नोट बंदी से मयखाने में आजकल कम छलकाते हैं पैमाने, आबकारी विभाग की कमाई 40 फीसदी घटी
Sanjay Srivastava 14 Nov 2016 4:40 PM GMT

कानपुर (भाषा)। 1000-500 रुपए के नोट क्या बंद हुए शौकीन लोगों ने शराब की दुकानों से मुंह ही मोड़ लिया। सूरज ढलने के बाद शराब की दुकानों पर नशे के शौकीन लोगों की भीड़ व लाइनें दिखनी कम हो गई है। अब दुकानों पर इक्का दुक्का ग्राहक ही आ रहा है। जिले का आबकारी विभाग भी परेशान है क्योंकि उसके राजस्व में भी भारी गिरावट हो रही है।
वैसे आठ नवंबर की रात को जब प्रधानमंत्री ने पुराने नोटों पर प्रतिबंध लगाया था तब रात साढ़े आठ बजे से रात 11 बजे तक लोगों ने पुराने नोटों से काफी मात्रा में शराब खरीदी थी लेकिन जो लोग चूक गए थे वह अब पैसे न होने की वजह से शराब की दुकानों पर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।
नौ नवंबर से शराब की बिक्री में करीब चालीस फीसदी की कमी है। आम दिनों में कानपुर शहर में रोज करीब 21 हजार बोतल अंग्रेजी शराब, 40 हजार बोतल बियर तथा करीब 35 हजार लीटर देशी शराब की बिक्री होती थी। इस तरह हम प्रति महीने औसतन करीब सात लाख बोतल अंग्रेजी शराब, करीब 12 लाख बोतल बियर और करीब 15 लाख लीटर देशी शराब की बिक्री करते थे। यह आंकडे किसी महीने कम हो जाते थे तो किसी त्योहार या शादी आदि के सीजन में बढ़ जाते थे।देवराज सिंह जिला आबकारी अधिकारी
उन्होंने बताया कि जबसे पुराने नोटों पर रोक लगी है तब से शराब की दुकानों पर सन्नाटा छाया हुआ है और शराब की बिक्री में करीब 40 प्रतिशत कमी आई है। जब शराब की बिक्री कम होगी तो सरकार को राजस्व भी कम मिलेगा, क्योंकि नए नोट से अभी शराब खरीदने वालों की संख्या बहुत ही कम है और पुराने नोट न लेने के निर्देश सभी शराब की दुकानों पर दे दिए गए हैं।
आबकारी विभाग को भारी राजस्व की काफी हानि
आबकारी अधिकारी देवराज सिंह के मुताबिक शराब की बिक्री सामान्य होने में अभी करीब एक महीने का समय लगेगा क्योंकि जब लोगों के पास नए नोट ही नहीं होंगे तो लोग शराब कहां से खरीदेंगे। वह कहते है कि इससे आबकारी विभाग को राजस्व की काफी हानि सहनी पड़ेगी।
शराब के डीलर धर्मेन्द्र जायसवाल के अनुसार आजकल शादियों का सीजन है और इस सीजन में लोग शराब ज्यादा खरीदते थे लेकिन इस नए नोट के चक्कर में शराब का कोई बड़ा आर्डर ही नहीं मिल रहा है, जहां लोग शादी में 20 से 25 बोतल शराब ले जाते थे वहां अब दो से तीन बोतल में ही काम चला रहे हैं। इससे शराब व्यापारियों को तो भारी नुकसान हो ही रहा है क्योंकि उन्होंने शादियों के सीजन को ध्यान में रखते हुए भारी मात्रा में शराब का स्टाक दुकानों में लगा लिया था लेकिन अब बिक्री बहुत ही कम हो गयी है। वह कहते है कि जब बिक्री ही नहीं होगी तो सरकार को राजस्व कहां से मिलेगा।
एक शराब प्रेमी के अनुसार इस समय सारा ध्यान पुराने नोटों को बदलवाने में लगा हुआ है और जो चार हजार रुपए मिल रहे हैं उनसे घर का खर्च चलाना ही मुश्किल हो रहा है तो फिर अपना शौक पूरा करने के लिए शराब कहां से पिएं।
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