बिहार में शराबबंदी फिर लागू, नीतीश लाए नया कानून
Arvind Shukkla 2 Oct 2016 7:28 PM GMT
पटना (बिहार)। दो दिन बाद बिहार में शराबबंदी फिर लागू हो गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रदेश में शराब पर पाबंदी लगाने के लिए नया कानून ले आए हैं।
इसीलिए लेकर आए नया क़ानून
नीतीश कुमार सरकार ने बिहार में नया मद्यनिषेध कानून अधिसूचित किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार राज्य में पूर्ण शराबबंदी जारी रखने को लेकर प्रतिबद्ध है। पटना हाईकोर्ट ने दो दिन पहले शराबबंदी को गैरकानूनी करार दिया था, जिसके बाद नीतीश सरकार नया कानून लेकर आई है।
क़ानून में किए गए कई बदलाव
नए शराबबंदी कानून में किसी उत्पाद अथवा पुलिस अधिकारी द्वारा इस अधिनियम के तहत किसी व्यक्ति को तंग करने के लिए तलाशी, जब्ती, हिरासत अथवा गिरफ्तार करने पर उसके खिलाफ मुकदमा चलाए जाने का प्रावधान किया गया है तथा दोष सिद्ध होने पर तीन साल का कारावास और एक लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। नीतीश ने कहा कि संपूर्ण बिहार में शराबबंदी के प्रति जनसामान्य विशेषकर महिलाओं में काफी उत्साह है। सामान्य जन भावान हमेशा से शराब के विरुद्ध रही है और इसलिए हमारे निर्णय को अपार जनसमर्थन प्राप्त हुआ है। सरकार ने सभी के सहयोग से शराबबंदी के इस सामाजिक अभियान को जन आंदोलन में बदला है। साथ ही प्रभावकारी कार्यान्यवन सुनिश्चित करने तथा इसे नियंत्रित करने के लिए उपयुक्त कानूनी प्रावधान भी किए गए हैं।
शराब पीना कोई अधिकार नहीं
बिहार में शराबबंदी को लेकर आलोचनाओं पर नीतीश ने मीडिकर्मियों के साथ किसी से भी कहा कि वे अपने पंसद के किसी गांव में जाकर शराबबंदी के प्रभाव की सच्चाई जा सकते हैं। उन्होंने शराबबंदी लागू किए जाने को सही ठहराने के लिए उच्चतम न्यायालय के एक आदेश का जिक्र किया जिसमें कहा गया है कि शराब की बिक्री और उपभोग नागरिक का मूल अधिकार नहीं है। नीतीश ने कहा कि इसके अलावा यह राज्य के नीति निर्देशक के अनुसार है. ‘मैं अपने संवैधानिक दायित्व का निर्वहन कर रहा हूं।
सुप्रीम कोर्ट का खटखटाएंगे दरवाजा
यह पूछे जाने पर कि पटना उच्च न्यायालय के शराबबंदी को लेकर गत पांच अप्रैल की अधिसूचना को खारिज कर दिये जाने के बावजूद सरकार ने यह नया कानून लाया नीतीश ने कहा कि इस नए कानून के लागू हो जाने के बाद पुराने कानून स्वत: समाप्त हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि जहां तक पटना उच्च न्यायालय के शराबबंदी को लेकर गत पांच अप्रैल की अधिसूचना को लेकर निर्णय का प्रश्न है तो उसके खिलाफ सरकार उच्चतम न्यायालय में अपील दायर करेगी। सरकार ऐसा पांच अप्रैल के बाद लिए गए निर्णय प्रभावित नहीं हो इसको ध्यान में रखकर करने जा रही है।
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