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दलाई लामा के दौरे को लेकर चीन-भारत आमने सामने  

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नई दिल्ली। अरुणाचल प्रदेश में बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा के दौरे को लेकर चीन और भारत खुल कर आमने सामने आने लगे हैं। शनिवार से बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा उत्तर-पूर्व में 10 दिवसीय दौरे पर हैं। इस दौरे में वह अरुणाचल प्रदेश के कई स्थानों पर भी जायेंगे। बौद्ध धर्मगुरु के इस दौरे पर चीन के ऐतराज जाहिर करते हुए चेतावनी देने के बाद भारत ने भी उसका विरोध किया है। भारत ने कहा है कि पड़ोसी देश की ओर से तवांग पर बदलते रुख से उसकी विश्वसनीयता घट रही है। दलाई लामा की यह यात्रा पूरी तरह धार्मिक है।

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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अरुणाचल के जिन इलाकों में बौद्ध धर्मगुरु यात्रा करेंगे, उन इलाकों पर चीन अपना दावा जताता रहा है। इस समय उसकी नाराजगी तवांग मठ में दलाई लामा के कार्यक्रम को लेकर है। दलाई लामा यहां 5-7 अप्रैल के बीच कार्यक्रम में भाग लेंगे। माना जा रहा है कि दलाई लामा की यात्रा और उनके उपदेशों से इन बौद्ध इलाकों में उनका रुतबा और स्थापित होगा। आपको बता दें कि ल्हासा के बाद तवांग मठ भारत के लिए काफी अहमियत रखता है। दलाई लामा यहां नये मंदिरों की स्थापना करेंगे और दीक्षा समारोह भी आयोजित करेंगे। माना यह जा रहा है कि इन क्षेत्रों में उनके शिष्यों की संख्या बढ़ने से भारत का अधिकार यहां और पुख्ता होगा।

भारत ने चीन के दावे को कभी स्वीकार नहीं किया

मीडिया खबरों के अनुसार चीन में भारत के राजदूत रह चुके अशोक कांठा ने कहा भारत ने अरुणाचल प्रदेश पर चीन के दावे को कभी स्वीकार नहीं किया है। अधिकारियों का कहना है कि बीते सालों में तवांग पर चीन ने अपना रुख इतनी बार और इस हद तक बदला है कि उसके मौजूदा रुख में विश्वसनीयता ही नहीं रह गयी है। 1962 की लड़ाई में भारत को हराने के बाद चीन ने मैकमोहन रेखा से पीछे हटते हुए अरुणाचल और तवांग को भारत के अधिकार में छोड़ दिया था। हालांकि, अब चीन कहता है कि वह मैकमोहन रेखा को नहीं मानता। उल्लेखनीय है कि बौद्ध धर्मगुरु के दफ्तर के अनुसार दलाई लामा मंगलवार को लुमला में एक नये तारा मंदिर में अभिषेक करेंगे और इसके बाद राजधानी ईटानगर सहित दो अन्य जगहों पर शिक्षा और उपदेश देंगे।

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