जब एक शादी की मेजबानी के लिए ताज और ओबराय होटल ने एक-साथ काम किया    

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जब एक शादी की मेजबानी के लिए ताज और ओबराय होटल ने एक-साथ काम किया     हार्वर्ड यूनीवर्सिटी साउथ एशिया इंस्टीट्यूट के शशांक शाह की लिखी किताब ‘‘विन-विन कॉरपोरेशंस’’ में घटना का जिक्र है

नई दिल्ली (भाषा)। मुंबई में 26/11 के हमले के बाद जीर्णोद्धार किए गए ताज होटल में प्रीतिभोज का आयोजन होना तय था और इसके लिए रात्रि भोज भी तैयार था, लेकिन होटल में आग लग जाने के कारण आयोजन से ठीक पहले पूरे कार्यक्रम को ओबराय होटल में स्थानांतरित करना पड़ा और इस तरह यह पहला ऐसा यादगार मौका बना जब दो कारोबारी प्रतिद्धन्दियों ने मिलकर काम किया।

ताज महल, मुंबई के तत्कालीन महाप्रबंधक (जीएम) करमबीर कांग ने इसे दोनों के लिए वास्तव में एक फायदेमंद स्थिति बताया। उन्होंने कहा, ‘ताज की इस लिहाज से जीत हुई क्योंकि इसके अतिथियों का सत्कार हुआ और ओबराय की जीत इस तरह से हुई क्योंकि उसने अपने शीर्ष प्रतिद्वंद्वी के प्रति सचमुच की नेकनीयती का परिचय देते हुए बेहद सकारात्मक रुख दिखाया।’

इस घटना का जिक्र हार्वर्ड यूनीवर्सिटी साउथ एशिया इंस्टीट्यूट के शशांक शाह की लिखी किताब ‘‘विन-विन कॉरपोरेशंस'' में किया गया है। किताब का प्रकाशन पेंगुइन रैंडम हाउस ने किया है। लेखक कहते हैं कि बहरहाल, यह मिलनसारिता टाटा समूह के लिए नया नहीं है।

किताब के अनुसार, ‘वर्ष 1970 में जेआरडी टाटा ने अजित केरकर को इंडियन होटल्स का प्रबंध निदेशक बनाया। उन्होंने जेआरडी के दृष्टिकोण को साझा किया और इसे हासिल करने के लिए उन्हें भरपूर आजादी भी मिली। भरपूर स्वायत्ता और अधिकार मिलने पर अगले दो दशक में केरकर ने पूरे भारत में आईएचसीएल की छाप छोड़ी और एक होटल से दर्जनों होटलों में इसका विस्तार हुआ। इसका पहला विस्तार ताज महल टावर था जिसका निर्माण वर्ष 1972 में मुख्य होटल के करीब हुआ।’

    

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