स्वच्छ भारत अभियान को आगे बढ़ाता छठ महापर्व

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स्वच्छ भारत अभियान को आगे बढ़ाता छठ महापर्वगोमती नदी के किनारे छठ पूजा के लिए हो रही साफ-सफाई। फोटो:महेन्द्र पांडेय

अश्वनी कुमार निगम

लखनऊ। लोक आस्था के महापर्व छठ की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। चार नवंबर को नहाया खाय के साथ शुरू होगा। पांच नवंबर को खरना होगा। छह नवंबर को संध्या सूर्य को अर्ध्य दिया जाएगा। सात नवंबर की सुबह सूर्य को अर्ध्य देने के साथ ही संपन्न हो जाएगा। पवित्रता, स्वच्छता और पर्यावरण को समर्पित छठ को लेकर गाँवों में सफाई अभियान तेज हो गया है। तालाब, नदी, नहर से लेकर छठ व्रती जिन रास्तों से होकर गुजरेंगे उसको साफ करने के लिए युवाओं से लेकर बुजुर्गों की टोली सफाई करने में जुट गई है। छठ पर्व को लेकर पूरा गाँव एक हो चुका है। हाथों में फावड़ा, खांची और सफाई करने के सामानों को लेकर सुबह से ही लोग अपने-अपने काम में जुट गए हैं।

पवित्रता, स्वच्छता और पर्यावरण को समर्पित छठ को लेकर गाँवों में सफाई अभियान तेज

बिहार-झारखंड के साथ ही उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल और मध्य यूपी के गाँवों में छठ को लेकर साफ-सफाई का काम तेज हो गया है। छठ के अलावा किसी और पर्व में सफाई के लिए श्रमदान का ऐसा उदाहरण विरले ही मिलता है। गोरखपुर जिले खजनी तहसील के बदरा गाँव के प्राइमरी स्कूल के अध्यापक लालसाराम की दिनचर्या बदली हुई है। सुबह होते ही वह गाँव भर के बच्चों और युवाओं को लेकर तालाब और रास्तों की सफाई पर निकल पड़ते हैं। उनका कहना है कि छठ महापर्व में सफाई का बहुत महत्व है। यह पहला पर्व है जिसमें लोग सिर्फ अपना घर या उसके आसापास ही न हीं बल्कि हर जगह सफाई करते हैं। इसमें सभी लोग स्वेच्छा से आकर काम करते हैं। जिससे दो दिन के अंदर गाँव की सड़क, नालियां, तालाब और दूसरी सार्वजनिक जगहें साफ हो जाती हैं। यह अकेले इसी गाँव का उदाहरण नहीं है बल्कि उत्तर प्रदेश के बलिया, देवरिया, जोनपुर, आजमगढ़, मऊ से लेकर लेकर बस्ती और बनारस जैसे गाँवों में भी लोग छठ को लेकर सफाई करने में जुट गए हैं।

महाराजगंज जिले के गांगी बाजार के भेड़िया टोला निवासी और गोरखपुर ग्रामीण बैंक में फिल्ड अफसर शंकर प्रसाद बैंक से दो दिन की छुट्टी लेकर अपने गाँव में डटे हैं। छठ को लेकर गाँव को साफ-सुथरा और स्वच्छ करने के लिए यह भी श्रमदान कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर छठ पर्व से प्रेरणा लेकर बाकी शहरों के लोग भी सफाई अभियान में जुट जाएं तो हमारे देश को साफ-सुथरा होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। दिवाली का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि शहरों में लोग दिवाली के पहले अपने घर की सफाई तो करते हैं लेकिन दिवाली के दो दिनों तक हर शहर में निकलने पर हर तरफ जले हुए पटाखे और गंदगी बिखरी रहती है। लोग सफाई कर्मचारियों के भरोसे बैठ जाते हैं लेकिन गाँवों में ऐसा नहीं है। लोग खुद से सफाई के काम में जुट जाते हैं। जिसके नतीजे में गाँव शहरों से अधिक साफ नजर आते हैं।

छठ महापर्व भगवान भास्कर यानी सूर्य को समर्पित है। सूर्य देव की पूजा में सफाई में विशेष महत्व है। इसलिए इस महापर्व में स्वच्छता बहुत जरूरी है। इसलिए जिस घर में कोई छठ व्रती होता है उसी में नहीं बल्कि आसपास के सभी घर के लोग इस पर्व को लेकर कारसेवा में शामिल होते हैं। छठ में सफाई अभियान में भाग लेकर लोग पुण्य के भी भागीदार बनते हैं।
महेश बाबा, ज्योतिषाचार्य

दो दिन की सफाई में चमक उठते हैं गाँव

दिवाली में जहां लोग घरों की सफाई करते हैं वहीं छठ में लोग अपने गाँव के तालाब, रोड, नालियों और सार्वजनिक जगहों की। श्रमदान करके दो दिन के अंदर गाँव का कूड़-कचरा साफ करने के साथ ही रोड और नालियों लोग ठीक कर देते हैं। जिससे गाँव-गाँव के छठ को लेकर चमक उठते हैं। शहरों में लोग जहां नगर निगम यहां दूसरी सफाई एजेंसियों के भरोसे रहते हैं वहीं गाँव के लोग खुद से सफाई करते हैं।

स्वच्छता से मिलता है आशीर्वाद

पौराणिक मान्यता है कि छठ महाव्रती नदियों और तालाबों में बनाए गए छठ घाटों तक पहुंचने के लिए जिन रास्तों से गुजरते हैं उससे जो लोग भी योगदान देते हैं उनको आशीर्वाद मिलता है।

12 साल बाद महासंयोग

इस बार छठ महापर्व पर 12 सालों बाद महासंयोग बना रहा है। पंडित आरके तिवारी ने बताया कि कार्तिक शुक्ल षष्ठी को यह खास योग बन रहा है। छठ का पहला अर्ध्य छह नवंबर रविवार को होने और चंद्रमा के गोचार में रहने से सूर्य का आनंद योग बन रहा है। उन्होंने बताया कि इस योग के बनने से सालों से चली आ रही किसी व्यक्ति की स्वास्थ्य समस्या का निदान होगा। इस योग से स्वास्थ्य उत्तम होता है। उन्होंने बताया कि सूर्य को स्वास्थ्य का नायक भी माना जाता है। सूर्य को संबंध स्वास्थ्य से होता है। ऐसे में इस साल छठ काफी स्वास्थ्य को लेकर काफी फलदायी है। उन्होंने बताया कि इस बार छह नवंबर को सांध्यकालीन अर्ध्य के लिए पांच बजकर 10 मिनट का मुहूर्त है, जबकि सात नवंबर की सुबह प्रात:कालीन अर्ध्य के लिए 6 बजकर 13 मिनट का अर्ध्य है।

04 नवंबर, गुरुवार, नहाया खाया

छठ महापर्व चार दिनों को होता है। भैयादूज पर्व के तीसरे दिन से शुरू हो जाता है। पहला दिन नहाया खाया होता है। इस दिन छठ व्रती पवित्र तरीक से बने शुद्ध् शाकाहारी सेंधा नमक और देसी घी से बना अरवा चावल और कद्दू की सब्जी प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। इसके बाद अगले दिन व्रती पूरे दिन उपवास रहेंगी।

05 नवंबर, शनिवार, खरना

पूरे दिन उपवास में रहने के बाद छठ व्रती शाम को खीर और रोटी का प्रसाद ग्रहण करेंगी और यह प्रसाद लोगों को भी वितरण करेंगी। इसके बाद निर्जला व्रत की शुरूआत हो जाएगी।

06 नवंबर, रविवार, सांध्य अर्ध्य

इस दिन पूरे दिन छठ का प्रसाद जिसे ठेकुआ कहते हैं बनाया जाएगा। इसके बाद छठ व्रतियों के साथ परिवार और आसपास के लोग नदी, तालाब में बनाए गए छठ घाटां को रुख करेंगे जहां पर सांध्यकालीन सूर्य को दूध और जल से अर्ध्य दिया जाएगा। इस दौरार छठ घाटों पर मेले जैस दृश्य होगा।

07 नवंबर, सोमवार, प्रात:कालीन अर्ध्य

इस दिन सूर्य उगने के पहले ही छठ व्रतियों के साथ समूह में लोग छठ घाटों पर पहुंचेंगे। वहां पर उदियमान सूर्य को अर्ध्य दिया जाएगा। यहीं पर छठ व्रती प्रसाद ग्रहण् करके अपना व्रत पूरा करेंगे। इसके बाद सभी को ठेकुआ और फल प्रसाद के रूप में वितरित किया जाएगा।

   

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