कानपुर रेल हादसा: एक जोरदार धमाका और सन्नाटा चीखों में बदल गया
गाँव कनेक्शन 20 Nov 2016 10:21 PM GMT
रिपोर्ट: सचिन गुप्ता
लखनऊ। रात करीब तीन बजे आने वाले काल से बेखबर लोग इन्दौर से पटना जाने वाली ट्रेन में सो रहे थे। तभी कुछ ऐसा हुआ जिसकी उम्मीद शायद किसी को भी नही थी। आस-पास के लोगों के मुताबिक, एक जोरदार आवाज आई और दूसरे ही पल रात का वो सन्नाटा लोगों की चीखों में बदल गया। सोते लोगों को क्या पता था कि दस मिनट बाद उनकी सुबह दिल दहला देने वाले हादसे से होगी।
डरा और सहमा संदीप जब लखनऊ पहुंचा
इन्दौर से पटना जाने वाली ट्रेन के वे डिब्बे जो हादसे का शिकार होने से बच गये थे, शाम करीब तीन बजे चारबाग रेलवे स्टेशन पर पहुंचे तो हमारे संवाददाता के सामने लोगों का दर्द छलक पड़ा। एस 5 का वो डिब्बा, जिसके आगे के दो डिब्बों के परखच्चे उड़ चुके थे। "लोग इतने डरे हुए थे, मानो कोई विस्फोट सा हुआ हो। जिस समय हादसा हुआ, हम सो रहे थे। अचानक ऐसा लगा मानो हम पर कोई पहाड़ टूट पड़ा हो। पूरी बोगी में अंधेरा हो चुका था लोगों की सिर्फ चीखें सुनाई दे रही थी। कोई अपने बच्चे को पुकार रहा था तो कोई अपनी मां को अंधेरे में ढूंढ रहा था। एक पल को ऐसा लगा कि अब सांसे थम जायेंगी।" डरा और सहमा हुआ संदीप बार-बार यही कहे जा रहा था।
एक पल को लगा, सबकुछ खत्म हो जाएगा
जिस समय हादसा हुआ उस वक्त मदद के लिये न तो कोई चीखें सुनने वाला था, न ही कोई बचाने वाला। अपनी बहन की शादी के लिये जा रहीं अनीता सिंह ने बताया कि "मेरे बच्चे आवाज सुनकर रोने लगे। उस अफरा-तफरी के बीच हम समझ नही नही पाये कि क्या करें। हमारा डिब्बा पटरी से उतरकर खेत में चला गया था। एक पल को लगा कि अब सबकुछ खत्म हो जायेगा। आठ वर्ष का बच्चा जो हकलाते हुये सिर्फ अपना बता पा रहा था बस रोये जा रहा था। ट्रेन पटरी से कैसे उतरी, वो हादसा कैसे हुआ, इस बारे में सभी अन्जान थे। लोगों के चहरों पर सिर्फ दर्द और उस हादसे का खौफ था। कुछ लोगों के लिये उनकी जिन्दगी का ये पहला हादसा था।
More Stories