अच्छा चारा, साफ-सफाई और सेहतमंद पशु कराएंगे कमाई

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अच्छा चारा, साफ-सफाई और सेहतमंद पशु कराएंगे कमाईपशु से कमाई के लिए कुछ चीजों का रखें ख्याल।

नई दिल्ली। आमदनी आज के दौर में किसानों और पशुपालकों के लिए सबसे बड़ा मुद्दा है। कहा जाता है जब खेती से आपेक्षित मुनाफा न मिले तो पशुपालन से पैसा कमाना चाहिए। लेकिन उसके लिए जरुरी है हम जो गाय-भैंस या बकरी पाल रहे हैं उन पर पूरा फोकस करें। पशुओं की अच्छी देखभाल करें और उन्हें अच्छा चारा-पानी दें।

हरियाणा के सुल्तान भैंसे के बारे में अक्सर चर्चा होती है। चर्चा उसकी कीमत और हर साल होने वाली लाखों रुपए की कमाई की होती है। इस भैंसे के मालिक कैथल जिले के बूढाखेडा गांव के नरेश बेनिवाल से पूछिए वो अपने बच्चों की तरह इसकी सेवा करते हैं। कहने का मतलब ये है कि पशुओं से कमाना है तो उनकी सेहत का पूरा ख्याल रखें, जो पशु चारे-पानी, दवा और रखरखाव का ध्यान रखते हैं वो दूध, मांस और अंडे हर तरह से कमाई करते हैं। पिछले 40 वर्षों से पशुओं पर काम कर रहे विशेषज्ञ और आयुर्वेट के प्रबंध निदेशक एमजे सक्सेना बताते हैं, “ दुनिया भर में जितने पशु हैं, उनमें से आधे हमारे देश में हैं। दूध उत्पादन में भी भारत अव्वल है, लेकिन जितने पशु हैं उस अनुपात में दूध नहीं होता। जिसकी वजह है, उनका सही से ध्यान न रखा जाना। यही हाल गाय-भैंस के अलावा दूसरे पशुओं का भी है।”

एमजे सक्सेना की बातों पर गौर करना है तो देश के किसी गांव जाकर देखिए। कुछ जागरूक पशु पालकों और डेयरी वालों को छोड़ दिया जाए तो बाकी लोग पशुओं को खास तवज्जो नहीं देते। जिसके चलते पशु कुपोषण और बीमारियों का शिकार हो जाता है। इनमें से कुछ बीमारियां जैसे गलाघोंटू, खुरपका, मुंहपका, थनैला, पोकनी, झेर का रुकना आदि इतनी गंभीर है कि पशु की जान जा चली जाती है।

पशु स्वास्थ्य पर काम करने और पशुओं के लिए आयुर्वेदिक दवाएं बनाने वाली कंपनी आयुर्वेट के प्रबंध निदेशक मोहन जे सक्सेना किसानों को जागरूक करने पर जोर देते हुए कहते हैं, पशुपालन से कमाई के लिए तीन बातें जरुरी हैं। वैज्ञानिक विधि से पशुपालन, 1- आहार अच्छा हो, 2- पशु स्वस्थ हो और तीसरा साफ सफाई।’ इसके साथ ही पशु का अच्छी नस्ल का होना और लगातर उसका बच्चे देना भी जरुरी है। इसका भी सीधा संबंध पशुओं की सेहत से है। कमजोर पशु के गर्भाधान में दिक्कत आती है तो बच्चे देने के बाद वो पर्याप्त दूध नहीं देती है। ऐसे में जैसे मनुष्यों के फूड सप्लीमेंट हैं वैसे ही पशुओं के लिए कई कंपनियां अच्छे चारे और उनकी सेहत से जुड़ी दवाइयां बना रही हैं। इनमें भी आयुर्वेदिक दवाइयों की मांग तेजी से बढ़ी है।

पिछले 25 वर्षों से पशुओं के लिए आयुर्वेदिक दवाइयां बना रही डाबर ग्रुप की कंपनी आयुर्वेट के सेल्स और मार्केटिंग हेड सुनील कुमार मारवाह बताते हैं, “दुनियाभर में सेफ फूड को लेकर जागरुकता तेजी से बढ़ी है। लोग सेहतमंद खाना चाहते हैं, चाहे वो दूध मांस हो या अंडा। विदेशों में ये जागरुकता काफी है, भारत में भी लोग सचेत हुए हैं। आयुर्वेट वर्षों से लहसुन, अश्वगंधा और तुलसी आदि जड़ी बूटियों दवाएं बना रहा है जो सदियों से भारत में इस्तेमाल की जा रही है, जिनका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता।’ वो आगे कहते हैं, “हम ऐसे प्रोडक्ट बनाते हैं जो पशु को तो सेहतमंद रखे हीं उसके दूध या दूसरे प्रोडक्ट का इस्तेमाल करने वाले भी स्वस्थ रहें।”

सोनभद्र के बोम गांव में गाय को टीका लगाते पशु चिकित्सक।

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पशु चिकित्सक भी कहते हैं, "पशुपालक पशुओं की उतना ख्याल नहीं रखते। अब पेट के कीड़ों का ही ले लो, दूध तो कम होता ही है कई पशुओं को भी मौत हो जाती है। ये समस्या दुधारु पशुओं के सड़ा-दला खाने और पोखर तालाब का गंदा पानी पीने से होती है, अगर सही समय पर इनका इलाज हो जाए तो पशु को बचाया जा सकता है।”

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