बड़ी इमारतों और मोबाइल टॉवरों ने गौरेया के लिए बढ़ाया खतरा

दिति बाजपेईदिति बाजपेई   20 March 2017 12:43 PM GMT

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बड़ी इमारतों और मोबाइल टॉवरों ने गौरेया के लिए बढ़ाया खतरागौरेया को चीची और फुदकन भी कहा जाता है।

लखनऊ। चीं-चीं, फुदकन, चिरैया ऐसे कई नामों से आप ने बचपन में जिस गौरेया को आंगन और मुंडेर पर चहकते देखा होगा वो अब कम ही दिखाई देती हैं। बचपन की यादों का अहम हिस्सा रही गौरैया को बचाने की जरूरत आ पड़ी है।

लखनऊ स्थित जनेश्वर पार्क में रविवार को ग्रीन यूपी-क्लीन यूपी अभियान के अन्तर्गत गौरेया व पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता करने के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने गौरैया से सम्बन्धित पुस्तक का विमोचन भी किया गया और गौरेया नेस्ट बॉक्स का वितरण किया। गौरैया संरक्षण के प्रति जन जागरूकता के लिए हर वर्ष 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस के रूप में मनाया जाता है।

विश्व गौरैया दिवस के अवसर पर साइकिल रैली का भी आयोजन किया गया, जिसमें 300 से अधिक छात्र, छात्राओं और उप्र साइकिलिस्ट फेडरेशन ने भाग लिया। प्रदेश में सात फरवरी 2016 से चल रहे इस अभियान में अब तक प्रदेश के 1.30 करोड़ व्यक्तियों तथा 2500 से अधिक विद्यालयों द्वारा सक्रिय रूप से भाग लिया गया।

उत्तर प्रदेश में गौरेया संरक्षण के लिए चलाए गए अभियान को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के गौरेया विशेषज्ञों द्वारा सराहा गया। चेकोस्लोवाकिया से आए हुए गौरेया विशेषज्ञ पीटर स्पिक ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को बताया कि उत्तर प्रदेश में चलाया जा रहा यह कार्यक्रम पूरे विश्व में अपनी तरह का अनूठा कार्यक्रम है।

पक्के मकानों और सिकुड़ते जंगलों ने गौरैया का आशियाना छीन लिया। शहर तो दूर गांवों तक में गौरैया आंखों से ओझल हो रही है। केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय भी मानता है कि देशभर में गौरेया की संख्या में कमी आ रही है। देश में मौजूद पक्षियों की 1200 प्रजातियों में से 87 संकटग्रस्त की सूची में शामिल हैं। हालांकि बर्ड लाइफ इंटरनेशनल ने गौरेया (पासेर डोमेस्टिक) को अभी संकटग्रस्त पक्षियों की सूची में शामिल नहीं किया है, लेकिन सलीम अली पक्षी विज्ञान केंद्र कोयंबटूर और प्राकृतिक विज्ञान केंद्र मुंबई समेत विभिन्न संगठनों के अध्ययन में यह बात सामने आई है कि इनकी तादाद लगातार घट रही है। केंद्रीय पर्यावरण व वन मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना था कि जैसे-जैसे शहरों में छोटे-छोटे मकानों की जगह ऊंची इमारतें लेती जाएंगी, गौरेया की जगह कबूतर बढ़ेंगे। ऊंची इमारतों में गौरेया नहीं रह सकती जबकि कबूतरों को ऊंचे मकान ही पसंद हैं।

यूपी स्टेट एनवायरेनमेंटल ऐससमेंट एथोरिटी के पर्यावरणविद् डा. एम.जेड हसन ने बताते हैं, ''गौरेया काकून, बाजरा, धान पके हुए चावल के दाने आदि खाती है लेकिन अत्याधुनिक शहरीकरण के कारण उसके प्राकृतिक भोजन के स्त्रोत समाप्त होते जा रहे हैं। उनके आशियाने भी उजड़ रहे हैं। यही नहीं आजकल के बने घरों में घोसले बनाने की जगह ही नहीं रह गई है। गाँवों में भी घर बनने के तरीकों में बदलाव आया है इसीलिए गौरैया लगातार कम हो रही हैं।Ó

अपनी बात को जारी रखते हुए डा. हसन बताते हैं, हजारों मोबाइल टावर अब शहरों और गाँव में लगाए जा रहे हैं जो गौरेया के लिए प्रमुख खतरा है। इलेक्ट्रोमैगनेटिक किरणें उनको उत्तेजित करती हैं और उनकी प्रजनन क्षमता को कम करती है।

ब्रिटेन की श्रॉयल सोसायटी ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ़ बर्डस ने भारत से लेकर विश्व के विभिन्न हिस्सों में अनुसंधानकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययनों के आधार पर गौरैया को रेड लिस्ट में डाला है। केरल एनवायरेनमेंटल रिसर्चर्स एसोसिएशन के वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में पाया था कि मोबाइल फोन टॉवर पर घोंसला बनाकर अंडे देने वाली गौरैया द्वारा एक माह तक लगातार अंडे देने के बावजूद उससे बच्चे नहीं निकले। एसोसिएशन के वैज्ञानिकों का कहना था कि 900 से 1800 मेगाहट्र्ज की कम फ्रिक्वेंसी वाली रेडियो तरंगों से अंडों के बाह्य आवरण एवं चूजों की पतली खोपड़ी पर नकारात्मक असर पड़ता है। यही नहीं जो पक्षी विकसित भी हो जाते हैं, रेडियो तरंगों से उन पक्षियों की इन्द्रिय क्षमता प्रभावित होती है जिसकी वजह से भोजन की तलाश में निकले पक्षी अपना रास्ता भूलकर गलत दिशा में पहुंच जाते हैं।

प्रतिदिन करोड़ों लोगों को मिल रहा संदेश

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपनी आवाज में गौरैया एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए संदेश दिया है, जिसको ओबीडी (आउट बाउन्ड डायलर) द्वारा लोगों के बीच प्रसारित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री का यह संदेश एक दिन में एक करोड़ से अधिक व्यक्तियों तक व्यक्तिगत रूप से पहुंच रहा है।

एक लाख लोगों को मिला नेस्ट बॉक्स

गौरैया को आवास उपलब्ध करवाने के लिए इस वर्ष विद्यार्थियों, विद्यालयों, संस्थानों व संगठनों को मिलाकर एक लाख से अधिक गौरैया नेस्ट बॉक्स को बांटा गया।

बनेगा गौरेया कुंज

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री द्वारा ''गौरैया कुंज स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। इस गौरेया कुंज को जनेश्वर मिश्र पार्क में स्थापित किया जाएगा।

 

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