जल्लीकट्टू पर तमिलनाडु के नए कानून को पशु अधिकार समूहों ने न्यायालय में चुनौती दी    

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
जल्लीकट्टू पर तमिलनाडु के नए कानून को पशु अधिकार समूहों ने न्यायालय में चुनौती दी     गाँव कनेक्शन, जल्लीकट्टू

नई दिल्ली (भाषा)। तमिलनाडु में सांडों को काबू करनेे वाले खेल जल्लीकट्टू के आयोजन को अनुमति देने वाले प्रदेश विधानसभा द्वारा पारित नए कानून को चुनौती देेने वाली भारतीय पशु कल्याण बोर्ड तथा अन्य पशु अधिकार समूूहों की याचिका पर उच्चतम न्यायालय सोमवार का सुनवाई करेेगा।

न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ से इन याचिकाओं पर जल्दी सुनवाई करनेे का अनुरोध किया गया था। पीठ ने वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी और आनंद ग्रोवर से कहा कि वे अपने आवेदन दायर करें। छह जनवरी, 2016 को जारी अधिसूचना वापस लेेने संबंधी केंद्र की याचिका सहित न्यायालय 30 जनवरी को इन आवेदनों पर भी सुुनवाई करेेगा। पशु अधिकार समूहों नेे अपने आवेदन में कहा है कि जल्लीकट्टू के आयोजन कोे अनुमति देेनेे के लिए तमिलनाडु विधानसभा में पारित नया कानून उच्चतम न्यायालय के पुराने आदेश को निष्प्रभावी करने का प्रयास है।

अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया था कि केंद्र ने तमिलनाडु में जल्लीकट्टू के आयोेजन का अनुमति देने वाली छह जनवरी, 2016 की अधिसूचना को वापस लेेने का फैसला लिया है। अधिसूचना को चुनौती देेने वाली विभिन्न याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रखतेे हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा कि यह संबंधित पीठ तय करेगी कि केंद्र का आवेदन उसके समक्ष विचार केे लिए कब आएगा। मुुख्यमंत्री ओ. पनीरसेल्वम की ओर से 23 जनवरी कोे लाए गए पशु क्रूरता रोकथाम (तमिलनाडु संशोेधन) अधिनियम, 2017 विधेेयक को कुछ देर बहस के बाद सर्वसम्मति सेे पारित कर दिया गया।

उच्चतम न्यायालय के पास करीब 70 केविएट याचिकाएं आई, जिनमेंं मांग की गई कि राज्य में जल्लीकट्टू के आयोजन की अनुमति देेने वाले नए कानून को चुनौती देने संबंधी याचिकाओं पर जल्दी सुनवायी की जाए। अन्नाद्रमुक सरकार इस संबंध मेंं कोई भी फैसला आने सेे पहलेे, इसपर त्वरित सुनवायी की मांग को न्यायालय पहुंची थी जिसके एक दिन बाद बडी संख्या मेंं केविएट याचिकाएं दायर की गई।

    

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.