चन्द सिक्कों के लिए ज़िन्दगी लगती है दांव पर

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चन्द सिक्कों के लिए ज़िन्दगी लगती है दांव परगाँव कनेक्शन

शुक्लागंज (उन्नाव)।उत्तर प्रदेश में जहां एक ओर सूबे के मुखिया अखिलेश यादव गरीबों के लिए विभिन्न योजनाओं का लाभ देते है। वहीं दूसरी ओर उन्नाव जनपद में स्थित नगर शुक्लागंज में गंगा नदी के आंचल में नगर से होकर गुजरने वाले श्रद्धालुओं की आस्था कई जरूरतमंदों के परिवार का पेट पालने के लिए रोजी-रोटी का जुगाड़ कर रही है। किताब पेन पकडऩे की उम्र में गंगा के तटो के बीच में सिक्को की तलाश में भटकते बच्चों के लिए सिक्कों को ढूंढना किसी टेढी खीर से कम नहीं होता है। इसके बाद भी बच्चे पूरा दिन गंगा तट पर जी-जान से मेहनत करके प्रतिदिन बमुस्किल 50 से 70 रुपये घर ले जा पाते है।

शुक्लागंज नगर से होकर गुजरने वाली मां गंगा के पावन तटो पर बने विभिन्न घाटों पर चुंबक द्वारा सिक्के ढूढंने वाले गोताखोर मुहल्ले के रहने वाले सलमान बताते है, ''सुबह से शाम तक गंगा के पानी में घूम-घूम कर सिक्के ढूंढऩे का काम किया करते है।'' जब गाँव कनेक्शन के संवाददाता ने पढ़ाई के विषय में पूछने पर उन्होंने बताया कि इसी काम को अपनी पढ़ाई और कढ़ाई का दर्जा देते है। जब बच्चों से बात की गई तो उन्होने बताया कि उनके साथ करीब सैकड़ो और बच्चे हैं, जो इस काम में कई सालो से हाथ आजमा रहे हैं।

कई बच्चों को नहीं आता तैरना

बच्चों के अनुसार प्रत्येक घाट पर रोजाना सुबह से शाम तक करीब 50-70 रुपये तो मिल ही जाते है परन्तु इसके लिए उनको अपनी जान को दांव पर लगाकर जीतोड़ मेहनत करनी पड़ती है। गंगा के पानी में अपनी जान को दांव पर लगाकर जो बच्चे सिक्के ढूढ़ते है उनमें से कुछ बच्चों को पानी में तैरना तक नहीं आता है। इसके बाद भी वह विभिन्न घाटों पर बच्चे अपनी जान हथेली पर रख कर गंगा के बीच में सिक्के की तलाश में निकल पड़ते है। बच्चों ने बातचीत में बताया कि इस बात की खबर कुछ बच्चों के परिजनों तक को नहीं होती है, और कुुछ बच्चों के अनुसार शाम को उन्हीे के माता-पिता द्वारा पूरे दिन की कमाई का हिसाब लेने के बाद उन्हे दो वक्त की रोटी मुहैया कराई जाती है। वहीं जिन घरों में बच्चें नहीं है वहां पर बड़े भी सिक्के ढूढंने में हाथ आजमाते है।

इन घाटों पर मिलता है अधिक पैसा

बालू घाट, गंगापुल के नीचे, विशुनघाट, रेलवे पुल के नीचे बच्चों को ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती है। इन जगहों पर आसानी से पैसे ढूढंने में बच्चे सफल रहते है। 

इन पर नही है प्रशासन की नजर

सूत्रों की माने तो बाल श्रम आयोंग ने बच्चों द्वारा गंगा में सिक्के ढूढंने के काम को भी बाल मजदूरी की श्रेणी में रखा है। पूर्व में तत्वकालिक डी.एम विजन किरन आनन्द ने अभियान चलाकर ऐसे बच्चों को चिन्हित कर उनके पूर्नवास की बात कही थी उनके तबालदे के बाद मामला ठण्डें में चला गया था। वही नगर के घाटों पर बच्चों को यह काम करते आसानी से देखा जा सकता है।

रिपोर्टर - विशाल मौर्य

 

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