हाईअलर्ट का सच: बिना सुरक्षा के चल रहे लखनऊ के अस्पताल
Darakhshan Quadir Siddiqui 8 Oct 2016 6:28 PM GMT
लखनऊ। सरकारी अस्पतालों में लोगों की सुरक्षा को लेकर कोई पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। यहां कोई भी बिना रोक-टोक के अन्दर आकर बड़ी आंतकवादी घटना को अंजाम दे सकता है। न तो सरकारी अस्पतालों के पास पर्याप्त गार्ड हैं और न ही सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। जो आने-जाने वालों की गतिविधियों को कैद कर सकें।
पाकिस्तान पर हुए सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से देश में हाईअलर्ट जारी किया गया है। राजधानी के सरकारी अस्पताल भी आंतकवादियों के निशाने पर हो सकते हैं, लेकिन इसके बावजूद सरकारी अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्था रामभरोसे है। कोई भी चाहे जब आए, चाहे जब जाए पूछताछ तक नहीं की जाती।
पहले भी सिविल में हो चुकी है बड़ी घटना
हजरतगंज के सिविल अस्पताल में दो अक्टूबर से पहले बड़ी घटना को अंजाम देने की कोशिश की गयी। सीएम आवास से चन्द कदमों की दूरी पर स्थित सिविल अस्पताल के कैंपस में खड़ी दो पहिया गाड़ियों के पेट्रोल टैंक के पाइप काट दिए गए। इससे कैंपस में पेट्रोल चारों तरफ फैल गया। अगर उस समय कोई चिंगारी भी वहां फैल जाती तो एक बड़ा हादसा हो सकता था। रात में ही फायर ब्रिगेड बुलाकर अस्पताल परिसर की धुलाई करायी गयी। इसके बाद भी सरकारी अस्पतालों के अधिकारी नहीं चेते। सुरक्षा को लेकर कोई पुख्ता इंतजाम नहीं की गया न ही सुरक्षा गार्ड की संख्या बढ़ाई गयी। शहर के लगभग सभी सरकारी अस्पतालों की सुरक्षा रामभरोसे है।
इस बारे में जब सिविल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी से बात की तो उन्होंने बहुत ही लापरवाही से कहा कि जो हो गया सो गया। पुलिस मामले की छानबीन कर रही है। वहीं अस्पताल के सीएमएस आशुतोष दुबे का कहना है कि अस्पताल में सुरक्षा गार्ड को बढ़ाने की बात चल रही है। अस्पताल प्रशासन को लगभग 20 गार्ड की आवश्यकता और है और जहां तक मेरा मानना है कि दो अक्टूबर से पहले की घटना पार्किंग के ठेके को लेकर की गयी साजिश है।
सुरक्षा व्यवस्था को लेकर नहीं दिखी सजगता
केजीएमयू में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कोई सजगता नहीं दिखी और न ही सुरक्षा गार्ड सुरक्षा को लेकर गम्भीर दिखे। मरीजों से ओपीडी खचाखच भरी रही। ऐसे में आतंकी कोई घटना करके चले जाएं तो केजीएमयू प्रशासन के पास केवल हाथ मलने के कुछ नहीं रह जाएगा।
इस बारे में जब चिकित्सा अधीक्षक विजय कुमार से बात की गयी तो उन्होंने कहा कि हमें घटना के बारे में कोई जानकारी नहीं है। इस बारे में सीएमएस एससी तिवारी से बात करें वह जैसा कहेंगे हम वैसा ही करेंगे।विजय कुमार, चिकित्सा अधीक्षक- केजीएमयू
जब एससी तिवारी को फोन किया गया तो उन्होंने पांच बजे के बाद फोन करने की बात कहकर फोन रख दिया और उसके बाद उन्होंने फोन नहीं उठाया।
दिखावे के लिए बैठते हैं सुरक्षाकर्मी
बलरामपुर अस्पताल में भी सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं। अस्पताल के विभिन्न वार्ड के गेट के बाहर तो सुरक्षाकर्मी मौजूद दिखे लेकिन वे न तो अंदर जाने वालों की चेकिंग करते हैं और न ही बाहर आने वालों से कोई पूछताछ करते। अस्पतालों की सुरक्षा का हाल जानने जब गाँव कनेक्शन का फोटोग्राफार बड़ा सा बैग लेकर अस्पताल परिसर में दखिल हुआ तो वहां उससे कोई पूछताछ नहीं की गयी। इतना ही नहीं लावारिस पड़े बैग पर भी लोगों का ध्यान नहीं गया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कोई भी आतंकी बेहद आसानी से इन अस्पतालों को दहला सकता है।
बलरामपुर के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक राजीव लोचन का कहना है कि अस्पतालों में सुरक्षा बढ़ा दी गयी है। जगह-जगह सुरक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष अशोक राय के नम्बर के पोस्टर लगवा दिए गए हैं। किसी भी तरह की आंशका होने पर कोई भी व्यक्ति तुरन्त फोन कर जानकारी दे सकता है। गाँव कनेक्शन संवाददाता ने जब उनके नम्बर पर फोन किया तो पता चला डायल किया गया नम्बर कृपया जांच लें।
लोहिया के गार्ड केबिन में मौज फरमाते हैं
यही हाल गोमतीनगर स्थित लोहिया अस्पताल का रहा। लोहिया अस्पताल के मुख्य गेट पर गार्ड रहते हैं, लेकिन वह केबिन में बैठे रहते हैं। ओपीडी के गेट पर मौजूद सुरक्षाकर्मी भी किसी तरह की चेकिंग नहीं करते। इमरजेंसी के गेट पर भी लोग बिना रोक-टोक आ रहे थे। लोहिया अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर ओमकार का कहना है कि हमारे सुरक्षा गार्ड और सभी कैमरे काम कर रहे हैं। पुलिस चौकी को बोल दिया गया है। ऊपर से सुरक्षा बढ़ाने के कोई आदेश नहीं आए हैं। स्टैण्ड खत्म कर दिए गए हैं। ऐसे में कोई भी कहीं भी गाड़ी खड़ी करके चला जाता है।
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