तीन तलाक पर पाबंदी के लिए सुप्रीम कोर्ट में होगी याचिका
गाँव कनेक्शन 5 Oct 2016 10:47 PM GMT

नई दिल्ली (भाषा)। ऑल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड ने मांग की है कि एक साथ तीन तलाक की प्रथा को प्रतिबंधित किया जाए, इस तरह से मनमाना तलाक देने वाले पुरुषों को दंडित किया जाए और महिलाओं को तलाक लेने की इजाजत दी जाए। संगठन ने इसको लेकर उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर करने का फैसला किया है।
एआईएमडब्ल्यूपीएलबी की अध्यक्ष शाइस्ता अंबर ने एक साथ तीन तलाक की व्यवस्था को कुरान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ करार देते हुए कहा कि एकतरफा ढंग से तलाक देने वाले पुरुषों को सजा दी जाए ताकि ये दूसरे लोगों के लिए सबक बन सके। उन्होंने कहा, ‘‘कुरान के मुताबिक पति और पत्नी के बीच सुलह के लिए पूरा समय मिलना चाहिए। जब कोई पुरुष तलाक देता है तो एक तलाक और दूसरे तलाक के कहने के बीच पर्याप्त समय होना चाहिए और इसमें पत्नी की मर्जी शामिल होनी चाहिए। अन्यथा, तीन तलाक महिला को फांसी पर चढाने जैसा है।’’
एआईएमडब्ल्यूपीएलबी ने ‘निकाह हलाला’ की प्रथा के खिलाफ भी प्रतिबंध की मांग की है। दरअसल इस प्रथा के तहत अगर किसी महिला का तलाक हो जाता है तो उसे अपने पूर्व पति से फिर से शादी करने के लिए पहले किसी दूसरे व्यक्ति से शादी करनी होगी और फिर उसके साथ शादी खत्म करनी होगी। शाइस्ता ने कहा कि कुरान महिलाओं को भी तलाक का पूरा अधिकार देती है और इसको लेकर महिलाओं के बीच जागरुकता बढ़ाने की जरुरत है। उन्होंने यह भी कहा कि उनका संगठन समान आचार संहिता के खिलाफ है।
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