दंतेवाड़ा की पहाड़ियों पर फिर स्थापित की गई गणेश मूर्ति, राम मंदिर की खुदाई करने वाले पुरातत्व विशेषज्ञ ने टुकड़ों को जोड़ा

Arvind ShukklaArvind Shukkla   4 Feb 2017 6:57 PM GMT

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दंतेवाड़ा की पहाड़ियों पर फिर स्थापित की गई गणेश मूर्ति, राम मंदिर की खुदाई करने वाले पुरातत्व विशेषज्ञ ने  टुकड़ों को जोड़ाछत्तीसगढ़ में ढोलकल में जोड़कर फिर से स्थापित की गई है खंडित की गई गणेश प्रतिमा। फोटो- साभार राहुल पंडिता

दंतेवाड़ा (छत्तीसगढ़)। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दंतेवाडा में हजारों फीट ऊंची पहाड़ी पर वही प्राचीन गणेश प्रतिमा फिर से स्थापित कर दी गई है। कुछ दिनों पहले असमाजिक तत्वों ने आदिवासियों की आस्था का प्रतीक 1000 साल पुरानी प्रतिमा को नीचे फेंक दिया था।

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से करीब 450 किलोमीटर दूर ढोलकल में करीब ढाई हजार फीट की उंचाई पर स्थित प्राचीन गणेश प्रतिमा को खंडित कर नीचे फेंके जाने की ख़बर आई थी। जिला प्रशासन ने पुरातत्व विभाग की मदद से मूर्ति के एक-एक टुकड़े को जोड़कर फिर वसंत पंचमी के दिन वहीं स्थापित करवा दिया है।

पुरात्तव विशेषज्ञ अरुण कुमार शर्मा और उनकी टीम ने एक-एक टुकड़ों को खोजकर तीन-चार दिन में बहुत की बारीकी से जोड़ दिया है। इस प्रक्रिया में करीब 3 से 4 दिन लगे हैं।
सौरभ शर्मा, प्रवक्ता, जिला प्रशासन, दंतेवाड़ा, छत्तीसगढ़

मूर्ति को दोबारा स्थापित करने में अहम भूमिका स्थानीय प्रशासन ने निभाई है। बेलाजिला की पहाड़ी की एक चोटी पर स्थापित रही इस प्रतिमा के टुकड़ों को प्रशासन ने पुरातत्व विभाग के सहयोग खोजा और एक फरवरी को वसंत पंचमी के दिन दोबारा स्थापित करवाया। दंतेवाड़ा के पुलिस प्रवक्ता सौरभ शर्मा ने फोन पर बताया, “वरिष्ठ पुरातत्व विशेषज्ञ अरुण कुमार शर्मा और उनकी टीम ने एक-एक टुकड़ों को खोजकर तीन-चार दिन में बहुत की बारीकी से जोड़ दिया है। इस प्रक्रिया में करीब 3 से 4 दिन लगे हैं। ये प्रतिमा करीब ढाई फीट ऊंची है।” प्रद्मश्री अरुण शर्मा वही विशेषज्ञ हैं जिन्होंने अयोध्या में श्रीमंदिर के लिए खुदाई की थी। वो पुरातत्व सलाहकार भी हैं। पुरातत्व विभाग के मुताबिक ऐसी प्रतिमाएँ विश्व में बिरली ही हैं।

वरिष्ठ पत्रकार राहुल पंडिता शनिवार को पहाड़ी पर पहुंचे और मूर्ति के साथ की फोटो अपनी फेसबुक वॉल पर फोटो शेयर की। राहुल पंडिता ने गांव कनेक्शन को फोन पर बताया, “11वीं सदी की ये प्राचीन प्रतिमा स्थानीय लोगों की आस्था का केंद्र हैं। जनवरी के आखिरी हफ्ते में आसपास कुछ लोगों ने इसे तोड़े जाने की खबर दी थी। सोशल मीडिया और स्थानीय लोगों के दबाव के चलते सरकार ने उसी मूर्ति के टुकड़ों को जोड़कर बहुत ही खूबसूरती के साथ यहां स्थापित कराया है।”

करीब ढाई हजार फीट की उंचाई पर स्थापित है 1100 साल पुरानी गणेश प्रतिमा।

11वीं सदी की ये प्राचीन प्रतिमा स्थानीय लोगों की आस्था का केंद्र हैं। 24 जनवरी के आसपास कुछ लोगों ने इसे तोड़े जाने की खबर दी थी। सोशल मीडिया और स्थानीय लोगों के दबाव के चलते सरकार ने उसी मूर्ति के टुकड़ों को जोड़कर बहुत ही खूबसूरती के साथ यहां स्थापित कराया है।
राहुल पंडिता, वरिष्ठ पत्रकार

भगवान गणेश और परशुराम का इसी इलाके में हुआ था युद्द

सौरभ शर्मा आगे बताते हैं, “ये वहीं इलाका है जहां पहाड़ों में लौह अयस्क (लोह तत्व) पाए जाते हैं, ये कांग्रेस के वरिष्ठ नेता महेंद्र कर्मा का गृह क्षेत्र है। इस क्षेत्र का बहुत पौराणिक भी महत्व है। वो बताते हैं, आदिवासियों के मुताबिक इसी जगह भगवान गणेश और परशुराम का युद्ध हुआ था, जिसके बाद छिंदक नागवंशी राजाओं न इस पहाड़ी हजारों साल पहले इस प्रतिमा को स्थापित किया था।”

मूर्ति खंड़ित करने के पीछे कौन था ?

इतनी ऊंचाई पर स्थापित प्राचीन प्रतिमा क्यों और किसने तोड़ी ये अभी तक साफ नहीं हो पाया है। सरकार के लोगों का कहना है कि लोगों की इस इलाके में बढ़ती आवाजाही को देखते हुए नक्सलिओं ने इसे तोड़ा है। हालांकि इनाडु इंडिया और दूसरे स्थानीय मीडिया के मुताबिक नक्सलियों का कहना है कि नक्सलियों को आदिवासियों और हिंदुओं में बदनाम करने के लिए सरकार ने ये साजिश रची है। पत्रकार राहुल पंडिता कहते हैं, “ये बहुत दुर्गम इलाका है, जहां मूर्ति स्थापित है वहीं पहाड़ी खत्म होती है, इतनी ऊंचाई तक पहुंचना आसान नहीं होता है। इसके बारे में ज्यादा लोगों को पता भी नहीं था। वर्ष 2012 में कुछ पत्रकार यहां तक पहुंचे थे फिर आदिवासी इलाके के बाहर के लोगों को जानकारी हुई और लोगों का आवागमन बढ़ा था।”

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