ग्रामीणों को स्वच्छता का पाठ पढ़ा रहीं ये महिलाएं

अनीसा और कनीज बानो ने जब लोगों को स्वच्छता का पाठ पढ़ाना शुरू किया तो पहले उन्हें विरोध का सामना करना पड़ा लेकिन फिर गांव की अन्य महिलाओं का भरपूर सहयोग मिला

Manish MishraManish Mishra   10 Sep 2018 6:59 AM GMT

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सिंगहा खुर्द (लखीमपुर खीरी)। मजदूरी करने वाली दो महिलाओं को जब खुद के साथ-साथ अन्य महिलाओं के अस्तित्व से जुड़े काम को करने का मौका मिला तो उन्होंने जरा भी देरी नहीं लगाई।

लखीमपुर जिले के निघाषन ब्लॉक के सिंगहा खुर्द गाँव में जब स्वच्छाग्रही अनीसा ने महिला और पुरुषों को इसके लिए समझाना शुरू किया तो लोगों की जली-कटी बातों का सुनना आम हो गया।

"हम लोग चार बजे उठते हैं, फिर खुले में शौच के खिलाफ नारेबाजी करते हैं। नारे लगाते हैं, महिलाओं को समझाते हैं कि खुले में शौच करने से क्या-क्या बीमारियां आती हैं, जबसे स्वच्छाग्रही बने सब मजदूरी छोड़ दी। यह काम हमें बहुत अच्छा लगता है। हम लोगों को बताते हैं कि खुले में शौच जाने से क्या दिक्कतें आती हैं, रात-बिरात बाहर शौच जाने से सांप बिच्छू का डर भी रहता है।" अनीसा ने बताया।

अनीसा

वहीं, लखीमपुर जिले में ही सिंगहा खुर्द से करीब 50 किमी दूर निघाषन ब्लॉक के दुबहा गाँव में रहने वालीं कनीज बानो भी रानी मिस्त्री बनकर गाँवों में मजबूत शौचालयों की नींव रख रही हैं। कनीज बानो भी अनीसा की ही तरह दूसरों के घरों में मजदूरी करती थीं, लेकिन आज वह रानी मिस्त्री बनकर पहले से अधिक कमा रही हैं। उन्हें रानी मिस्त्री बनने की ट्रेनिंग स्वच्छ भारत मिशन के तहत दी गई है।

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"रानी मिस्त्री बनने से पहले मजदूरी करती थीं और बच्चों का पेट पालती थीं। एक दिन में 200 रुपए मिलते थे, जुड़ाई का काम करने से एक दिन में 400 रुपए मिल जाते हैं। पहले थोड़ा बहुत जुड़ाई का काम आता था, लेकिन जब ब्लॉक पर रानी मिस्त्री को ट्रेनिंग दी गयी तो उसके बाद पूरा मकान खड़ा करी सकते हैं, इस काम में पति का पूरा साथ मिला, उन्होंने कभी रोका नहीं। अब हम बच्चों को अच्छे से पाल पाएंगे।" कनीज बानो ने बताया।

रानी मिस्त्री

अनीसा और कनीज बानो को उनके गाँवों में महिलाओं का पूरा साथ मिला, यहां तक कि निगरानी समिति की महिलाएं पुरुषों को खुले में शौच से होने वाले नुकसान बताते हुए शौचालय की मांग करने लगीं।

अनीसा कहती हैं "हम मानक से शौचालय बनवाते हैं, गड्ढे हैं, चैंबर हैं। अगर किसी के पास पैसा नहीं है, तो भट्ठे से ईंटा ले लेते हैं, गाँव में सरिया सीमेंट की दुकान है, जब पहली किश्त आ जाती है तो लाभार्थी से दुकानदार को दिलवा देते हैं।"

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सिंगहा खुर्द के ग्राम प्रधान श्रवण कुमार भी स्वच्छाग्रही अनीसा की तारीफ करते हुए नहीं थकते। उन्होंने बताया, "हमारे गाँव में अनीसा स्वच्छाग्रही की बात सभी लोग ध्यान से सुनते हैं। जबसे उन्होंने समझाना शुरू किया है गाँव में शौचालय निर्माण में तेजी आ गयी है।"

'मुश्किल काम था पुरुषों का समझाना'

"हमारे समूह से कई महिलाएं जुड़ी हुई थीं, तो उन्हें तो खुले में शौच न जाने के लिए समझा ले गए, लेकिन मुश्किल काम था पुरुषों को समझाना। इसके लिए हमें बहुत मेहनत करनी पड़ी," अनीसा ने बताया, "हमने अभी तक 650 शौचालय बनवा दिए हैं, जिनकी किश्त पूरी हो गई है।"कनीज बानो की ही तरह अनीसा को भी स्वच्छागृही बनने पर परिवार और पति का पूरा साथ मिला। अनीसा ने हर वो तरीका अपनाया जिससे गाँवों में शौचालय निर्माण में तेजी आयी।


     

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