डॉक्टरों की हड़ताल ने ली पांच मरीजों की जान

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लखनऊ। यूीपीपीजीएमई-2016 की काउंसिलिंग के विरोध में हड़ताल कर रहे केजीएमयू के रेजिडेंट डॉक्टर सोमवार को साथी की पिटाई से उग्र हो गए। उन्होंने ट्रामा सेंटर में ताला जड़ने के साथ ही चल रही सभी ओपीडी बंद करा दीं। यही नहीं डॉक्टरों ने क्वीनमेरी अस्पताल में भी ताला लगा दिया।      

इलाज के लिए गंभीर मरीज प्राइवेट अस्पतालों में भागते रहे, इसी बीच परिजानों का अरोप है कि इलाज के अभाव में पांच मरीजों की मौत हो गई। 

ट्रामा सेंटर के न्यूरो सर्जिकल वार्ड में सीतापुर निवासी मुश्ताक (40 वर्ष) का इलाज चल रहा था। मुश्ताक की बहन किश्वर ने कहा, “हम इलाज के लिए डॉक्टरों से मनुहार करते रहे, लेकिन उनका दिल नहीं पसीजा और भाई की मौत हो गई। उससे अंतिम समय में मुलाकात भी नहीं हो पाई।” वहीं इमरजेंसी वार्ड में भर्ती हरदोई के उमरदीन (35 वर्ष) की भी सांसे थम गईं।

हालांकि इस बारे में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के कुलपति प्रो. रविकांत ने कहा, “यह कहना कि हड़ताल की वजह से मरीजों की मौत हुई, गलत है, इतनी बड़ी यूनिवर्सिटी है इतनी मौतें तो रोज होती हैं। मंगलवार को स्वास्थ्य सेवाओं को सुचारु रूप से चलाने के लिए फैकल्टी पूरा प्रयास करेंगी।”  देर रात कुलपति प्रो. रविकांत ने ट्रामा सेंटर पहुंच कर ताला खुलवाया। साथ ही छुट्टी पर गए डॉक्टरों को वापस बुला लिया गया है।

नेशनल कॉलेज में यूपीपीजीएमई की कांउसिलिंग के दौरान परीक्षार्थियों के हंगामे के दौरान गार्ड ने एक जूनियर डॉक्टर की पिटाई कर दी। इससे नाराज रेजिडेंट डॉक्टरों ने ट्रामा सेंटर और केजीएमयू की ओपीडी सेवाएं बंद कर हड़ताल शुरू कर दी। रेजिडेंट डॉक्टरों ने ट्रामा सेंटर भवन के गेट पर ताला डाल दिया। नाराज रेजिडेंट डॉक्टरों ने दोपहर करीब 3:30 बजे क्वीन मेरी अस्पताल में भी ताला जड़ दिया। अस्पताल में तालाबंदी देख गंभीर हालत में परिजनों ने उन्हें निजी अस्पताल में भर्ती कराया।

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