प्लास्टिक ऐसा पदार्थ है जो प्रकृति में नहीं पाया जाता, इसे इंग्लैंड के अलेक्जेंडर पार्कस ने सबसे पहले 1856 में बनाया। उन्हें इसके लिए सम्मानित भी किया गया। तब तक शायद पता नहीं था कि प्लास्टिक इंसान का बनाया भस्मासुर साबित होने वाला है। यों तो प्लास्टिक हवा, पानी, मिट्टी हर जगह प्रदूषक के तौर पर मौजूद है, लेकिन हमारे समुद्रों, नदियों और दूसरे जल स्रोतों की हालत कुछ ज्यादा ही खराब है। एक शोध के मुताबिक, जिस हिसाब से प्लास्टिक नालों, नदियों और समंदर में पहुंच रहा है 2050 तक समुद्र में मछलियों से ज्यादा प्लास्टिक के टुकड़े मिलेंगे। खुद संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि इस समय एक वर्ग मील समुद्र में प्लास्टिक के करीब 50 हजार टुकड़े मिल जाएंगे।
चूंकि प्लास्टिक का आसानी से विघटन या डीग्रेडेशन नहीं होता, इसलिए इसे फेंकने की जगह रीसाइकल करना बेहतर विकल्प है। इसी सोच के साथ अफ्रीकी देश केन्या में काम करने वाली मरीन बायोलॉजिस्ट जूली चर्च ने ओशन सोल नाम की एक कंपनी शुरू की जो कूड़े के ढेरों पर फेंकी गई, समुद्र में बहकर आई फ्लिप फ्लॉप या चप्पलों को इकट्ठा करके उनसे खूबसूरत जानवर और दूसरे सजावटी सामान बनाती हैं।
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— Rita Mae’s Resale (@RitaMaesResale) June 2, 2018
ओशन सोल ने 2013 में 50 टन गंदी, फेंकी और बेकार चप्पलों को इसी तरह रिसाइकल किया। यह सिलसिला बढ़ता ही गया, लोगों को प्रेरित करने के लिए यह ऐलान किया गया कि फेंकी गई चप्पलों को लाने के बदले में प्रतिकिलो कुछ पैसा भी दिया जाएगा। केन्या की समस्या इसलिए भी गंभीर है क्योंकि इसकी पूर्वी तटरेखा पर मध्यपूर्व देशों, दक्षिण एशिया और ऑस्ट्रेलिया से कचरा हिंदमहासागर में बहकर आता है। इसमें प्लास्टिक की टनों चप्पलें शामिल होती हैं।
जूली यह देखकर परेशान थीं, इसी दौरान उन्होंने देखा कि स्थानीय बच्चे इन प्लास्टिक की चप्पलों से कुछ खेलने की चीजें या सजावट का सामान बना लेते थे। जूली ने इन बच्चों की मां से संपर्क किया और उन्हें भी बच्चों के इस अनोखे काम का हिस्सा बनने को प्रेरित किया। इस तरह जो सजावटी सामान बनता था वह बाजार में बेचा जाता था।
धीरे-धीरे ओशन सोल को दूसरे देशों के चिड़ियाघरों और म्यूजियमों से ऑर्डर मिलने लगे। आज ओशन सोल यूनेस्को, यूएनडीपी, यूएनईपी के साथ मिलकर काम कर रही है और स्थानीय स्तर पर उद्यमशीलता बढ़ाने व रिसाइकल प्रोग्राम को दिशा देने में हाथ बंटा रही है। दूसरी तरफ 2005 से अब तक ओशन सोल केन्या के समुद्री तट और दूसरे जल स्रोतों से लगभग एक हजार टन प्लास्टिक की चप्पलों को निकाल कर रिसाइकल कर चुकी है। अब अपनी अगली चुनौती के रूप में ओशन सोल इन फेंकी गई चप्पलों से जूते बनाने पर विचार कर रही है।
अब आखिर में कुछ प्लास्टिक की चीजों के बारे में जान लीजिए कि उन्हें नष्ट होने में कितना समय लगता है। एक फोम का प्लास्टिक कप जो गांवों की शादी-ब्याहों और दावतों में पत्तल और कुल्हड की जगह ले रहा है उसे खत्म होने में कम से कम 50 बरस लगेंगे। एक प्लास्टिक के कोल्ड ड्रिंक होल्डर को खत्म होने में लगभग 400 साल लगेंगे। यह भी याद रखिए बच्चों की डिस्पोजेबल नैपी 450 साल बाद खत्म हो पाएगी, तब तक धरती के प्रदूषण को बढ़ाती रहेगी। इसलिए या तो प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद करने की सोचिए और अगर ऐसा नहीं कर सकते तो प्लास्टिक की उसी चीज का इस्तेमाल करिए जिसे आप फिर से प्रयोग कर सकें।