डेढ़ साल में 21 करोड़ का गुटखा चबा गये डुमरियागंज के लोग

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डेढ़ साल में 21 करोड़ का गुटखा चबा गये डुमरियागंज के लोगगाँव कनेक्शन

डुमरियागंज (सिद्धार्थनगर)। तहसील क्षेत्र में गुटखे व पान मसालों का चलन चरम पर है। बच्चे जिन्हे दुनियादारी नहीं आती वह भी गुटखा चबाने में लगे हैं। एक अध्ययन के अनुसार पूरे तहसील में बीते डेढ़ साल के बीच यहां के लोगों ने लगभग छह लाख रुपये प्रतिदिन का गुटखा खाया है। ऐसे में बीते वर्ष यहां पर लगभग 21 करोड़ रुपये का कारोबार पान मसाला व गुटखे ने किया है।

तहसील मुख्यालय स्थित डुमरियागंज नगर में अकेले 100 से ज्यादा पान की दुकानें हैं, जो सुबह सजती हैं और देर रात तक चलती हैं। गौरतलब तथ्य यह है कि उम्र के आखिरी पड़ाव में होने के बावजूद ज्यादातर बुजुर्ग सुबह से शाम तक 20 से 25 पाउच गुटखा चबा जाते हैं। तमाम युवा छात्र व बेरोजगार इसकी बिक्री में इजाफा कर रहे है। इन लोगों को यह पता ही नहीं कि इसके सेवन से क्या दुष्प्रभाव पड़ेगा। गुटखे की बिक्री पान की अपेक्षा चार गुना ज्यादा बतायी जा रही है। स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों के    साथ छात्राएं भी इसमें अपनी भागीदारी दर्ज कराने में लगी है।

तहसील क्षेत्र के बेंवा, सोनहटी, मोतीगंज, तुरकौलिया, शाहपुर, चौखड़ा, मन्नीजोत, चिताही, सोहना, भड़रिया, भवानीगंज, बयारा सहित 100 से अधिक ऐसे चौराहें है जहां पर पान की औसतन 10 दुकानें है। इसके अलावा तहसील क्षेत्र के 405 राजस्व गांवों में औसतन पांच दुकानें पान की है। पान के शौकीनों की माने तो हर गाँव में लगभग 100 व्यक्ति गुटखा व पान चबाते हैं। जो इसके अमली है वह 15 से 20 गुटखा चबा जाते हैं।

नगर में स्थित 100 दुकानों में हर दुकान पर बिक्री का अनुपात देखा जाये तो प्रति दुकान कम से कम हर दिन 200 गुटखों की बिक्री होती है। क्षेत्र के चौराहों पर भी स्थित एक हजार दुकानों पर प्रतिदिन दुकान 70 गुटखे की बिक्री का अनुमान है। इसी तरह 405 गाँवों में स्थित औसतन पांच दुकान पर प्रति दुकान कम से कम 50 गुटखा बिक ही जाता है। वर्तमान में जो गुटखे व पान मसाला अधिक चलन में उनके दाम ढाई रुपये से पांच रुपये प्रति पीस है। ऐसे में यहां हर दिन 1,91,250 गुटखे व पान मसाले की बिक्री होती है। यदि तीन रुपये की दर से ही इसका रेट लगाया जाये तो हर दिन 5,73,750 रुपये व माह में एक करोड़ 72 लाख 12 हजार पांच सौ की बिक्री सिर्फ गुटखे व पान मसाले की होती है। ऐसे में यहां के लोगों ने बीते साल 2015 व तीन महीने के बीच 20 करोड़ 65 लाख 50 हजार रुपये का गुटखा व पान मसाला चबा डाला।

युवा वर्ग को खुद होना होगा गम्भीर: डॉ. भाष्कर

वरिष्ठ होम्योपैथी चिकित्सक डॉ. भाष्कर शर्मा ने कहा कि आम आदमी के साथ युवा वर्ग भी धड़ल्ले से गुटखे का सेवन कर रहा है। महिलाएं भी इसमें अपनी भागीदारी दर्ज करा रही हैं। तम्बाकू सेवन में गुटखा सबसे खतरनाक है। बच्चे मां-बाप को जो करते देखते है वहीं पहले सीखते हैं। युवा वर्ग में यह प्रवृत्ति फैशन के रूप में ज्यादा नशे के नाम पर कम है। स्कूल व घर पर रोक लगे तो इस पर सफलता मिल सकती है। गुटखा कई तरह से हानिकारक साथ ही जानलेवा भी साबित हो सकता है।

रिपोर्टर - हैदर हल्लौरी/हाशिम रिजवी

 

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