आइये कराएं दुनिया के सात नए अजूबों की सैर

Vineet BajpaiVineet Bajpai   3 Oct 2016 11:03 AM GMT

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आइये कराएं दुनिया के सात नए अजूबों की सैरपेट्रा

लखनऊ। सैकड़ों साल पहले यूनानी विद्वानों ने जो विश्व के सात अजूबों की सूची बनाई थी उन पुरानी इमारतों के ज़्यादातर टूट-फूट जाने की वजह से उसको 7 जुलाई, 2007 (07-07-07) को दुबारा संशोधित किया गया। इसके लिए इंटरनेट के जरिये 1999 से शुरु हुई एक प्रतियोगिता के माध्यम से इस नई सूची को बनाया गया। 2005 से इसके लिए मतदान शुरु हुए, जिसमें दुनियाभर के लोगों ने हिस्सा लिया। दुनिया के नए अजूबे अपने निर्माण और लोगों में लोकप्रियता की वजह से इस मुकाम तक पहुंचे हैं।

ये हैं दुनिया के सात नए अजूबे

पेट्रा, (9 ईसा पूर्व - 40 ई.), जॉर्डन

अरब रेगिस्तान के किनारे, पेट्रा राजा एरिटास चतुर्थ (9 ई.पू. से 40 ई.) के नाबाटिअन साम्राज्य की शानदार राजधानी स्थित थी। जल प्रौद्योगिकी में माहिर, नाबाटिअन लोगों ने अपने शहर को बेहतरीन सुरंगों और जल के चैम्बरों का निर्माण प्रस्तुत किया। ग्रीक रोमन प्रोटोटाइप पर आधारित, इस थियेटर की 4000 दर्शकों के बैठने की क्षमता थी। आज, पेट्रा के महलनुमा मकबरे, जिनमें अल दैर मठ पर 42 मीटर ऊंचे यूनानी मंदिर के मुखौटे हैं, मध्य पूर्वी संस्कृति का शानदार उदाहरण हैं।

चिचेन इत्ज़ा, (800 ई. पू.) युकातान प्रायद्वीप, मैक्सिको

जानामाना मायान मंदिर का शहर, चिचेन इत्ज़ा, मायान सभ्यता का राजनीतिक और आर्थिक केंद्र था। इसकी विभिन्नसंरचनाओं में कुकुल्कान का पिरामिड, चक मूल का मंदिर, हजार खंभों का हॉल, और कैदियों के खेल का मैदान आज भी देखे जा सकते हैं और वास्तुशिल्प के क्षेत्र और रचना करने की असाधारण प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। खुद पिरामिड सभी मायान मन्दिरों में से अंतिम और यकीनन सबसे बड़ा था।

मसीह उद्धारक, (1931) रियो डी जनेरियो, ब्राज़ील

यीशु की यह मूर्ति 38 मीटर ऊंची है, जो कोर्कोवाडो पहाड़ पर है, जिससे पूरा रियो डी जनेरियो दिखता है। ब्राजील के हैटर कोस्टा डी सिल्वा द्वारा डिज़ाइन की गई और फ्रेंच मूर्तिकार पॉल लैंडोव्स्की द्वारा बनाई गई, यह मूर्ति दुनिया के सबसे प्रसिद्ध स्मारकों में से एक है। इस प्रतिमा के निर्माण में पांच साल लगे और इसका उद्घाटन 12 अक्टूबर 1931 को किया गया था। यह ब्राजील शहर और उसके लोगों, जो खुली बांहों से आगंतुकों का स्वागत करते हैं, का एक पहचान चिह्न बन गई है।

रोमन कोलॉज़िअम, (70-82 ई.) रोम, इटली

रोम के केंद्र में इस महान रंगभूमि को सफल सैनिकों को ईनाम देने और रोमन साम्राज्य के गौरव का जश्न मनाने के लिए बनाया गया था। इसकी डिजाइन अवधारणा आज भी अनूठी है, और कुछ 2,000 साल बाद अब भी लगभग हर आधुनिक खेल स्टेडियम पर कोलॉज़ीयम की मूल डिजाइन की अनिवार्य छाप होती है। आज, फिल्मों और इतिहास की पुस्तकों के माध्यम से, हम इस जगह पर होने वाली क्रूर लड़ाई और खेलों के बारे में और भी अधिक जानते हैं, जिससे दर्शकों का खूब मनोरंजन होता है।

ताज महल, (1630 ई.) आगरा, भारत

यह विशाल समाधि पांचवें मुगल सम्राट शाहजहां के आदेश पर, उनकी प्रिय दिवंगत पत्नी की स्मृति में बनायी गयी थी। सफेद संगमरमर से बनी और औपचारिक रूप से बाहरी दीवारों से घिरे उद्यानों के बीच स्थित, ताज महल को भारत में मुस्लिम कला का सबसे बेहतरीन रत्न माना जाता है। बाद में सम्राट को जेल में बंद कर दिया गया था और यह कहा जाता है, कि वहां की कोठरी की छोटी से खिड़की से वे केवल ताजमहल देख सकते थे।

चीन की महान दीवार, (220 ई.पू. और 1368-1644 ई.) चीन

चीन की महान दीवार को मौजूदा किलेबंदी को संयुक्त रक्षा प्रणाली के साथ जोड़कर बनाया गया था, जिसका उद्देश्य मंगोलजनजाति के हमलावरों को चीन से बाहर रखना था। यह अब तक का मनुष्यों द्वारा बनाया गया सबसे बड़ा स्मारक है और यह विवादित है कि केवल यही अंतरिक्ष से भी दिखाई देता है। इसको बनाने में लगे कई हजार लोगों को अपनी जान देनी पड़ी होगी।

माचू पिच्चु, (1460-1470), पेरू

15 वीं शताब्दी में इंकेन सम्राट पैचाक्यूटेक ने पर्वत पर बादलों में एक शहर का निर्माण किया, जिसे माचू पिच्चु (पुरानेपर्वत) माचू पिच्चु के रूप में जाना जाता। यह असाधारण रिहायशी जगह एंडेस पठार पर आधी ऊंचाई तक स्थित है, जो अमेज़न के जंगल में अन्दर और उरुबम्बा नदी के ऊपर है। इसे शायद चेचक फैलने की वजह से इंकैस द्वारा छोड़ दिया गया था और स्पेन वासियो द्वारा इंकैन साम्राज्य को हरा दिए जाने के बाद, यह शहर लगभग तीन शताब्दियों से अधिक तक ‘गुमनाम' रहा। इसे हीराम बिंघम द्वारा दोबारा खोजा गया था।

     

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