दुकानदार दस का सिक्का ले नहीं रहे, 500 रुपये से कम का सामान दे नहीं रहे

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दुकानदार दस का सिक्का ले नहीं रहे, 500 रुपये से कम का सामान दे नहीं रहे500 का नोट अब अमान्य। प्रतीकात्मक फोटो

स्वयं डेस्क

कन्नौज। देश में 1000 और 500 के नोट पर यूं ही हाहाकार नहीं मचा हुआ है। बेवजह गरीब लोग भी पिस रहे हैं। जहां प्रतिबंधित नहीं हैं, वहां भी 1000 और 500 रुपए के नोट नहीं लिए जा रहे हैं। 10 के सिक्के चलन में होने के बाद भी छोटे दुकानदार लेने से मना कर रहे हैं। कई बैंक षाखाओं में भी नगदी लेने आए लोगों को 10-10 के सिक्के दिए गए। शनिवार को गांव कनेक्शन के इस संवाददाता ने ज़मीनी हक़ीकत जानने के लिए 500 के नोट और 10 के सिक्कों को चलाने का ट्रायल किया। जहां चौंकाने वाले मामले सामने आए।

केस एक

सबसे पहले तिर्वा स्थित राजकीय मेडिकल कॉलेज के निकट स्थित पेट्रोल पंप पर 500 का नोट दिया और दोपहिया वाहन में 200 रुपये का पेट्रोल मांगा। एक कर्मचारी ने फुटकर रुपये न होने की बात कहकर नोट लेने से मना कर दिया। बाद में दूसरे कर्मचारी के पास 100-100 रुपए के नोट होने के बाद भी 200 का पेट्रोल 500 रुपए का नोट देने पर नहीं दिया। मालिक से कहा, लेकिन उन्होंने हाथ जोड़ लिए। बोले, अगर कोई 400 का पेट्रोल लेने आएगा तो उसे कहां से वापस करेंगे। जिला मुख्यालय से करीब सात किमी दूर स्थित बहादुरपुर गांव के पेट्रोल पंप पर सन्नाटा था। यहां पहले तो 300 का पेट्रोल लेने की बात की, लेकिन एक और बाइक सवार के पेट्रोल लेने और फुटकर पैसे देने की वजह से 200 का पेट्रोल दिया।

केस दो

एक टेम्पो पर बैठकर यह संवाददाता कन्नौज पहुंचा। जीटी रोड़ तिर्वा क्रासिंग पर उतरी एक सवारी ने पूरी सीट के 40 रुपये 100 के नोट में लेने को कहा। चालक ने 10-10 के पांच सिक्के और एक कागज का 10 का नोट दिया। सिक्के देखकर सवारी झल्ला गई और कागज के नोट देने को कहा। बाद में केवल दो सिक्के लेने की बात पर ही सवारी राजी हुई।

केस तीन

कन्नौज से तिर्वा आ रहे टेम्पो पर एक किषोर ने सवारियों से किराया वसूलना षुरू किया। इसी बीच एक सवारी ने 10 का सिक्का दे दिया। किषोर ने लेने से मना किया, लेकिन बाद में सिक्का स्वीकार कर लिया। कुछ अन्य सवारियों ने भी 10 के सिक्के दिए उसे भी किषोर ने जेब में रख लिए।

केस चार

ब्रेकरी के सामान के तिर्वा में एक थोक विक्रेता के पास ग्राहक 10 रुपए का बिस्किट लेता है और 10 का सिक्का देता है। दुकानदार सिक्का हाथ में लेकर लौटा देता है। खरीदार से साफ कहा कि वह सिक्का नहीं लेगा।

केस पांच

एक छोटे से दुकानदार से एक ग्राहक बिस्किट और दूध कुल 36 रुपए का सामान लेता है। उसके एवज में 10-10 के चार सिक्के देता है। दुकानदार कहता है कि एक सिक्का तो ले-लेगा। इससे अधिक नहीं। कारण पूछा तो कहा कि थोक दुकानदार सिक्का नहीं लेते हैं वह क्या करे। उसके पड़ोस तिर्वा में ही एक थोक परचून दुकानदार सिक्का नहीं ले रहे हैं।

केस छह

तिर्वा निवासी एक व्यक्ति महिला समेत एक दुकान पर तेरहवीं संस्कार का सामान लेने पहुंचे। उन्होंने 790 रुपए का सामन लिया और सभी सिक्के दे दिए। जब दुकानदार ने कुछ नोट और कुछ सिक्के देने को कहा तो खरीदार ने कहा कि आर्यावर्त ग्रामीण बैंक औसैर से 20 हजार की निकासी की, सभी सिक्के उनको मिले हैं। अगर कागज के होते तो दे देता। बाद में दुकानदार ने सामान दे दिया।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

 

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