प्रेमचंद ने अपने लेखन से हिंदी ऊर्दू साहित्य की दिशा बदली 

प्रेमचंद्र

नई दिल्ली (भाषा)। प्रसिद्ध लेखक मुंशी प्रेमचंद के पौत्र आलोक राय का कहना है कि होरी और गोबर जैसे पात्रों के रचियता ने अपने ‘आधुनिक दृष्टिकोण’ और सहज अभिव्यक्ति से हिंदी तथा ऊर्दू साहित्य की दिशा बदल दी।

प्रेमचंद’ में अपने विचार रखते हुए राय ने कहा कि प्रेमचंद ने एक ऐसी भाषा का चयन किया जो हर खासो आम तक पहुंच सके। ऊर्दू जबां के जश्न ‘जश्न ए रेख्ता’ में राय ने कहा, ‘‘ प्रेमचंद का नजरिया आधुनिक था और वह अपने आसपास की घटनाओं को एक बिल्कुल ही अलग नजरिए से देखते थे। वह पढ़ते बहुत थे और इसीलिए उन पर बहुत से लेखकों का प्रभाव था और कहानियां सुनाने में वे इसका इस्तेमाल करते थे।” लेखक और जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर मैनेजर पांडेय ने कहा कि प्रेमचंद के लेखन में मुहावरों का अनोखा इस्तेमाल होता था।

उन्होंने कहा, ‘‘ प्रेमचंद के बारे में सबसे बढ़िया बात यह थी कि वह एक सामाजिक लेखक थे और खुद को उन्होंने ऐसी जबां में जाहिर किया जिसे लोग आसानी से समझ सकते थे। उन्होंने विभिन्न जातियों, संस्कृतियों और धर्मों को छुआ और हर किसी के लिए लेखन किया।” प्रेमंचद ने अपने उपन्यासों ‘गोदान’, ‘निर्मला’ , ‘रंगभूमि’ और ‘सेवासदन’ में समाज के दमित और शहरी मध्यम वर्ग की पीड़ा को आलोचनात्मक और आधुनिक नजरिए से पेश किया।

Recent Posts



More Posts

popular Posts