भारत के खिलाफ अमेरिका की शरण में पाकिस्तान
गाँव कनेक्शन 4 Oct 2016 9:53 PM GMT

इस्लामाबाद (भाषा)। भारत के एलओसी पर आतंकियों के ठिकाने नेस्तानाबूद करने से बौखलाया पाकिस्तान अब अमेरिका की शरण में पहुंच गया है। उसने मानवाधिकार उल्लंघन का मामला उठाते हुए अमेरिका को कुछ दस्तावेज सौंपे है और उससे हस्तक्षेप करने को कहा है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने यहां एक बयान में कहा कि अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत जलील अब्बास जिलानी ने सोमवार को अफगानिस्तान और पाकिस्तान के लिए अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि रिचर्ड ओल्सन से विदेश विभाग में मुलाकात की और कश्मीर में भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा ‘‘मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघनों'' के बारे में सूचना वाला एक डोजियर सौंपा। जिलानी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय, विशेष तौर पर अमेरिका को कश्मीर में बेगुनाह नागरिकों के साथ किये जाने वाले ‘‘अमानवीय और अपमानजनक व्यवहार'' पर गौर करना चाहिए। मंत्रालय ने एक बयान में राजदूत के हवाले से कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य होने के नाते अमेरिका को भारत पर प्रभाव डालना चाहिए कि वह ‘‘शासन प्रायोजित आतंकवाद'' तत्काल समाप्त करे।
बयान के अनुसार दोनों की बैठक के दौरान इस बात पर जोर दिया गया कि कश्मीर के लोगों को आत्मनिर्णय का अधिकार संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रदान किया गया है जिसे ‘‘भारत एकतरफा नकार नहीं सकता।'' जिलानी ने साथ ही कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि संयुक्त राष्ट्र का एक सदस्य होने के नाते भारत को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार और मानवीय संगठनों को कश्मीर की वास्तविक स्थिति तक पहुंच प्रदान करनी चाहिए।
भारत-पाकिस्तान के लिए घातक है युद्ध: बुखारी
दिल्ली जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी का कहना है कि भारत और पाकिस्तान दोनों के लिए युद्ध ‘‘घातक'' है और शांति तथा हालात सामान्य करने के लिए ‘‘वार्ता'' ही एकमात्र रास्ता है। उन्होंने कहा, ‘‘एके 47, बम और पैलेट गन से किसी मुद्दे का समाधान नहीं होगा और कश्मीर मुद्दे के लिए समाधान ढूंढना होगा ताकि वहां के लोगों को दयनीय हालत से मुक्ति मिले।'' बुखारी ने बयान जारी कर कहा, ‘‘वार्ता शुरु किए बगैर किसी मुद्दे का समाधान करना कठिन है। युद्ध न तो भारत के हित में है न ही पाकिस्तान के। केवल वार्ता से ही दोनों देशों के बीच मुद्दों का समाधान हो सकता है। हम दोनों देशों के बीच पहले के युद्धों का परिणाम जानते हैं।" उन्होंने कहा, ‘‘अगर युद्ध से कोई परिणाम निकलता तो अभी तक हल निकल गया होता। उरी, पठानकोट और कश्मीर हमारे लिए चिंता का विषय हैं।"
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