किसानों के कर्ज को माफ करने की यूपी भाजपा की मांग को आरबीआई ने ठुकराया
Rishi Mishra 27 Dec 2016 9:24 PM GMT
लखनऊ। उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी की ओर से वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को पत्र लिखकर मांग की गई थी कि किसानों का कर्ज माफ कर दिया जाए। मगर बैंकों ने इससे इंकार कर दिया। बैंकों का स्पष्ट कहना है कि अगर वे कुछ किसानों का कर्ज माफ कर देंगे तो उनके नये कर्जदार भी किस्तें अदा करना बंद कर देंगे।
लखनऊ में 2 जनवरी को रैली
विमुद्रीकरण के दौरान प्रतिबंधों की आखिरी तारीख बीतने के बाद लखनऊ में बड़ा सियासी कश्मकश का आगाज होगा। दो जनवरी को लखनऊ के सबसे बड़े रैली स्थल "रमाबाई अंबेडकर रैली स्थल" में होने वाली रैली में प्रधानमंत्री मोदी किसानों से संवाद करेंगे। जिसमें अधिक से अधिक किसानों को जुटाने की तैयारी भारतीय जनता पार्टी कोशिश कर रही है।
32 लाख किसानों की कर्ज माफी की उम्मीद
प्रधानमंत्री से विमुद्रीकरण के लाभ के तौर पर कर्ज माफी की उम्मीद किसान कर रहे हैं। विमुद्रीकरण के दौरान जमा हुए काला धन और इसके अलावा काला धन की घोषणाओं के तहत आये धन का उपयोग कर्ज माफी में किया जाएगा, ये आस लगाई जा रही है। देश में इस वक्त करीब 32 लाख किसान कर्जदार हैं। जिसमें सबसे बुरा हाल महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, पंजाब और उत्तर प्रदेश में है। यूपी और एमपी का बुंदेलखंड हिस्सा सबसे अधिक प्रभावित बताया जा रहा है। इस संबंध में विपक्षी दलों ने भी सरकार से कर्ज माफी को लेकर गुहार लगाई है। कांग्रेस की ओर से उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी पीएम मोदी से मिल चुके हैं। इसके अलावा अन्य विपक्षी दल भी उनके सुर में मिलाते रहे हैं।
भाजपा की ओर से हुई कोशिश, मगर नतीजा सिफर
इस संबंध में यूपी भाजपा की ओर से केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को पत्र लिखा जा चुका है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी हरीश चंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि हमारी ओर से भेजे गए पत्रों का जो जवाब मिला है, उसमें ये स्पष्ट कर दिया गया है कि बैंक कर्ज माफ करने को लेकर तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि अगर पुराने कर्जदारों का ऋण माफ कर दिया जाएगा तो नये कर्जदार भी किस्तों को भुगतान बंद कर देंगे, उनके मन में ये आस जाग जाएगी कि उनको भी भविष्य में लोन वेव ऑफ मिल जाएगा। इसलिए किसानों की कर्जमाफी बैंकों की नजर में संभव नहीं है।
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