ऊंटों की घटती संख्या ने कृषि और सुरक्षा के लिए बजाई खतरे की घंटी

Ashwani NigamAshwani Nigam   27 Aug 2017 4:04 PM GMT

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ऊंटों की घटती संख्या ने कृषि और सुरक्षा के लिए बजाई खतरे की घंटीऊंटों की खरीद-बिक्री के लिए लगने वाले मेले भी अब कम होते जा रहे हैं

अश्वनी कुमार निगम

लखनऊ। देश में ऊंटों की घटती संख्या से कृषि और सुरक्षा पर ज्यादा मंडराने लगा है। स्थिति यह है कि राजस्थान और गुजरात जैसे राज्य जहां पर खेती और सामान की ठुलाई में सबसे ज्यादा काम आने वाले ऊंट अब कम हो रहे हैं वहीं देश की सरहदों की सुरक्षा में सीमा सुरक्षा बल के साथ कदमताल करने के लिए पर्याप्त ऊंट नहीं मिल रहे हैं। गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार बीएसएफ को 1276 ऊंटों की जरूरत है लेकिन उसके पास केवल 531 ऊंट ही हैं। देश में ऊंटों की घटती संख्या पर शोध कर रहे राष्ट्रीय ऊंट अनुसंधान केन्द्र, बीकानेर के वरिष्ठ वैज्ञानिक बलदेव दास किराड़ू ने बताय '' थार रेगिस्तान की कृषि एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण घटक ऊंट की संख्या लगातार घट रही है। ऊंट जनसंख्या में विश्व में कभी तीसरे स्थान पर रहने वाला भारत आज नौवें स्थान पर आ गया है। ''

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वर्ष 2012 में भारत की 19वीं पशुगणना में बताया गया था कि वर्ष 2005 के मुकाबले देश में ऊंटों की आबादी में 22.48 प्रतशित की गिरावट आई है। इस रिपोर्ट में बताया गया था कि देश में 3.25 लाख ऊंट हैं लेकिन अभी माना जा रहा है कि इनती संख्या आधी हो गई है। ऊंटों की घटती संख्या को लेकर पशु वैज्ञानिकों ने चिंता जाहिर करते हुए कही है कि अगर ऊंटों की संख्या बढ़ाने का कोई कारगर उपाया नहीं गया तो यह देश में विलुप्त हो जाएंगे।

चारागाहों की कमी से ऊंटों को नहीं मिल पा रहा भरपूर भोजन

देश में ऊंटों के संवर्द्धन और संरक्षण के लिए राजस्थान के बीकानेर में वर्ष 1984 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की तरफ से स्थापति राष्ट्रीय ऊंट अनुसंधान केन्द्र की रिपोर्ट के अनुसार ऊंट की संख्या में कमी का मुख्य कारण चरागाहों की कमी, मशीनीकरण, प्रजनन की कमी, युवाओं की ऊंट पालन से विमुखता, चारे की अनुपलब्धता और महंगाई भी है। ऊंट वैज्ञानिक बलदेव सिंह का कहना है कि ऊंटों की घटती संख्या के लिए तस्करी और ऊंटों का अवैध रूप से वध भी जिम्मेदार है।

उन्होंने बताया कि ऊंट की कम हेाती संख्या के लिए रूढ़िवादिता भी एक कारण है। ऊंट पालने वाले राइका समाज में ऐसी मान्यता है कि ऊंटनी का दूध बेचना नहीं चाहिए। ऐसी मान्यता के कारण ऊंट के दूध का व्यापार नहीं बढ़ पा रहा है।

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ऊंटों की घटती संख्या को लेकर चिंतित राजस्थान सरकार ने ऊंट की संख्या को बढ़ाने के लिए " ऊंट विकास योजना" की शुरुआत की है। इसके अंतर्गत हर ऊंटनी के प्रसव पर ऊंट पालक को 10 हजार रुपए की अनुदान राशि दी जाती है।

इस योजना का लाभ उठाने के लिए ऊंट पालक को नजदीकी पशु चिकित्सालय में ऊंटनी का रजिस्ट्रेशन कराना होता है। देश की 80 प्रतिशत ऊंटों की आबादी राजस्थान में है, रेगिस्तान में ऊंटों का प्रयोग पर्यटन एवं माल ढुलाई में किया जाता है। करीब 500-600 ऊंट भारतीय सीमा सुरक्षा बल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। जब भी सीमा पर तनाव होता है, ऐसे में ऊंट जवानों का सहारा बनते हैं।

ऊंट पालन में युवा नहीं दिख रहे रूचि

ऊंटों की घटती संख्या को लेकर राष्ट्रीय ऊंट अनुसंधान संस्थान ने सरकार को सुझाव दिए हैं, जिसमें ऊंट को एक डेयरी पशु के रूप में विकसित करते हुए इसके लिए उन्नत चारागाहों के विकास पर भी काम करने को सरकार से कहा गया है। ऊंट के प्रजनन में वैज्ञानिक विधियों के इस्तेमाल का भी सुझाव दिया गया है। जिसमें टेस्ट ट्यूब तकनीक के जरिए ऊंट की संख्या बढ़ाने की बात की गई है। खेती के कामों में ऊंट को पर्यावरण मित्र के तौर पर प्रचारित करने के लिए भी सुझाव दिया गया है। जिसमें बताया गया है कि कृषि कामों में ट्रैक्टर और मशीन की जगह ऊंट के इस्तेमाल की सलाह दी गई है। जिसमें बताया गया कि ट्रैक्टर और मशीन से खेत में फसल और पोधों के लिए लाभकारी जीव-जंतु मर जाते हैं। ऐसे में ऊंट का इस्तेमाल किया जाए।

                  

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