पशुपालकों को हरे चारे की सबसे ज्यादा परेशानी होती है, बरसीम, मक्का, ज्वार जैसी फसलों से तीन-चार महीनों तक ही हरा चारा मिलता है। ऐसे में पशुपालकों को एक बार नेपियर घास लगाने पर चार-पांच साल तक हरा चारा मिल सकता है।
सीतापुर जिले के बिसवां ब्लॉक के शुक्लापुर गाँव के किसान भगतराम ने नेपियर के कुछ पौधे लगाए थे। उसी एक पौधे से कई सारे पौधे तैयार हो गए हैं। अब उन्हें साल भर हरे चारे के लिए परेशान नही होना पड़ता है। किसानों के बीच ये तेजी से लोकप्रिय हो रहा है।
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कृषि विज्ञान केन्द्र, सीतापुर किसानों को साल भर हरा चारा उपलब्ध कराने के लिए नेपियर देता है। यहां से तीन हजार से भी ज्यादा किसान नेपियर ले गए हैं। कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ दया श्रीवास्तव बताते हैं, ”नेपियर पशुपालकों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रहा है। इसकी खास बात ये होती है, इस साल में कभी भी लगा सकते हैं। एक पौधा लगाने पर उसी से सैकड़ों पौधे तैयार किया जा सकता है।”
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बिसवां ब्लॉक के ही बखरिया गाँव के अब्दुल हादी और मरसंडा गाँव के प्यारे लाल भी नेपियर को हरे चारे के रुप में इस्तेमाल कर रहे हैं। इसे मेड़ पर लगाकर खेत में दूसरी फसलें लगा सकते हैं। पचास दिनों में फसल पूरी तरह से तैयार हो जाती है। इसमें ज्यादा सिंचाई की जरुरत भी नहीं पड़ती है। गन्ने की तरह दिखने वाला नेपियर घास लगाने के महज 50 दिनों में विकसित होकर अगले चार से पांच साल तक लगातार दुधारू पशुओं के लिए पौष्टिक आहार की जरूरत को पूरा कर सकता है।
पशुपालन विभाग के उप निदेशक वीके सिंह नेपियर घास के बारे में बताते हैं, “प्रोटीन और विटामिन से भरपूर नेपियर घास पशुओं के लिए एक उत्तम आहार की जरूरत को पूरा करता है। दुधारू पशुओं को लगातार यह घास खिलाने से दूध उत्पादन में भी वृद्धि होती है और साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।”
हाइब्रिड नेपियर की जड़ को तीन-तीन फीट की दूरी पर रोपित किया जाता है। इससे पहले खेत की जुताई और समतलीकरण करने के बाद घास की रोपाई की जाती है और रोपाई के बाद बाद सिंचाई की जाती है। घास रोपण के मात्र 50 दिनों बाद यह हरे चारे के रूप में विकसित हो जाता है। एक बार घास के विकसित होने के बाद चार से पांच साल तक कटाई कर इसका इस्तेमाल पशुओं के आहार के रूप में किया जा सकता है।
नेपियर घास का उत्पादन प्रति एकड़ लगभग 300 से 400 क्विंटल होता है। इस घास की खासियत यह होती है कि इसे कहीं भी लगाया जा सकता है। एक बार घास की कटाई करने के बाद उसकी शाखाएं पुनः फैलने लगती हैं और 40 दिन में वह दोबारा पशुओं के खिलाने लायक हो जाता है। प्रत्येक कटाई के बाद घास की जड़ों के आस-पास हल्का यूरिया का छिड़काव करने से इसमें तेजी से बढ़ोत्तरी भी होती है। वैसे इसके बेहतर उत्पादन के जिए गोबर की खाद का छिड़काव भी किया जाना चाहिए।
खेत की तैयारी और समय: नेपियर घास की रोपाई साल भर की जा सकती है। रोपाई के लिए खेत की जुताई करके खेत को समतल कर लेना चाहिए।
रोपाई का तरीका: बीज की बीज की मात्रा प्रति एकड़ 50 सेमी लम्बी जड़ों की दो-तीन गांठों वाले 11,000 टुकड़ों या पौध की प्रति एकड़ जरूरत पड़ती है। टुकड़े का आधा हिस्सा जमीन के ऊपर हवा में और बाकी जमीन के अन्दर रहना चाहिए।
सिंचाई: गर्मियों में 10-15 दिन के अन्तराल पर व अन्य मौसम में वर्षा के अनुसार सिंचाई करनी चाहिए।
कटाईयों की संख्या: पहली कटाई रोपाई के दो महीने बाद व उसके बाद 45 दिन बाद करनी चाहिए। सर्दियों में इसकी कम पैदावार मिलती है।