पाकिस्तान आतंकवाद की जन्मभूमि : मोदी

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पाकिस्तान आतंकवाद की जन्मभूमि : मोदीब्रिक्स शिखर सम्मेलन में ब्राजीलियाई नेता माइकल टेमर, रुसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा शामिल हुए।

बिनौलिम (गोवा) (भाषा)। आतंकवाद के मुद्दे को लेकर पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज उसे ‘आतंकवाद के पोषण की भूमि' करार दिया जिससे दुनियाभर के आतंकी मॉड्यूल जुडे हैं। उन्होंने ब्रिक्स देशों के नेताओं से कहा कि वे इस खतरे से निपटने के लिए साथ मिलकर काम करें।

ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में पाकिस्तान का नाम लिए बगैर उसकी कड़ी निंदा करते हुए प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत के पड़ोस में एक देश है जो सिर्फ आतंकवादियों को शरण नहीं देता, बल्कि ऐसी सोच को पाल-पोस रहा है जो सरेआम यह कहती है कि राजनीतिक फायदों के लिए आतंकवाद जायज है।

ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के ‘सीमित' सत्र के दौरान रुसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा और ब्राजीलियाई नेता माइकल टेमर को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि दुनिया में आतंकवाद के मॉड्यूल ‘आतंकवाद के पोषण की इस भूमि' से जुड़े हुए हैं।

हम इस बात से सहमत हैं कि हिंसा और आतंक को पोषित करने, शरण देने, समर्थन देने और प्रायोजित करने वाले लोग हमारे लिए उतने ही खतरनाक हैं जितने कि आतंकवादी।
नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे अपने क्षेत्र में आतंकवाद ने शांति, सुरक्षा और विकास के लिए गंभीर खतरा पैदा किया है, दुखद है कि इसके पोषण की भूमि भारत के पड़ोस में एक देश है, दुनियाभर में आतंकवाद का मॉड्यूल इसी भूमि से जुड़ा हुआ है।''

मोदी ने कहा, ‘‘यह देश सिर्फ आतंकवादियों को शरण नहीं देता, वह एक सोच को पालता-पोसता है, यह सोच सरेआम यह कहती है कि आतंकवाद राजनीतिक फायदों के लिए जायज है, इसी सोच की हम कड़ी निंदा करते हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘ब्रिक्स के तौर पर हमें खड़े होने और मिलकर काम करने की जरुरत है। ब्रिक्स को इस खतरे के खिलाफ एक सुर में बोलना होगा।''

पुतिन और शी के साथ कल अपनी द्विपक्षीय मुलाकातों में मोदी ने पाकिस्तान की धरती से पैदा होने वाले आतंकवाद पर भारत की चिंताओं को पुरजोर ढंग से रखा था। प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद को सहयोग देने वालों को दंडित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘आतंकवाद के बढ़ते दायरे ने आज के समय में मध्य-पूर्व, पश्चिम एशिया, यूरोप और दक्षिण एशिया के लिए खतरा पैदा किया है।''

मोदी ने कहा, ‘‘इसकी हिंसक छाप हमारे नागरिकों की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करता है और आर्थिक प्रगति की ओर लक्षित हमारे प्रयासों कमजोर करता है।'' उन्होंने कहा, ‘‘हम अपने इस विश्वास को लेकर एकजुट हैं कि आतंकवाद और इसके समर्थकों को पुरस्कृत नहीं, बल्कि दंडित करना होगा।'' मोदी ने ब्रिक्स देशों से यह भी कहा कि वे संयुक्त राष्ट्र के ‘कंप्रिहेंसिव कनवेंशन ऑन इंटरनेशनल टेररिज्म' (सीसीआईटी) के जल्द अनुमोदन के लिए मिलकर काम करें ताकि इस समस्या का मुकाबला किया जा सके और आतंकवाद के खिलाफ व्यावहारिक सहयोग हो सके।

ब्रिक्स देशों के शांति, सुधार, तार्किक एवं उद्देश्यपूर्ण कार्रवाई के लिए एकजुट होने का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘अगर प्रगति के नए वाहकों को जड़े जमानी हैं तो सीमाओं के पार कुशल प्रतिभा, विचारों, प्रौद्योगिकी और पूंजी का निर्बाध प्रवाह होना होगा।''

वैश्विक अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाना हमारी वार्ता का दूसरा अहम बिंदु रहा

विश्व के सामने खड़ी प्रमुख चुनौतियों के बारे में उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए एक स्पष्ट रुपरेखा की जरुरत है। उन्होंने कहा, ‘‘हमने मौजूदा ढांचे को मजबूत बनाने के लिए नए वैश्विक संस्थानों का निर्माण किया है। ‘एनडीबी एंड कंटिनजेंसी रिजर्व एरेजमेंट' मौजूद हैं।'' भारत की ओर से हाल ही में पेरिस जलवायु समझौते को अनुमोदित किए जाने का हवाला देते हुए मोदी ने कहा, ‘‘हम विकास और जलवायु परिवर्तन के बीच सद्भावपूर्ण संतुलन को लेकर प्रतिबद्ध हैं। सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों अथवा एजेंडा-2030 द्वारा तय किया गया रास्ता आशा का मूल्यवान खाका है। भारत की अपनी विकासात्मक प्राथमिकताएं हैं जो इनके साथ जुड़ी हैं।''

मोदी ने साइबर क्षेत्र के खतरों और समुद्री क्षेत्र में लूट से लेकर मानव तस्करी जैसी गैर पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियों का उल्लेख करते हुए अपने भाषण का समापन किया।








     

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