बालश्रम की भेंट चढ़ रहा बचपन

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
बालश्रम की भेंट चढ़ रहा बचपनकूड़े में पॉलीथीन खोजता बच्चा। 

गाँव कनेक्शन संवाददाता

बहराइच। प्रदेश सरकार व जिला प्रशासन भले ही बालश्रम रोकने के लिए तमाम दावे करता हो, लेकिन इन तस्वीरों को ज़रा गौर से देखिए। कहते हैं तस्वीरे झूठ नहीं बोलतीं। बहराइच में कूड़े के ढेर में बचपन सिसक रहा है। यही नहीं दो जून की रोटी के लिए कड़ी मशक्कत करनी वाले इन बच्चों का कोई सहारा नहीं है, जहां थके वही अखबारों को रजाई और जमीन को अपना आशियाना बना लेते हैं।

मामला बहराइच जिले के तमाम बेसहारा बच्चों से जुड़ा है जो यहां के होटलों, टायर पंचर की दुकानों, मेडिकल स्टोरों पर काम करते हुए दिखाई पड़ते हैं। चाइल्ड लाइन के जिला समन्वयक सत्येंद्र कुमार ने बताया कि वर्ष 2016 में हमने 54 बच्चों को बालश्रम व बाल तस्करी से मुक्त कराया था। इनमें से कुछ बच्चे अपने मां-बाप की वजह से काम कर रहे थे।

ऐसा कोई मामला हमारे संज्ञान में नहीं है और अभी मैं चुनाव में व्यस्त हूं। अगर कोई मामला संज्ञान में आता है तो चुनाव बाद कार्रवाई की जाएगी।
राकेश कुमार दीक्षित, जिला श्रम आयुक्त

कुछ बच्चे ऐसे थे जो घर से भागे हुए थे और कुछ बच्चों को बहला-फुसलाकर इन सब कामों में धकेला गया था। इनमें से ज्यादातर बच्चे 9 से 15 वर्ष के बीच के थे।

वह आगे बताते हैं, “सबसे दुखद तो ये है कि आज भी जिले में हजारों की तादाद में बच्चे बालश्रम की इस आग में जल रहे हैं जो अपने बचपन, अपने स्कूल, अपने भविष्य का मतलब जानते ही नहीं हैं। बालश्रम अधिनियम 2016 के आने के बाद भी श्रम विभाग इसका अनुपालन जिले में नहीं करा पा रहा है, जिससे उन हजारों बच्चों का भविष्य खतरे में है।

हमने जनपद में सर्वे कराकर काफी बाल मजदूरों की सूची श्रम विभाग के जिलास्तर से लेकर मंडल स्तर के अधिकारियों को भेजी है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। बालश्रम व गरीबी को रोकने के लिए दावे बहुत किए गए। लेकिन ये बच्चों का बचपन कूड़े के ढेर में दो जून की रोटी तराशने में व्यतीत हो रहा है।

     

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.