बैंक कर्मियों की मुसीबतें अब हुईं कुछ कम

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बैंक कर्मियों की मुसीबतें अब हुईं कुछ कमपहले की अपेक्षा बैंकों के बाहर कम हुई लोगों की भीड़।

लखनऊ। केन्द्र सरकार के नोटबंदी के फैसले से आम नागरिक बैंकों और एटीएम के बाहर खड़े होकर भले ही थोड़े परेशान हों, लेकिन अन्दर बैठे अधिकारियों और कर्मचारियों को इस भीड़ से कुछ खास परेशानियां नही हो रही। अधिकारियों और कर्मचारियों के मुताबिक, नोट बंदी के शुरूआती दौर में कुछ परेशानियां आईं, लेकिन धीरे-धीरे व्यवस्थाएं दुरूस्त हो गई। नोट बंदी के लगभग दस दिन बीत चुके हैं और बैंकों के बाहर की लाइन भी अब कम होने लगी हैं।

शुरुआती दिनों में आईं मुश्किलें मगर...

शनिवार को केवल सीनियर सिटीजन को ही बैंकों से कैश निकालने और जमा करने की इजाजत दी गई। बुजुर्गों को कुछ राहत तो मिली मगर फिर भी लोगों की भीड़ में खासी कमी आयी। स्टेट बैंक आफ त्रावणकोण के एकाउन्टेंट मैनेजर संदीप श्रीवास्तव ने बताया कि शुरूआती दौर में काफी दबाव था, लेकिन दो एक दिन के बाद समस्या कुछ हद तक कम हो गई। पहले दो चार दिन तो नोट बदलने वालों की भीड़ जुटी, लेकिन इसके बाद जमा करने वाले ज्यादा आये।

ग्राहक कर रहे हैं सहयोग

विजया बैंक की शाखा प्रबन्धक रजनी गुप्ता ने बताया कि फिलहाल ग्राहक भी हमारे साथ सहयोग कर रहे हैं। शुरूआती दौर में कैश की समस्या आयी, लेकिन जल्द ही व्यवस्था दुरूस्त कर ग्राहकों को पूरा लाभ दिया गया। वहीं केनरा बैक की शाखा प्रबन्धक सुरेखा श्रीवास्तव ने कहा कि केन्द्र सरकार को 2000 के नोटों के साथ ही 500 के नोट जारी करने थे, जिससे बैंको को कैश देने में ज्यादा समस्या नही होती। शनिवार को कुछ बैंक ऐसे भी दिखे जहां सीनियर सीटीजन के साथ और लोग भी नजर आये, ऐसे में बैंक कर्मियों को मुश्किलें हुईं।

अभी भी थोड़ी-बहुत मुश्किलें

बैंक ऑफ बड़ौदा के शाखा प्रबन्धक बीएन सिंह ने बताया कि नोट बंदी के बाद देर रात तक काम करना पड़ रहा है, लेकिन इससे ग्राहकों को ही सुविधा हो रही है। नोट बंदी के इस दौर के चलते बैंक कर्मियों को कुछ मुश्किलें तो हुयी हैं, लेकिन कर्मचारी मजे लेकर काम भी कर रहे हैं और ग्राहक भी सहयोग कर रहे हैं। हालांकि राजधानी के बैंकों में तो कर्मचारियों को फिलहाल दिक्कतें नही हो रही हैं, लेकिन आसपास के सटे गांवों के बैंकों में महिला कर्मचारियों को काफी परेशानियां हो रही हैं। देर रात काम करने से महिलाओं की सुरक्षा और घर जाने जैसी दिक्कतें आ रही हैं।

  

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