कहीं इंजन और डिब्बों के अधिक वजन से तो नहीं टूटी पटरी ?
Ashish Deep 20 Nov 2016 7:05 PM GMT
लखनऊ। कानपुर के पास इंदौर-पटना एक्सप्रेस के पटरी से उतरने का कारण शुरुआती जांच में रेल फ्रेक्चर यानि पटरी का टूटना माना जा रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो पटरी जितनी पुरानी होगी ठंड में उतनी जल्दी चटकेगी और अधिक वजन पड़ने पर टूट भी जाएगी।
ठंड बढ़ने पर टूटती हैं पटरियां
रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि ठंड के कारण इधर तापमान में गिरावट आई है। फिलवक्त न्यूनतम तापमान 10 डिग्री के नीचे चला गया है। इससे पटरी टूटने की शिकायत और ज्यादा मिलेगी। कानपुर में हुए हादसे की वजह भी शुरुआती पड़ताल में यही हो सकती है।
वैसे हर रूट पर पटरियां बदलने का काम चल रहा है। चाहे दिल्ली-हावड़ा, दिल्ली-मुंबई, दिल्ली-बंगलुरु और दिल्ली-चेन्नै हो, सभी रूटों पर पटरियां समय-समय पर बदली जाती हैं। लेकिन उत्तर भारत और बिहार में ठंड ज्यादा पड़ती है इसलिए यहां पटरी चटकने या टूटने की शिकायत भी ज्यादा है।
एक फुट तक टूटी पटरी पार कर जाती है ट्रेन
रेल अधिकारी ने बताया कि अगर पटरी एक फुट तक टूटी है तो उस पर से ट्रेन गुजर जाती है लेकिन अगर पटरी उससे ज्यादा टूटी होती है तो फिर ट्रेन का डिरेल होना या पलटना संभव है। इसीलिए रेलवे ने अब इंजन और डिब्बों में ज्यादा पहिए लगाने शुरू कर दिए हैं ताकि ट्रेन का पे लोड ज्यादा से ज्यादा पहियों में बंट जाए।
ब्रेक जाम होना भी बन सकता है कारण
रेल अफसर ने बताया कि पटरी चटकने के अलावा इंजन या डिब्बे के पहिए में खराबी या ब्रेक जाम होने से भी ट्रेन पटरी से उतर सकती है। इसमें रफ्तार जितनी अधिक होगी उससे जानमाल का नुकसान होने की आशंका और बढ़ जाती है। संभव है कि कानपुर ट्रेन हादसे का एक कारण यही है। बीते वर्षों में हुए हादसों में इंजन या रेल डिब्बों का ब्रेक जाम होना भी दुर्घटना का एक कारण रहा है। हालांकि यह तस्वीर तो जांच के बाद ही साफ हो पाएगी।
रात ढाई बजे से सुबह पांच बजे तक होती है पैट्रोलिंग
रेल अधिकारी ने बताया कि रेलवे ट्रेन दुर्घटना की रोकथाम के लिए रोजाना पटरियों की जांच कराता है। इसके लिए अलग से पैट्रोलिंग टीम हर रूट पर बनाई गई है। यह टीम दिन के अलावा रात ढाई बजे से सुबह पांच बजे तक पैट्रोलिंग करती है और जहां भी पटरी चटकने या टूटी मिलने की शिकायत आती है उसके बारे में सूचना देती है। उसके बाद मरम्मत दल के सदस्य तुरंत उस पटरी को दुरुस्त करते हैं।
पैट्रोलिंग में लापरवाही भी हो सकती है कारण
कानपुर में हादसे का समय रात तीन बजे के बाद बताया जा रहा है। हो सकता है कि हादसे से पहले उस रूट पर पैट्रोलिंग न हुई हो या दल के सदस्य उसे पकड़ न पाए हों जहां पटरी टूटने से ट्रेन डिरेल हुई। इसमें अगर जांच में कोई लापरवाही सामने आई तो रेलवे जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा, ऐसा रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने घटनास्थल का दौरा करने के बाद कहा है।
130 टन का होता है इंजन
रेल अधिकारी ने बताया कि पहले ट्रेन के इंजन और डिब्बे का वजन कम होता था लेकिन अब उन्हें बढ़ा दिया गया है। इस वक्त जो इंजन ट्रेनों में लगाए जा रहे हैं उनका वजन 130 टन प्रति एक्सल लोड है। इसी तरह डिब्बों का वजन भी बढ़ाया गया है। उसी के आधार पर ज्यादा वजन उठाने वाली पटरियां अब रेल ट्रैक पर बिछाई जा रही हैं। पहले पटरियां 15 टन प्रति एक्सल लोड उठाती थीं। अब जो पटरियां लग रही हैं वे 24 टन प्रति एक्सल लोड वजन उठा सकती हैं।
95 टन का होता है मालगाड़ी का एक डिब्बा
रेल अधिकारी ने बताया कि मालगाड़ी का एक डिब्बा 95 टन का होता है। उसी को आधार मानकर ज्यादा क्षमता का वजन उठाने वाली पटरियां सभी प्रमुख रूटों पर बिछाई गई हैं। पटरियों के नीचे जो स्लीपर लगते हैं वह भी कंक्रीट के बनाए जा रहे हैं।
More Stories