जयललिता के शव को दफनाया क्यों?
Sanjay Srivastava 7 Dec 2016 9:58 AM GMT

चेन्नई (आईएएनएस)| तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे.जयललिता का अंतिम संस्कार उनके शव को दफना कर किया गया जबकि वह ब्राह्मण हैं, उनका दाह संस्कार होना चाहिए था पर ऐसा नहीं हुआ, यह सवाल पूरे हिन्दुस्तान में चल रहा है।
तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे.जयललिता का आयंगर समुदाय की धार्मिक संस्कार के अनुसार शवदाह करने की जगह दफनाने पर विशेषज्ञों का कहना है कि यह द्रविड़ संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। यह प्रमुख द्रविड़ नेताओं की परंपरा रही है, इसमें जयललिता की अपनी पार्टी अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के नेता भी शामिल हैं।
मद्रास विश्वविद्यालय में राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर रामू मणिवन्नान ने कहा, दफनाना द्रविड़ संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। उन्होंने बड़े बर्तनों में बहुत दिनों तक शव को संरक्षित करके रखने की प्राचीन प्रचलन का भी उल्लेख किया।
द्रविड़ मुनेत्र कड़गम के संस्थापक और मुख्यमंत्री सी.एन. अन्नादुरई और जयललिता के राजनीतिक प्रतिपालक व एआईएडीएमके के संस्थापक एमजी रामचंद्रन के पार्थिव शरीर को भी मरीना बीच पर ही दफनाया गया था। उनका स्मारक वहां मौजूद है। बगल में उसी तरह का स्मारक जयललिता का भी बनना है।
जयललिता के रिश्तेदारों और उनकी विश्वासपात्र रही शशिकला ने उन्हें दफनाए जाने पर कोई आपत्ति नहीं की। जयललिता के भतीजे दीपक जयकुमार ने उनका अंतिम संस्कार किया। अन्नाद्रमुक के सदस्य जयललिता को आयंगर के रूप में नहीं, अपनी अम्मा के रूप में देखते थे और किसी भी जाति या धर्म से ऊपर मानते थे।
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