अजमेर दरगाह बम विस्फोट मामले में अब 8 मार्च को आएगा फैसला 

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अजमेर दरगाह बम विस्फोट मामले में अब 8 मार्च को आएगा फैसला सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह।

जयपुर (भाषा)। एनआईए मामलों की विशेष अदालत (सीबीआई) के विशेष न्यायाधीश दिनेश गुप्ता अजमेर में स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह परिसर में आहता-ए-नूर पेड़ के पास 11 अक्टूबर 2007 को हुए बम विस्फोट मामले का फैसला 8 मार्च को सुनाएंगे। अदालत आज इस मामले में फैसला सुनाने वाली थी।

बचाव पक्ष के वकील जगदीश एस राणा ने अदालत परिसर में यह जानकारी दी। उन्होने बताया कि मामले में पर्याप्त गवाह और दस्तावेज हैं। दस्तावेजों और बयानों को पढ़ने और फैसला लंबा होने के कारण लिखने में समय लगने की वजह से अदालत अब 8 मार्च को फैसला सुनायेगी। उन्होने कहा कि न्यायिक हिरासत में बंद आठ आरोपी स्वामी असीमानंद, हर्षद सौलंकी, मुकेश वासाणी, लोकेश शर्मा, भावेश पटेल, मेहुल कुमार ,भरत भाई, देवेन्द्र गुप्ता फैसला सुनने के लिए अदालत में मौजूद थे।

विशेष अदालत ने 6 फरवरी को मामले की अंतिम बहस सुनने के बाद आज फैसले की तिथि तय की थी। न्यायालय में आज इस मामले में आने वाले फैसले और आरोपियों की अदालत में पेशी को देखते हुए सुरक्षा के कडे प्रबंध किये गये थे। न्यायिक हिरासत में बंद सभी आठ आरोपियों को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच अदालत में पेश किया गया।

गौरतलब है कि 11 अक्टूबर 2007 को दरगाह परिसर में हुए बम विस्फोट में तीन जायरीन मारे गये थे और पंद्रह जायरीन घायल हो गये थे। विस्फोट के बाद पुलिस को तलाशी के दौरान एक लावारिस बैग मिला था जिसमे टाईमर डिवाईश लगा जिंदा बम रखा हुआ था।

एनआईए ने तेरह आरोपियों के खिलाफ चालान पेश किया था। इनमें से आठ आरोपी वर्ष 2010 से न्यायिक हिरासत में बंद हैं। एक आरोपी चन्द्र शेखर लेवे जमानत पर है। एक आरोपी सुनील जोशी की हत्या हो चुकी है और तीन आरोपी संदीप डांगे, रामजी कलसांगरा और सुरेश नायर फरार चल रहा है।

इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओैर से 149 गवाहों के बयान दर्ज करवाए गये लेकिन अदालत में गवाही के दौरान कई गवाह अपने बयान से मुकर गये। राज्य सरकार ने मई 2010 में मामले की जांच राजस्थान पुलिस की एटीएस शाखा को सौंपी थी। बाद में एक अप्रैल 2011 को भारत सरकार ने मामले की जांच एनआईए को सौप दी थी।

  

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