भारत में वायु प्रदूषण से मरने वालो की संख्या में बढ़ोत्तरी
Shweta Tiwari | Apr 15, 2017, 19:29 IST
न्यूयॉर्क (आईएएनएस)। ज्यादा वायु प्रदूषण में काफी देर तक रहने से दिल के रोगों का खतरा बढ़ जाता है। यह उच्च घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एचडीएल) के स्तर में कमी आने की वजह से होता है। एचडीएल को आमतौर पर अच्छे कोलेस्ट्रॉल के रूप में जाना जाता है। यातायात से जुड़े प्रदूषण की वजह से अच्छे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा में कमी आती है। इस शोध से जुड़े निष्कर्षों का प्रकाशन पत्रिका 'आर्टिरियोस्के लोरोसिस, थ्रोमबोसिस और वास्कुलर बॉयोलाजी' में किया गया है।
सिएटल में वाशिंगटन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के प्रमुख लेखक ग्रिफिथ बेल ने कहा, "उच्च वायु प्रदूषण वाले क्षेत्रों में एचडीएल के कम स्तर को देखा गया। इसे व्यक्तियों में दिल की बीमारियों के बढ़ते खतरे के तौर पर रेखांकित किया गया।" यह शोध अमेरिका के 6,654 मध्य आयु वर्ग वाले और बुजुर्गो पर किया गया। ये प्रतिभागी उच्चस्तर के यातायात वायु प्रदूषण वाले इलाके में रहते थे। इसमें एचडीएल का स्तर कम पाया गया।
शोधकर्ताओं ने कहा कि उच्च पर्टिकुलेट मैटर वाले इलाके में तीन महीने तक रहने वालों में एचडीएल स्तर कम पाया गया। पुरुष और महिलाओं में वायु प्रदूषकों का असर अलग-अलग तरीके से होता है। उच्च प्रदूषण वाले क्षेत्र में दोनों के लिए (पुरुष व महिला) एचडीएल का स्तर कम रहा, लेकिन इसका असर महिलाओं में ज्यादा रहा।
सिएटल में वाशिंगटन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के प्रमुख लेखक ग्रिफिथ बेल ने कहा, "उच्च वायु प्रदूषण वाले क्षेत्रों में एचडीएल के कम स्तर को देखा गया। इसे व्यक्तियों में दिल की बीमारियों के बढ़ते खतरे के तौर पर रेखांकित किया गया।" यह शोध अमेरिका के 6,654 मध्य आयु वर्ग वाले और बुजुर्गो पर किया गया। ये प्रतिभागी उच्चस्तर के यातायात वायु प्रदूषण वाले इलाके में रहते थे। इसमें एचडीएल का स्तर कम पाया गया।
शोधकर्ताओं ने कहा कि उच्च पर्टिकुलेट मैटर वाले इलाके में तीन महीने तक रहने वालों में एचडीएल स्तर कम पाया गया। पुरुष और महिलाओं में वायु प्रदूषकों का असर अलग-अलग तरीके से होता है। उच्च प्रदूषण वाले क्षेत्र में दोनों के लिए (पुरुष व महिला) एचडीएल का स्तर कम रहा, लेकिन इसका असर महिलाओं में ज्यादा रहा।