ये बीमारी पशुओं को देती है टेंशन , घट जाता है दूध उत्पादन

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ये बीमारी पशुओं को देती है टेंशन , घट जाता है दूध उत्पादनत्वचा रोग में पशुओं के बाल धीरे-धीरे हट जाते है और खुजली की जगह पर त्वचा सख्त हो जाती है। 

गाय-भैंस समेत लगभग सभी पशुओं को आपने पेड़, दीवार आदि कई चीजों से अपना शरीर खुजाते हुए देखा होगा। ये दरअसल एक रोग है, जैसे इंसानों को होता है। लेकिन ज्यादातर पशुपालक इस पर ध्यान नहीं देते। आम बोलचाल की भाषा में इसे चर्म रोग कहते हैं। अगर ये किसी गाय भैंस को हो जाए और उसका इलाज न हो तो पशुपालकों को आर्थिक नुकसान होता है।

चर्म रोग यानि त्वचा संबंधी बीमारियां, इस रोग में पशुओं के बाल धीरे-धीरे हट जाते है और खुजली की जगह पर त्वचा सख्त हो जाती है। त्वचा रोग होने पर ज्यादातर पशु तनाव में चले जाते हैं। आपको भले समझ में न आए लेकिन खुजली और पशुओं को शरीर पर भिनभिनाने वाली मक्खियां, कीड़े आदि पशु को इतनी टेंशन देते हैं कि वो शारीरिक रूप से कमजोर हो जाते हैं, जिसका सीधा असर उनकी उत्पादन क्षमता पर पड़ता है।

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पशु चिकित्सक डॉ. रुहेला बताते हैं, "बदलते मौसम में पशुओं का खास ख्याल रखना होता है क्योंकि उसी समय पशुओं त्वचा रोग जाने होने की संभावना रहती है। जीवाणु समेत कई प्रकार के कृमि पशुओं में त्वचा रोगों के लिए कारण होते हैं। खासकर जीवाणु से होने वाले त्वचा रोगों में पशुओं के शरीर में मवाद या पस पड़ जाता है। आमतौर पर त्वचा के रोगों के लक्षण दिखाई देने पर इनके में काफी लम्बा समय लग जाता है। इसलिए पशुओं को ध्यान देना बहुत जरूरी है।"

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त्वचा रोग दिखने में बहुत साधारण होते हैं, लेकिन कई बार यह गंभीर बीमारी बन जाती हैं। दुधारु पशुओं में कई तरह के त्वचा रोग होते हैं। इन रोगों से पशुओं की त्वचा पूरी तरह से खराब भी हो जाती है। पशुओं को स्वस्थ रखना है तो गर्मियों व बरसात के मौसम में उनके शरीर पर सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरुरत होती है। गाय-भैंसों में ही त्वचा रोग सबसे ज्यादा होती है।

आयुर्वेट कंपनी के मार्केटिंग मैनेजमेंट डॉ कैलाश सिंह विष्ट चर्म रोगों से बचाव के बारे में बताते हैं, "पशुओं को कई तरह का चर्म रोग (पैरासाइट्स,बैक्टीरिया, वायरस, एलर्जी, फंगस) होते है। चर्म रोग में पशुओं का दूध उत्पादन तो नहीं घटता लेकिन पशु स्ट्रेस(अवसाद) में आ जाता है, जिससे उसके उत्पादन पर असर पड़ता है।

पशुओं के बाड़े में ऐसे कोई चीज न रखें जिससे उससे शरीर में कोई चोट आए। इसके जहां पर पशु बांधे जाते है उसके पास साफ-सफाई बहुत जरूरी है। पशुओं के खान-पान पर भी ध्यान देना बहुत आवश्यक है, क्योंकि विटामिन्स की कमी से कभी-कभी पशुओं को चर्म रोग हो जाता है। अगर पशु को किसी भी प्रकार चर्म रोग हो गया है तो पास के पशु चिकित्सालय में दिखा लें। इसके अलावा चर्मिल प्लस ट्यूब का भी इस्तेमाल कर सकते है।"

त्वचा रोग दिखने में बहुत साधारण होते हैं, लेकिन कई बार यह गंभीर बीमारी बन जाती हैं।

चर्म रोग के लक्षण

  • जीवाणु जनित रोगों के लक्षण: प्रभावित स्थान गर्म हो जाता है, त्वचा लाल हो जाती है और मवाद निकलने लगता है।
  • कृमि द्वारा होने वाले त्वचा रोग के लक्षण: खुजली की जगह पर बाल का गिर जाना (गंजापन)। कान की खुजली में पशु सिर हिलाता है, कान फैल जाता है और उसमें भूरे काले रंग का वैक्स जमा हो जाता है। इसके उपचार के लिए पशु के कान को हल्के गर्म पानी में धोने वाला सोडा मिलाकर उसकी सफाई करनी चाहिए।
  • स्केबिस पशुओं में फैलने वाला बाह्य त्वचा रोग: यह कृमियों द्वारा उत्पन्न होता है, जो मनुष्यों में भी फैलता है। इसमें त्वचा मोटी होने के साथ ही अत्यधिक खुजली होती है।
  • फफूंद जनित त्चवा रोग-इसमें पशु के त्वचा, बाल और नाखून प्रभावित होते हैं।
  • विषाणु जनित त्वचा रोग के लक्षण- पशुओं की नाक और खुर की त्वचा मोटी हो जाती है पेट में फुंसी हो जाती है।
  • जहर द्वारा त्वचा रोग के लक्षण- सांप के काटने से त्वचा में दांत के निशान होते हैं और त्वचा मोटी हो जाती है।

पहले से करें देखभाल

  • पशुओं को स्वच्छ व साफ रखें, इसलिए उन्हें गॢमयों में प्रतिदिन दिन नहलाना चाहिए।
  • आस-पास की गंदगी (गोबर इत्यादि) को नियमित रुप से साफ करें।
  • बरसात में पशुओं के इर्द-गिर्द पानी जमा नहीं होना चाहिए वरना मच्छर, मक्खी व कीड़ें मकोड़े वहां अपना घर बना सकते है।
  • प्रत्येक तीन महीनों के अंतर पर पशुओं को आंतरिक परजीवी नाशक दवा का सेवन कराना चाहिए।
  • सभी प्रकार के त्वचा रोगों में पशु को अच्छा खान-पान, विटामिन व खनिज लवण देने चाहिए। इसके साथ ही लिवर टॉनिक व बालों के लिए कंडीशनर का प्रयोग करना चाहिए।

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