खुले में शौच न जाने की खाई कसम

श्रावस्ती जिले के शाहपुर कठौतिया गाँव में साफ-सफाई के लिए ग्रामीण खुद आगे आए हैं। डीआरजी टीम के सदस्यों और ग्रामीणों ने मिलकर इस गाँव की रंगत बदल दी है। अब इस गाँव के लोग स्वच्छता के मायने बखूबी समझते हैं।

Manish MishraManish Mishra   3 Aug 2018 12:58 PM GMT

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शाहपुर कठौतिया (श्रावस्ती)। सन्नो और उसके बेटे की तबीयत लगतार खराब रहने की वजह स्वच्छता के लिए काम करने वाली टीम की सदस्य विमला वर्मा को बखूबी पता थी, जिसके लिए व काफी प्रयासरत भी थीं।

उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जिले के गिलौला ब्लॉक के शाहपुर कठौतिया गाँव में हर दूसरे दिन पहुंच कर डीआरजी टीम की सदस्य विमला वर्मा का लोगों खुले में शौच के खिलाफ समझाना काफी हद तक सफल होने वाला था। गाँव के लोग अब खुद ही इसके खिलाफ एकजुट हो गए थे।

गाँव में रहने वाले रामकुमार पांडेय ने कहा, "देखिए इसके लिए हम सभी को खुद ही आगे आना होगा। मैं तो घर-घर जाकर लोगों को समझाता भी हूं कि जिनके यहां शौचालय बने हैं वो शौचालय में ही जाएं, जिनके यहां नहीं बने हैं वो प्रयास करके जल्दी बनावाएं।"

"सिर्फ शौचालय बना देने भर से नहीं होगा, उसका उपयोग होना जरूरी है। इसके लिए लोगों को इससे होने वाले नुकसान के बारे में बताया जाना जरूरी है।" – विमला वर्मा, डीआरजी टीम की सदस्य


साफ-सफाई न होने और खुले में शौच जाने से होने वाली बीमारियों के बारे में जागरुक होने के बाद गाँव के लोग अब खुद ही लड़ाई में कूद पड़े। गाँव में मीटिंग बुलाने के बाद लोगों ने हाथ उठाकर शपथ ली कि न खुले में शौच जाएंगे और न जाने देंगे।

स्वच्छ भारत मिशन के तहत महात्मा गाँधी की 150वीं पुण्य तिथि पर 02 अक्टूबर, 2019 तक पूरे भारत को खुले में शौच मुक्त करना है। केन्द्रीय पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार एक अगस्त, 2018 तक कुल 4,08,257 गाँव खुले में शौच मुक्त हो चुके हैं। यूपी के सात जिले पूरी तरह खुले में शौच मुक्त हैं।

अपनी इस मुहिम के बारे में विमला वर्मा ने बताया, "सिर्फ शौचालय बना देने भर से नहीं होगा, उसका उपयोग होना जरूरी है। इसके लिए लोगों को इससे होने वाले नुकसान के बारे में बताया जाना जरूरी है।"

शाहपुर कठौतिया गाँव में रहने वाले हाकिम चच्चा की बहू सन्नो अपने मायके में जरूर शौचालय में जा रही थी, लेकिन ससुराल में 60 लोगों के परिवार में कुछ लोगों के हिस्से ही शौचालय बन सके, जिससे उसे मजबूरी में खेतों में शौच के लिए जाना पड़ता था।

"बाहर खुले में शौच जाना किसे अच्छा लगता है, अब यहां मजबूरी है तो कभी-कभी जाना पड़ जाता है,'' शाहपुर कठौतिया गाँव में रहने वाली सन्नो ने बताया।

लेकिन गाँव में सामूहिक जागरुकता का असर ही रहा कि लोटा लेकर बाहर खेतों में जाने वाले हाथ शपथ के लिए उठे।

राम कुमार पांडेय ने गाँव के लोगों को शौचालय की ओर मोड़ना जैसे अपना मिशन ही बना लिया। "देखिए जब हमारे गाँव में टीम ने आकर समझाया तो हमें पता चला कि हम कितना गलत करते थे, अभी पास के गाँव में ही एक लड़की शौच के लिए गई थी, तो उसके साथ बलात्कार की घटना हुई। शौचालय में जाना तो हर तरह से सुरक्षित है," रामकुमार पांडेय ने कहा।

आज शाहपुर-कठौतिया गाँव की सड़कें साफ-सुथरी दिखती हैं। इसमें ग्राम प्रधान विश्राम का भी काफी योगदान रहा। ग्राम प्रधान विश्राम ने कहा, "शौचालय बनवाने के साथ-साथ इनके उपयोग पर भी हमारा पूरा जोर है। जितने लोग भी बच गए हैं उनके यहां जल्द ही शौचालय बनवा दिए जाएंगे।

उत्तर प्रदेश में शौचालय निर्माण की प्रगति से उत्साहित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को लक्ष्य से एक साल पहले 2 अक्टूबर, 2018 तक खुले में शौच मुक्त करने ऐलान किया है।

यह भी देखें: खुले में शौच के खिलाफ दो लड़कियों की जंग

        

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