बिस्मिल्लाह खान की पांच शहनाइयां चोरी
गाँव कनेक्शन 5 Dec 2016 12:36 PM GMT
नई दिल्ली (भाषा)। भारत रत्न बिस्मिल्लाह खान की यादगार धरोहरों में शुमार पांच शहनाइयां वाराणसी स्थित उनके बेटे के घर से चोरी हो गई है जिनमें से एक उनकी पसंदीदा शहनाई थी जो वह मुहर्रम के जुलूस में बजाया करते थे।
दस साल पहले बिस्मिल्लाह खान के इंतकाल के बाद से ही उनकी याद में संग्रहालय बनाने की मांग होती रही लेकिन अभी तक कोई संग्रहालय नहीं बन सका। ऐसे में उनकी अनमोल धरोहरें उनके बेटों के पास घर में संदूकों में पड़ी हैं जिनमें से पांच शहनाइयां रविवार रात चोरी हो गईं।
बिस्मिल्लाह खान के पौत्र रजी हसन ने वाराणसी से बताया, “हमें रविवार रात इस चोरी के बारे में पता चला और हमने पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई है। चोरी गए सामान में चार चांदी की शहनाइयां, एक चांदी की और एक लकड़ी की शहनाई, इनायत खान सम्मान और दो सोने के कंगन थे।”
उन्हाेंने बताया, “हमने पिछले दिनों दालमंडी में नया मकान लिया है लेकिन 30 नवंबर को हम सराय हरहा स्थित पुश्तैनी मकान में आये थे जहां दादाजी रहा करते थे। मुहर्रम के दिनों में हम इसी मकान में कुछ दिन रहते थे। जब नये घर लौटे तो दरवाजा खुला था और संदूक का ताला भी टूटा हुआ था। अब्बा (काजिम हुसैन) ने देखा कि दादाजी की धरोहरें चोरी हो चुकी थीं।”
बिस्मिल्लाह खान को तोहफे में मिलीं थीं शहनाइयां
हसन ने कहा, “ये शहनाइयां दादाजी को बहुत प्रिय थीं। इनमें से एक पूर्व प्रधानमंत्री पी वी नरसिंहराव ने उन्हें भेंट की थी, एक केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने और एक लालू प्रसाद यादव ने दी थी जबकि एक उन्हें उनके एक प्रशंसक से तोहफे में मिली थी।” उन्हाेंने कहा, “ इनमें से एक उनकी सबसे खास शहनाई थी जिसे वह मुहर्रम के जुलूस में बजाया करते थे। अब उनकी कोई शहनाई नहीं बची है। शायद रियाज के लिए इस्तेमाल होने वाली लकड़ी की कोई शहनाई बची हो। उनकी धरोहरों के नाम पर भारत रत्न सम्मान, पदमश्री, उन्हें मिले पदक वगैरह हैं।”
यह पूछने पर कि इतनी अनमोल धरोहरें उन्होंने घर में क्यांे रखी थीं हसन ने कहा कि पिछले दस साल से उनका परिवार इसकी रक्षा करता आया था तो उन्हें लगा कि ये सुरक्षित हैं। उन्होंने कहा, “हमें पहले उम्मीद थी कि दादाजी की याद में म्युजियम बन जायेगा लेकिन नहीं बन सका। हम इतने साल से उनकी धरोहरों को सहेजे हुए थे। हमें क्या पता था कि घर से उनका सामान यूं चोरी हो जायेगा।”
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