‘पेटीएम’ शताब्दी या ‘पेप्सी’ राजधानी, कुछ इस तरह बदल जाएंगे ट्रेनों के नाम!

Shefali SrivastavaShefali Srivastava   9 Jan 2017 8:19 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
‘पेटीएम’ शताब्दी या ‘पेप्सी’ राजधानी, कुछ इस तरह बदल जाएंगे ट्रेनों के नाम!अब ट्रेनों के नाम ब्रांड के नाम के साथ हो सकते हैं। जैसे पेप्सी राजधानी या फिर पेटीएम शताब्दी।

लखनऊ। भारतीय रेलवे जल्द ही ट्रेनों का किराया बढ़ाए बिना राजस्व जुटाने के लिए एक नया प्रस्ताव लाने जा रही है। इसके मुताबिक अब ट्रेनों के नाम ब्रांड के नाम के साथ हो सकते हैं। जैसे पेप्सी राजधानी या फिर पेटीएम शताब्दी।

सुनकर थोड़ा अजीब ज़रूर लग रहा होगा लेकिन प्रस्ताव पास हुआ तो जल्द ही कुछ इस तरह के नामों की ट्रेन आपको ट्रैक पर दौड़ती मिलेंगी। न सिर्फ ट्रेनों के नाम प्राइवेट कंपनियों के नाम के साथ जोड़े जा रहे हैं बल्कि स्टेशन के नामों को भी कुछ इसी तरह बदलने की योजना है। माना जा रहा है कि रेलवे मंगलवार को इस योजना की घोषणा कर सकता है।

समता एक्सप्रेस के साथ वाइजाग स्टील का नाम जोड़ा जा चुका है

इससे पहले रेलवे विशाखापट्टणम ट्रेन में राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड औऱ समता एक्सप्रेस में वाइजाग स्टील का नाम जोड़कर चला रहा है। इसकी सफलता से उत्साहित होकर रेलवे ने यह योजना बनाई है।

प्रस्ताव के मुताबिक, कोई भी कंपनी किसी भी ट्रेन के पूरे मीडिया अधिकार खरीद सकेगी। इसके बाद कंपनी या ब्रांड ट्रेन की बोगियों के भीतर या बाहर अपना प्रचार कर सकेगी। ट्रेन में मिलने वाले फूड आइटम में भी इसका प्रयोग कर सकेगी।

बिना किराया बढ़ाए राजस्व बढ़ाने का लक्ष्य

एक न्यूज वेबसाइट के मुताबिक, शुरुआत में इस तरह के विज्ञापन के लिए फिलहाल राजधानी और शताब्दी ट्रेनें को चुना गया है। इसे बाद में अन्य ट्रेनों पर भी लागू करने की योजना है। इस योजना के साथ रेलवे का ‘नॉन फेयर रेवेन्यू’ यानी बिना किराया बढ़ाए राजस्व 2000 करोड़ बढ़ाने का लक्ष्य है।

दिल्ली मेट्रो में दिखते हैं विज्ञापन

इस तरह का प्रयोग दिल्ली मेट्रो में किया जा रहा है। दिल्ली मेट्रो में कई बार प्राइवेट सरकारी विज्ञापनों को देखा जा सकता है।

हालांकि ट्रेन में रिजर्वेशन कराते वक्त अपने असली नाम से ही ट्रेन दिखेगी।

     

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.