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भारत का गन्ना बदल रहा पाकिस्तानी किसानों की किस्मत

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पाकिस्तान के गन्ना किसान और वहां का चीनी उद्योग आजकल खुशहाल है। उनकी इस प्रगति में भारत का योगदान है, जिसकी चर्चा वहां के मीडिया में हो रही है।

कुछ साल पहले भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ ने गन्ना बुवाई की रिंग-पिट मेथड यानि गोलाकर गड्डा बुवाई विधि विकसित की थी। इस विधि से गन्ना बोने से जहां किसानों को लागत कम आती है वहीं इससे गन्ने की जो फसल तैयार होती है वह बहुत ही अच्छी होती है। जिससे चीनी और गुड़ भी उच्च क्वालिटी का मिलता है।

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भारत में ईजाद की गई इस विधि को पाकिस्तान के स्वीट गोल्ड रिंग-पिट फर्म नामक गन्ना पर शोध करने वाली कंपनी ने पाकिस्तान में इस विधि से गन्ना बुवाई को लेकर गन्ना किसानों का जागरूक करना शुरू किया। जिसका नतीजा है कि आज पाकिस्तान के सबसे बड़े गन्ना और चीनी उत्पादक राज्य पंजाब में रिंग-पिट मेथड से बुवाई करके किसान गन्ने की अच्छी पैदवार ले रहे हैं।

इस मेथड से गन्ना की बुवाई करने पर पानी जरूरत भी कम होती है। जिसके कारण यह विधि और भी किसानों को पसंद आ रही है।

इरफान उल्लाह खान

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पाकिस्तान की पहली गन्ना गन्ना अनुसंधान और विकास कंपनी स्वीट गोल्ड रिंग-पिट फर्म की साल 2011 में स्थापना करने वाले इरफान उल्लाह खान ने बताया ‘’भातर और पाकिस्तान की जलवायु समान होने के बाद भी पाकिस्तान में औसत गन्ने का उत्पादन 45 से 50 टन प्रति हेक्टेयर ही हो पाता था जबकि भारत में 66 टन प्रति हेक्टेयर से ज्यादा गन्ना पैदा करता था। ऐसे में भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान लखनऊ की विकसित विधि रिंग-पिट मेथड को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के जिला मुजाफा गढ़ के सुदूर ग्रामीण क्षेत्र 5 हजार गडडे बनाकर रिंग-पिट मेथड से गन्ना की बुवाई की गई।’’

इरफान उल्लाह खान ने बताया कि भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ के विजन 2030 का महत्वपूर्ण भाग रिंग-पिट मेथड का पाकिस्तान में गन्ने की खेती में अपनाकर गन्ने की पैदावार बढ़ाई जा रही है। साथ ही किसानों के बीच इसका प्रचार करने के लिए हम नार भी रहे हैं ‘’लेट्स ग्रो स्वीट गोल्ड इन पाकिस्तान’’ पाकिस्तान के पंजाब, सिंध और नार्थ-वेस्ट फ्रंटियर प्रोविंश जैसे प्रदेशों में इस विधि से गन्ने की खेती करके किसान समृद्ध हो रहे हैं। विश्व में सबसे ज्यादा गन्ने का उत्पादन ब्राजील में होता है। भारत का स्थान दूसर है वहीं पाकिस्तान का पांचवा है।

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