ड्रग्स से उड़ता पंजाब, उड़ता यूपी

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ड्रग्स से उड़ता पंजाब, उड़ता यूपीgaonconnection

मेरठ/लुधियाना। उड़ता पंजाब फिल्म को लेकर टीवी से लेकर अख़बारों तक विवाद है। अमृतसर से लेकर मुंबई तक चर्चा चल रही है। दरअसल पंजाब में बढ़ते नशे के कारोबार, युवाओं को जकड़ती नशे की लत इस विवाद के मूल में हैं। सिर्फ पंजाब ही नहीं यूपी समेत कई राज्य नशे की चपेट में हैं। पढ़िए विवाद के पीछे का सच। गाँव कनेक्शऩ संवाददाता सुनील तनेजा की स्पेशल रिपोर्ट-

उत्तर प्रदेश में नशे का व्यापार इतनी तेज़ी से बढ़ रहा है कि अब नशे के ख़िलाफ लड़ने वाले अधिकारी यह तक कहने लगे हैं कि नशाखोरी के लिए देश में सबसे ज़्यादा बदनाम पंजाब के बाद, उत्तर प्रदेश अब दूसरे स्थान पर पहुंचा जा रहा है। बाराबंकी जि़ला मुख्यालय से उत्तर दिशा में स्थित हरख ब्लॉक में गाँव टिकरा उस्मा है। गाँव कनेक्शन संवाददाता जब इस गाँव में पहुंचा तो पूरे गाँव में सन्नाटा पसरा था। गाँव में कुछ बच्चे खेल रहे थे। प्रधान के बारे में पता किया गया तो पता चला कि प्रधान मुकीम हरख गए हैं। फोन से उनसे बात की गई तो उन्होंने बताया कि अब तो यहां अफीम आदि की खेती नहीं होती। बचपन में होती थी, पुलिस ने कार्रवाई की तो बंद कर दी गई। ग्राम प्रधान गाँव में अन्य किसी भी नशीले पदार्थ के लेन-देन से मुकर गए।

हालांकि गाँव के बाहर गाय-भैंसों को चरा रहे एक ग्रामीण रामकुमार (काल्पनिक) ने बताया, “यहीं गाँव में ही बनता है मारफीन, दिन में कोई नहीं दिखता, पूरी रात मारफीन बनती है। यहीं नहीं आस-पास गाँव के लोगों के अलावा लखनऊ, हरदोई, रायबरेली आदि जि़लों के लोग भी यहीं बाग में आए दिन आते हैं और मारफीन पीते हैं।”

नशाखोरी के खिलाफ काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र के कार्यक्रम के मुताबिक देशभर में ज़ब्त किए जाने वाले नशीले पदार्थों का लगभग 60 फीसदी हिस्सा अकेले पंजाब से ज़ब्त किया जाता है। इस तस्वीर का एक और भयावह पक्ष ‘इंस्टीट्यूट ऑफ साउथ एशियन स्टडीज’ के एक रिसर्च पेपर ने बताया कि नशाखोरों में से ज़्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों से आते हैं। उत्तर प्रदेश में भी यही स्थिति उभर रही है। 

नशेबाजी को लेकर बदनाम रहे पंजाब में युवा काफी पहले से नशे की गिरफ्त में आने लगे थे, लेकिन अब चौंकाने वाली बात यह कि इसमें लड़कियों की बड़ी संख्या में शामिल हो रही हैं। अफीम और हिरोईन के नशे से जकड़ी ये लड़कियां किसी भी हद तक जाने को मजबूर हो गई हैं।

लुधियाना के जोशी नगर इलाके के छोटे हनुमान मंदिर के पास एक मकान में रहने वाला हर युवा नशा करता है। वो नशा करते भी हैं मोहल्ले समेत आसपास के लोगों को बेचते भी हैं। घर का सबसे जवान युवक विक्की सोनी उसकी पत्नी अंतरा भाई लक्की और विक्की की दोस्त दीपा हीरोइन को गर्म पानी में घोलकर उसका इंजेक्शन अपनी नशों में लगाते गाँव कनेक्शऩ संवाददाता को मिले। लाइटर से हीरोइन मिले पानी को गर्म करने के बाद अपनी दाहिनी बाजू में इंजेक्शन लगाने के बाद अंतरा (25 वर्ष) ने बताया, ''अब नशा नहीं मिला तो जिंदा रहना मुश्किल है। हमें नशा करते देख मेरी मां रोने लगती हैं, लेकिन वो जानती हैं ये (इंजेक्शन) नहीं मिला तो मैं मर जाउंगी।'' अंतरा बताती हैं, ''पहले दिन में एक-दो इंजेक्शन लेती थी अब दिन में कई-कई लगाने पड़ते हैं ये देखो (दोनों बाहों और पैरों के दिखाते हुए) सब इंजेक्शन के दाग हैं। मैं समाज से दूर हो गई हूं। हमारे आसपास दर्जनों ऐसी लड़कियां हैं जो नशे के लिए किसी के साथ सोने को भी तैयार हो जाएंगी, क्योंकि नशा उनकी जरूरत है।''

चाइल्ड लाइन इंडिया फाउंडेशन के मुताबिक, देश में नशाखोरी से ग्रस्त करीब 64 फीसदी वे लोग हैं, जिन की उम्र 18 वर्ष से कम है। यह आंकड़ा चिंतनीय इसलिए भी है कि कुछ वर्षों में भारत सब से अधिक युवा आबादी वाला देश होगा। युवाओं में अफीम, कोकीन, हेरोइन, शराब, भांग और प्रोफौक्सिफिन का चलन तेजी से बढ़ रहा है।

पंजाब के नारकोटिक्स विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2015 में एनडीपीएस एक्ट के तहत टोटल 10178 के दर्ज हुए थे, जबकि 12193 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इस दौरान 307 किलो हीरोईन, 70 किलो चरस 35290 किलो हक्स पाउडर, 1500 किलो गांजा-भांग, 16855 नशीले इंजेक्शन और सवा दो लाख नशीली टेबलेट बरामद हुईं थीं। 

लुधियाना समेत पंजाब के दूसरे शहरों में हीरोइन पाकिस्तान-अफगानिस्तान से सीधे या नेपाल के रास्ते तस्करी होकर आती है। जबकि अफीम उत्तर प्रदेश के गोरखपुर समेत कई शहरों से तस्कर पहुंचाते हैं। लुधियाना शहर में पड़ताल के दौरान सब से पहले रेलवे स्टेशन के पास राजेश उर्फ चाचा नाम का एक व्यक्ति मिला और उसने बताया की वो तो यूपी से आने वाली अफीम का काम करता है। राजेश के मार्फत दीपेंद्र उर्फ पठान से मुलाकात हुई। वो खुद हेरोइन और स्मैक के नशे का आदी तो था ही साथ ही बेचने का काम भी दूसरों के लिए करता था। ‘पठान’ के माध्यम से हमें लुधियाना के देहात कुलगहना उर्फ कुल्ला गाँव से तीन हजार रुपए में दस ग्राम हेरोइन, दीप नगर से सोलह सौ रुपए प्रति दस ग्राम स्मैक, ट्रांसपोर्टनगर से 600 रुपए की सौ ग्राम भुक्की (पोस्त डोडा) खुल्ले आम बिकता मिला।

पंजाब पुलिस नारकोटिक्स विंग के आईजी ईश्वर सिंह नार्को टेरेरिज्म से इनकार करते हुए कहते हैं,  “आप पंजाब के लिए नशे से बर्बाद वाली बात न कहे, यूपी, एमपी और राजस्थान से पंजाब में मुख्यता अफीम, स्मैक और पोस्त डोडा आता है जब की पकिस्तान से हेरोइन भेजी जाती है, जिस को हम लगातार पकड़ रहे हैं। गत वर्षों में हालत सुधरे हैं साथ ही प्रदेश भर में नशा मुक्ति केंद्र सरकारी और एनजीओ के माध्यम से संचालित किए जाते हैं ये कोई नार्को टेररिज़म नहीं है फिर भी हम लोग हर छोटे-बड़े मामले पर गंभीरता से हर पहलू पर जांच करते है।”

अंतरा के मुताबिक शहर में हजारों युवा नशे की गिरफ्त में हैं। इस के लिए वो पंजाब सरकार, पुलिस-प्रशासन से अधिक समाज को जिम्मेदार मानती हैं। वो बताती हैं, ''नशे के कारोबार से कई बड़े लोग जुड़े हैं, पुलिस अगर उन्हें पकड़ती भी है तो बड़े-बड़े नेताओं के फोन आ जाते हैं।''

 

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