अपने सीएम का नाम नहीं जानते बच्चे, अाखिर कब सुधरेगी शिक्षा की गुणवत्ता

Ashwani NigamAshwani Nigam   28 Oct 2016 6:01 PM GMT

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अपने सीएम का नाम नहीं जानते बच्चे, अाखिर कब सुधरेगी शिक्षा की गुणवत्तागाँव के प्राथमिक स्कूल में बच्चे पढ़ाई करते हुए

लखनऊ। मिडडे मिल योजना में स्कूली बच्चों को थाली और गिलास बांटने की योजना की शुरुआत करने शुक्रवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मोहनलालगंज में थे। यहां के धनुवासांड गांव के पूर्व माध्यमिक विद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने 10 बच्चों को अपने हाथ में थाली और गिलास देकर इस योजना की विधिवत शुरुआत की।

इस कार्यक्रम में क्लास एक से लेकर 8 तक के सैकड़ों बच्चे शामिल हुए लेकिन जब इन बच्चों से पूछा गया कि राज्य का मुख्यमंत्री कौन हैं? तो इसमें से अधिकतर बच्चे मुख्यमंत्री का नाम नहीं बता पाए। ऐसे में यह बताने के लिए काफी है कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा की क्या स्थिति है। स्कूली बच्चे राज्य के मुख्यमंत्री का नाम नहीं जानते हैं। इसी स्कूल में क्लास-6 में पढ़ने वाली कीर्ति से जब देश के प्रधानमंत्री का नाम पूछा गया तो वह देश के प्रधानमंत्री का पूरा नाम नहीं बता पाई। इसी स्कूल की क्लास-2 में पढ़ने सोना से पूछा गया कि वह किस कार्यक्रम में आई है और यहां कौन आएगा। इसका जवाब भी यह बच्ची नहीं दे पाई। यह एक बानगी है जो सरकारी स्कूली में पढ़ाई का स्तर क्या है उसको बताने के लिए। इस बारे में जब एक बच्चे के अभिभावक रामाधीन से बात की गई तो उन्होंने कहा कि गरीब होने के कारण वह अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में नहीं भेज सकते इसलिए सरकारी स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ने भेज रहे हैं। लेकिन सरकारी स्कूलों में पढ़ाई अब नाममात्र की होती है। बच्चे किसी तरह दोपहर का खाना खा लें टीचरों को ध्यान इसी बात पर लगा रहता है।

काश पढ़ाई की गुणवत्ता के लिए लागू हो वाइस रिस्पासं सिस्टम

उत्तर प्रदेश में कुल 1.68 लाख विद्यालयों में क्लास-1 से लेकर 8 तक पढने वाले 1.86 करोड़ बच्चों को नियमित रूप से मध्यान्ह भोजन योजना में दोपहर का खाना दिया जा रहा है। बच्चों को स्कूल में नियमित भोजन मिल रहा है कि नहीं इसकी जांच के लिए वाईस रिस्पांस सिस्टम पर आधारित एक प्रणाली को विकसित किया गया है। जिसके माध्यम से स्कूली दिवस पर कितने बच्चों ने भोजना किया इसकी सूचना प्राप्त की जाती है। इस प्रणाली का राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर सराहना होने के कारण कई पुरस्कार मिले हैं। ऐसे में सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का स्तर क्या है इसकी जांच के लिए भी इसी तरह कोई प्रणाली हो इसकी मांग बच्चों के गार्जियंस से लेकर शिक्षा अधिकार कार्यकर्ता कर रहे हैं। उनका कहना है कि सरकारी स्कूलों में बच्चें को गुणावत्तयुक्त शिक्षा मिल रही है कि नहीं इसकी जांच का कोई सटीक प्रणाली विकसित नहीं गई है। जिससे इन स्कूलों में बच्चों को जो शिक्षा दी जा रही है उसके नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। मध्यान्ह भोजन योजना के प्रभावी संचालन के लिए टोल फ्री हेल्प लाइन नंबर- 18004190102 नंबर जारी किया है। इस नंबर पर कोई भी मध्यान्ह भोजना योजना केा लेकर शिकायत और सुझाव दे सकते हैं। ऐसे में लोगों की मांग है कि स्कूलों में पढ़ाई की गुणवत्ता के लिए भी कोई हेल्प नंबर जारी किया जाए। जिसमें लोगों अपनी शिकायत और सुझाव दे सकें।

   

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