लक्षित हमले पर मायावती के बयान से भाजपा और विपक्ष के बीच जुबानी जंग ने पकड़ा जोर

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लक्षित हमले पर मायावती के बयान से भाजपा और विपक्ष के बीच जुबानी जंग ने पकड़ा जोरmayawati

नई दिल्ली(भाषा)। लक्षित हमले पर बसपा प्रमुख मायावती के बयान से रविवार को सत्तारुढ़ भाजपा और विपक्षी दलों के बीच तीखा शब्द युद्ध शुरू हो गया और भाजपा ने जहां मायावती पर उत्तर प्रदेश चुनाव प्रचार का सांप्रदायिकरण करने और राजनीतिक लाभ के लिए जाति का प्रयोग करने का आरोप लगाया, वहीं कांग्रेस ने कहा कि केंद्र में सत्तारुढ़ दल नियंत्रण रेखा के पार आतंकवादियों के ठिकाने पर सेना के लक्षित हमले का राजनीतिक लाभ आगामी राज्य चुनावों में लेने का प्रयास कर रहा है।

जो लोग ऐसा कर रहे हैं, वे भारतीय सेना को नुकसान पहुंचा रहे

कांग्रेस प्रवक्ता आनंद शर्मा ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लक्षित हमले का राजनीतिक लाभ लेने के बारे में सोचा होगा, लेकिन कार्रवाई पर राजनीति करने से देश को नुकसान होगा और इस तरह की राजनीति सेना के लिए प्रतिष्ठा का मामला नहीं है।'' उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय सेना राजनीति से अलग है। यह दुर्भाग्यपूर्ण होगा कि सेना के निर्णय और कार्रवाईयों का इस्तेमाल राजनीतिक फायदे के लिए किया जा रहा है।'' जदयू के नेता केसी त्यागी ने कहा कि भारतीय सेना की वीरता पर देश गर्व करता है और यह किसी राजनीतिक दल का कार्यक्रम नहीं हो सकता। उन्होंने कहा, ‘‘जो लोग ऐसा कर रहे हैं वे भारतीय सेना को नुकसान पहुंचा रहे हैं।''

मायावती जातिवाद की राजनीति करती हैं

भाजपा प्रवक्ता शहनवाज हुसैन ने कहा कि हमले पर संदेह जताकर विपक्षी दल के नेता पाकिस्तान और आईएसआई को भारत के खिलाफ दुष्प्रचार करने के लिए चारा मुहैया करा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इसके लिए देश उन्हें माफ नहीं करेगा।'' भाजपा की एक अन्य प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने कहा कि मायावती जातिवाद की राजनीति करती है जो सांप्रदायिक राजनीति के तहत आता है। उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा सांप्रदायिक सौहार्द की राजनीति करती है न कि सांप्रदायिक या जातिवाद की राजनीति। इस तरह की जातिवादी या सांप्रदायिक राजनीति करने वाले लोगों को खुद को ठीक करना चाहिए न कि हमारे ऊपर सवाल उठाना चाहिए।''

काफी देर से उठाया गया कदम

पार्टी के संस्थापक कांशीराम की दसवीं पुण्यतिथि पर लखनऊ में एक रैली को संबोधित करते हुए मायावती ने कहा कि लक्षित हमले को लेकर भाजपा ‘युद्धोन्माद' पैदा करने का प्रयास कर रही । उन्होंने कहा कि यह अच्छा कदम है लेकिन काफी देरी से उठाया गया कदम है। उन्होंने कहा, ‘‘लोगों का मानना है कि राजनीतिक और चुनावी फायदे के लिए इसमें विलंब किया जा सकता था।'' उन्होंने कहा कि अगर जनवरी में पठानकोट हमले के बाद सैन्य कार्रवाई की गई होती तो उरी में 19 सैनिकों की जिंदगी बचाई जा सकती थी।

क्या इस तरह वे लक्षित हमले को देखते हैं?

राष्ट्रीय जनता दल के नेता मनोज झा ने पूछा कि क्या भारतीय सैनिकों के इस बहादुरी के कृत्य को भाजपा द्वारा ‘‘सस्ते बॉलीवुड'' स्टाइल के पोस्टर में बदला जाना चाहिए? झा ने कहा, ‘‘क्या इस तरह वे लक्षित हमले को देखते हैं? क्या इस तरह वे गुप्त अभियान को देखते हैं? हम कहां जा रहे हैं? अमित शाह को पता नहीं है कि वह भारतीय सैनिकों के मनोबल को कमतर कर रहे हैं और भारतीय सेना कोई राजनीतिक सेना नहीं है।'' विपक्षी दलों द्वारा लक्षित हमले के सबूत मांगे जाने पर मायावती ने कहा कि इस पर केवल सेना को निर्णय करना चाहिए न कि सरकार को।

   

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