चाकलेट की गुणवत्ता जांचने के लिए अल्ट्रासाउंड का इस्तेमाल

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चाकलेट की गुणवत्ता जांचने के लिए अल्ट्रासाउंड का इस्तेमालgaonconnection

लंदन (भाषा)। चॉकलेट की गुणवत्ता मापने के लिए अनुसंधानकर्ताओं ने अल्ट्रासाउंड का इस्तेमाल करके ऐसी नई तकनीक का इजाद किया है, जिससे चॉकलेट उद्योग का काफी पैसा बच सकता है।

अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि दिखने में चमकदार लजीज स्वाद वाली बेहद उम्दा चॉकलेट जो दांत से काटने पर मुंह में अनूठी आवाज पैदा करे और जो मुंह में जाते ही पिघल जाए तथा अपनी इस पूरी अवधि के दौरान वह इन सभी गुणों को बरकरार रखे, उसे बनाना आसान नहीं है। कोकोआ बटर का रवाकरण - चॉकलेट में वसा - इस प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाता है।

बेल्जियम में केयू ल्यूवेन यूनिवर्सिटी से इमोजेन फूबर्ट ने बताया, ‘‘कोको बटर तरल चॉकलेट को सख्त बनाकर उन्हें रवाकृत करता है। इस प्रक्रिया के दौरान पांच तरह के रवा का निर्माण होता है, लेकिन इनमें से सिर्फ एक में ही हमारे मनमाफिक गुण मौजूद होता है।''

फूबर्ट ने बताया कि संख्या, आकार, आकृति और जिस अंदाज में रवा के कण आपस में जुड़ते हैं, वह भी इसमें अहम भूमिका निभाते हैं। केयू ल्यूवेन से कोएन वान डेन अबीले ने बताया, ‘‘हमने पाया कि हम अल्ट्रासोनिक किरणों के ज़रिए कोको बटर के रवाकरण में अंतर का पता लगा सकते हैं।''

अनुसंधानकर्ताओं ने बताया, ‘‘कोको बटर जब तरल अवस्था में होता है तब सम्पूर्ण पदार्थ में अल्ट्रासोनिक किरणें परावर्तित की जाती हैं। जैसे-जैसे बटर रवाकृत होता है किरणें कोको बटर को भेदती हैं। ऐसे में परावर्तन की मात्रा में बदलाव देखा जाता है।''     

उन्होंने बताया, ‘‘इससे हम यह देख पाने में सक्षम हुए कि अलग अलग रवा आपस में किस तरह से जुड़ते हैं जो चॉकलेट की उत्तम प्रकृति के लिए अहम है।'' अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि चॉकलेट की गुणवत्ता मापने के लिए चॉकलेट निर्माता फिलहाल अपने ‘चॉकलेट ऑफलाइन' का इस्तेमाल करते हैं। इस प्रणाली में बहुत समय लगता है।

अल्ट्रासाउंड इकोग्राफी से मिलेगा फायदा

नई नकनीक में कोको बटर के जरिए ट्रांसवर्सल अल्ट्रासोनिक किरणों को भेजा गया, जिसके जरिए अनुसंधानकर्ताओं ने तब बटर के ढांचे के बारे सूचना के लिए इन किरणों के परावर्तन को मापा।यह तकनीक अल्ट्रासाउंड इकोग्राफी के समान ही है, जिसका इस्तेमाल स्वास्थ्य एवं गर्भ में पल रहे भ्रूण के विकास पर नजर रखने के लिए किया जाता है।

 

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