बचपन में हम लोग एक खेल खेला करते थे कानाफूसी। इसमें गोल घेरे में बैठे बच्चे एक दूसरे के कान में कुछ कहा करते थे, आखिर में जिस बच्चे ने बात की शुरूआत की थी उसके कान में जो बात पहुंचती थी वह असली बात से एकदम अलग हुआ करती थी। आज की सोशल मीडिया कानाफूसी का वही खेल खेल रही है। हाल ही में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का एक बयान सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ, जबकि हकीकत यह है कि उन्होंने ऐसा कुछ कहा ही नहीं था।
इस बयान के मुताबिक प्रणब मुखर्जी ने कहा, ” मैं मनमोहन की तरह गुलाम नहीं हूं मुझे जो ठीक लग रहा है मैं वह कर रहा हूं आज भारत को आरएसएस जैसे संगठन की आवश्यकता है: प्रणब मुखर्जी।” यह बयान 4 जून को सोशल मीडिया पर शेयर किया गया। खासतौर पर कई लोगों ने अपने ट्विटर हैंडल पर इसे प्रणब मुखर्जी की तस्वीर के साथ शेयर किया।
मैं मनमोहन की तरह गुलाम नहीं हूं मुझे जो ठीक लग रहा है मैं वह कर रहा हूं आज भारत को RSS जैसे संगठन की आवश्यकता है : प्रणब मुखर्जी pic.twitter.com/dHdiZvhhkd
— neha kakkar (@nehakak5) June 4, 2018
इस बयान पर पूर्व राष्ट्रपति के ऑफिस की ओर से न्यूज़ साइट बूम लाइव से संपर्क किया गया। बूम लाइव मीडिया जगत में फैली फर्जी या फेक न्यूज की पड़ताल कर उनका खुलासा करने के लिए जानी जाती है। प्रणब मुखर्जी की ओर से इस खबर को सरासर बकवास बताते हुए कहा गया कि पूर्व राष्ट्रपति ने न तो किसी कार्यक्रम में और न ही किसी पत्रकार को ऐसा बयान दिया है और इसलिए यह पूरी तरह फर्जी है।
मैं मनमोहन की तरह गुलाम नहीं हूं मुझे जो ठीक लग रहा है मैं वह कर रहा हूं आज भारत को RSS जैसे संगठन की आवश्यकता है : प्रणब मुखर्जी pic.twitter.com/8FpMp5f9ev
— Jeetendra Singh 🇮🇳 (@jeetensingh) June 4, 2018
ट्विटर के अलावा यह फर्जी बयान कई फेसबुक पेजों पर भी शेयर किया गया। इनमें से बहुत से फेसबुक पेज बीजेपी और उसके नेताओं के प्रशंसकों के थे।
यह फर्जी बयान उस समय वायरल हुआ जब पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नागपुर में आरएसएस मुख्यालय में होने वाले कार्यक्रम में शामिल होने का निमंत्रण स्वीकार किया था। मुखर्जी ने 7 जून को इसमें हिस्सा लिया और आरएसएस काडर को संबोधित भी किया।
जिस समय प्रणब मुखर्जी ने आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल होने का निमंत्रण स्वीकार किया था उस समय कांग्रेस के कई नेताओं ने नाखुशी जताई थी। कांग्रेस मंत्रिमंडल में उनके सहयोगी रह चुके पी. चिदमंबरम ने उनसे अनुरोध किया था कि वह इस अवसर पर आरएसएस को बताएं कि उसकी विचारधारा में आखिर कमी कहां है। चिदंबरम ने कहा था, ” अब जब उन्होंने निमंत्रण स्वीकार कर लिया है तो इस पर बहस करने का कोई अर्थ नहीं है कि उन्होंने ऐसा क्यों किया। अब कहने लायक महत्वपूर्ण बात यह है कि, जब आपने निमंत्रण स्वीकार कर ही लिया है तो कृपया आप वहां जाएं और उनको बताएं कि उनकी विचारधारा में कमी कहां है।”
अपनी आलोचनाओं पर प्रतिक्रिया देते हुए मुखर्जी ने बंगाली दैनिक आनंदबाजार पत्रिका से कहा था, “मुझे जो कुछ भी कहना है वह मैं नागपुर में कहूंगा। मुझसे चिटिठयों और फोन के जरिए कई लोगों ने अनुरोध किया है पर मैंने अभी तक किसी का भी जवाब नहीं दिया।”
आजकल मशहूर हस्तियों के कथित बयान मनमाने तौर पर वायरल किए जाने का चलन आम हो गया है। इन बयानों में इन लोगों के हवाले से ऐसी विरोधाभासी बातें कही जाती हैं जिन्हें सुनकर उनके बारे में समाज में भ्रम पैदा होता है।
सोशल मीडिया पर अफवाहों की यह आग कभी-कभी बेकाबू होकर दंगों और हत्याओं का कारण भी बनी है। अभी हाल ही में असम और उससे कुछ समय पहले दक्षिण भारत में भीड़ ने कुछ लोगों को इस शक में पीट-पीटकर मार डाला था कि वे बच्चों को अगवा करने वाले गैंग के सदस्य हैं। समाज में इस तरह का डर फेसबुक और व्हट्सऐप की फर्जी पोस्टों की वजह से फैला था। इसलिए जरूरी है कि सोशल साइट पर किसी भी पोस्ट पर भरोसा करने और आगे बढ़ाने से पहले उसकी असलियत जांच लें वरना बहुत मुमकिन है किसी मासूम के खून से हमारे हाथ सन जाएं, अनजाने ही सही।
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