अटल-आडवाणी की मेहनत का परिणाम है मोदी सरकार: दिग्विजय

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अटल-आडवाणी की मेहनत का परिणाम है मोदी सरकार: दिग्विजयकांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह।

नई दिल्ली (भाषा)। संसद में लगातार जारी व्यवधान और कामकाज के संचालन के तरीके को लेकर लालकृष्ण आडवाणी की नाराजगी का जिक्र करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा है कि अटल-आडवाणी की जोड़ी की मेहनत का ही परिणाम है कि आज मोदीजी पूर्ण बहुमत की सरकार के प्रधानमंत्री बन सके हैं लेकिन मोदीजी जिस तरह से मनमानी कर रहे हैं, उससे आडवाणीजी आहत हैं।

संसद में व्यवधान को लेकर लोकसभा में BJP के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की नाराजगी के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि इस देश में जहां तक जनसंघ से लेकर जनता पार्टी की सरकार और फिर भारतीय जनता पार्टी की सरकार का सवाल है, आडवाणीजी का योगदान किसी से भी कम नहीं है और व्यापक है।

दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘‘अटल-आडवाणी की जोड़ी की मेहनत का ही प्रभाव है कि आज मोदीजी पूर्ण बहुमत की सरकार के प्रधानमंत्री बने सके हैं।'' कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि आज उनके (आडवाणी) साथ किस तरह का सलूक किया जा रहा है, यह सभी के सामने हैं। मोदीजी जिस तरह से मनमानी कर रहे हैं और बिना किसी से परामर्श किये फैसले कर रहे हैं, उससे आडवाणीजी आहत दिख रहे हैं।''

उन्होंने कहा कि यह तो वैसा ही हुआ कि मैंने पौधा लगाया, पौधा तैयार हो गया और जब फल खाने का समय आया तब कहा गया कि आप तो बुजुर्ग हैं, इसलिए फल नहीं खा सकते। आडवाणीजी की पीड़ा यही है।

नोटबंदी के मुद्दे पर संसद में लगातार तीसरे सप्ताह हंगामा जारी रहने के बीच BJP के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने बुधवार को लोकसभा में सदन की कार्यवाही नहीं चल पाने को लेकर गहरा क्षोभ प्रकट किया और उन्हें यह कहते सुना गया कि न तो स्पीकर और न ही संसदीय कार्य मंत्री सदन को चला पा रहे हैं।

बेहद क्षुब्ध दिख रहे आडवाणी को सदन में विपक्ष के लगातार हंगामे और विपक्ष के कई सदस्यों के नारेबाजी करते हुए सत्ता पक्ष की सीटों के सामने आ जाने पर संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार से अपनी नाखुशी व्यक्त करते सुना गया था। संसद में व्यवधान के बारे में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस महासचिव ने कहा, ‘‘ वे (सरकार) खुद ही नहीं चाहते हैं कि नोटबंदी पर सदन में चर्चा हो।''

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि नोटबंदी को लेकर इतनी अफरातफरी फैल चुकी है कि मोदी सरकार इसमें खुद ही फंस गई है। इसलिए वे तरह-तरह के बहाने बना रहे हैं, कई वक्तव्यों की आड़ लेकर चर्चा का मार्ग अवरुद्ध कर रहे हैं। दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘‘मोदी सरकार खुद को नोटबंदी में फंसा हुआ पा रही है, इसलिए संसद में ऐसी परिस्थितियां पैदा कर रही है कि चर्चा नहीं हो पाये।'' संसद में गतिरोध के मुद्दे पर विपक्ष को आड़े हाथ लेते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कुछ ही दिन पहले एक कार्यक्रम में कहा था कि सदन धरना-प्रदर्शन और ऐसी बाधा पैदा करने की जगह नहीं है जिसमें अल्पमत द्वारा बहुमत की आवाज दबा दी जाए। प्रणब ने कहा था कि विपक्ष का काम सदन को बाधित करना नहीं, बल्कि चर्चा और कामकाज करना है।

राष्ट्रपति ने कहा था, ‘‘संसदीय प्रणाली में कामकाज में बाधा डालना पूरी तरह अस्वीकार्य है। लोग अपने प्रतिनिधियों को बोलने के लिए भेजते हैं, धरने पर बैठने के लिए नहीं और न ही सदन में दिक्कतें पैदा करने के लिए।'' संसद में गतिरोध समाप्त करने के तरीके के बारे में पूछे जाने पर दिग्विजय सिंह ने कहा कि इसका समाधान यही है कि लोकसभा में नोटबंदी पर मतविभाजन के प्रावधान वाले नियम 184 के तहत सरकार चर्चा कराये। एक बार मतविभाजन हो जायेगा तो पूरी स्थिति स्पष्ट हो जायेगी।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के पास बहुमत है, फिर वह चर्चा से क्यों भाग रही है। मतविभाजन के प्रावधान वाले नियम 184 के तहत चर्चा करा लें तो गतिरोध ही खत्म हो जायेगा।

      

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