भाजपा अब नाटकबाजी पर उतरी: मायावती

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भाजपा अब नाटकबाजी पर उतरी: मायावतीबसपा सुप्रीमो मायावती। (फोटो साभार: गूगल)

लखनऊ। बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष, सांसद (राज्यसभा) व पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश मायावती इन दिनों लगातार विपक्षियों पर निशाना साध रही हैं। एक बार फिर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर वार करते हुए कहा कि अब यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि नरेन्द्र मोदी की पूरी सरकार और भाजपा नोटबन्दी के मामले में, भारी जनदबाव में है। लोगों का ध्यान बांटने के लिये ही इन्होंने अपना नया शिगूफा छोड़ते हुये अपने सांसदों व विधायकों से नोटबन्दी का बीती 8 नवम्बर से 31 दिसम्बर तक का हिसाब-किताब पार्टी के अध्यक्ष के पास जमा करने का बयान दिया है।

आंखों में धूल झोंकने का प्रयास

मायावती ने जारी एक बयान में कहा कि भाजपा का यह ध्यान बांटो अभियान भाजपा की यह एक और नाटकबाजी है और लोगों की आंखों में धूल झोंकने का प्रयास है, क्योंकि देश के लोगों में भाजपा के प्रति गोलमाल की जो आशंका उत्पन्न हुई है, वह वास्तव में बीती 8 नवम्बर को 500 व 1000 रुपये की नोटबन्दी से पहले के दस महीने के दौरान भाजपा द्वारा अपना अकूत धन देश भर में जमीन व अन्य सम्पत्ति आदि के खरीदने, बैंकों में धन जमा करने आदि को लेकर खासकर है, जिसका सही समाधान किया जाना चाहिये, ना कि इधर-उधर की बातों से जनता का ध्यान बांटने का प्रयास करना चाहिये।

पिछले 21 दिनों से परेशान हैं लोग

उन्होंने कहा कि हालांकि भाजपा व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार नोटबन्दी के मामले में व्यापक जनसमर्थन का दावा करते हुये नहीं थक रही है, लेकिन इस वास्तविकता को नजरअन्दाज नहीं कर पा रही है कि पूरे देश भर में करोड़ों ग़रीब, मजदूर, किसान, व्यापारी, कर्मचारी व आमजनता पिछले 21 दिनों से काफी ज्यादा परेशान हैं और उनकी मुसीबत थोड़ा भी कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। यह इस बात का प्रमाण है कि केन्द्र सरकार का नोटबन्दी का अचानक लिया गया यह फैसला काफी अपरिपक्व है तथा इसकी तैयारी में जनहित का समुचित ध्यान नहीं रखा गया है और ना ही इसके दुष्परिणाम का सही अन्दाज़ा लगाया गया है।

बड़े नेताओं का हिसाब-किताब सार्वजनिक करें

मायावती ने कहा कि भाजपा व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नोटबन्दी के मामले में लाख आदर्शवादी बनने की कोशिश करें, लेकिन बड़े-बड़े पूंजीपतियों व धन्नासेठों के हित में ही कार्य करने के उनके चाल, चरित्र व चेहरे पर पर्दा नहीं डाला जा सकता है। साथ ही, इसके भी अनेकों साक्ष्य सामने आने लगे हैं कि नोटबन्दी से पहले इन्होंने अपने कालेधन को ठिकाने लगाया है। इसलिये भाजपा के सांसदों व विधायकों से नोटबन्दी के बाद के समय का हिसाब-किताब मांगना उतना मायने नहीं रखता है, जितना कि बीती 8 नवम्बर से पहले के एक वर्ष का भाजपा का अपना हिसाब-किताब व निवेश आदि। इसलिये प्रधानमंत्री को जनता आशंकाओं को दूर करने के लिये जनापेक्षा के अनुरुप कार्य करते हुये भाजपा व इनके तमाम बड़े नेताओं का ख़ासकर सन 2016 का 8 नवम्बर से पहले का भी पूरा हिसाब-किताब तत्काल सार्वजनिक करना चाहिये।

     

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