्न करता है।

इच्छामृत्यु की अंतव्यर्था पर कविता, ईमानदार, रंगोत्सव, संडे वाले पापा, किसान, आम आदमी जैसी कई ऐसी कविताएं इस संग्रह में हैं जो आपको सोचने को विविश करेंगे। महात्मा गांधी के तीन बंदरों को भी कवि ने अपने अंदाज में निरुपित किया है। कुल मिलकार काव्य संग्रह बेहतरीन और उम्दा बन पड़ा है। हिंद युग्म प्रकाशन द्वारा मुद्रित यह संग्रह सुंदर और चित्ताकर्षक है। राकेश धर द्विवेदी का निर्विवाद रूप से यह पहला प्रयास शानदार प्रयास है। अच्छी कविताओं के लिए राकेश बधाई के पात्र हैं।

किताब : कंक्रीट के जंगल

प्रकाशक : हिंद युग्म

मूल्य : 150 रुपए

          

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