Gaon Connection Logo

जानिए कौन हैं गीता गोपीनाथ, जिन्हें आईएमएफ की पहली महिला चीफ़ इकॉनमिस्ट बनाया गया है

भारत के मैसूर में जन्मीं गीता ने अपनी पढ़ाई की शुरुआत दिल्ली यूनिवर्सिटी से की थी। एक लंबा सफ़र करके वो आईएमएफ के चीफ़ इकॉनमिस्ट के पद तक पहुंची हैं।
#IMF Chief Gita Gopinath

अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष यानी आईएमएफ ने भारत में जन्मीं अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ को अपना चीफ़ इकॉनमिस्ट बना लिया है। ख़ास बात यह है कि अब तक आईएमएफ के इस पद पर कोई भी महिला नहीं रही थी। भारत की गीता गोपीनाथ यह पदभार संभालने वाली पहली महिला हैं। गीता ने मौरिस आप्स्टफेल्ड की जगह ली है, जो 31 दिसंबर को रिटायर हुए थे। आईएमएफ की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टीन लेगार्ड ने कहा कि गीता दुनिया की बेहतरीन अर्थशास्त्रियों में से एक हैं। उनके पास ज़बरदस्त शैक्षणिक योग्यता के साथ-साथ व्यापक अंतर्राष्ट्रीय अनुभव भी है।

साल 2014 में, आईएमएफ ने गीता को शीर्ष 25 अर्थशास्त्रियों में से एक का नाम दिया गया था। 2017 में गीता को वाशिंगटन विश्वविद्यालय से विशिष्ट पूर्व छात्र पुरस्कार मिला था, वहीं साल 2018 में अमेरिकन एकेडमी ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेज में फैलो चुना गया था।

कौन हैं गीता गोपीनाथ?

गीता गोपीनाथ हार्वर्ड विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र की प्रोफ़ेसर थीं। आईएमएफ में इकॉनमिस्ट चीफ़ तक का उनका सफ़र काफ़ी लंबा और हैरान करने वाला रहा है, जिसकी शुरुआत कर्नाटक के मैसूर शहर में हुई जहां गीता का जन्म हुआ। गीता ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के लेडी श्रीराम कॉलेस से बीए किया, फिर दिल्ली स्कूल ऑफ़ इकॉनमिस्ट से एमए की डिग्री हासिल की। यहां से एमए करने के बाद उन्होंने एक बार फिर यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन से भी एमए की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पीएचडी की और उसी साल शिकागो यूनिवर्सिटी से बतौर प्रोफेसर अपना करियर शुरू किया। साल 2005 से वे हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ा रही थीं।

गीता को साल 2016 में केरल के मुख्यमंत्री की आर्थिक सलाहकार बनाया गया था और उन्हें मुख्य सचिव का रैंक दिया गया है। इसके अलावा, गीता वित्त मंत्रालय की जी 20 से जुड़ी सलाहकार समिति में भी रही हैं।  


ये भी पढ़ें: मिलिए उस महिला से जिनकी बिल क्लिंटन से लेकर पीएम मोदी तक कर चुके हैं तारीफ

More Posts

मलेशिया में प्रवासी भारतीय सम्मेलन में किसानों की भागीदारी का क्या मायने हैं?  

प्रवासी भारतीयों के संगठन ‘गोपियो’ (ग्लोबल आर्गेनाइजेशन ऑफ़ पीपल ऑफ़ इंडियन ओरिजिन) के मंच पर जहाँ देश के आर्थिक विकास...

छत्तीसगढ़: बदलने लगी नक्सली इलाकों की तस्वीर, खाली पड़े बीएसएफ कैंप में चलने लगे हैं हॉस्टल और स्कूल

कभी नक्सलवाद के लिए बदनाम छत्तीसगढ़ में इन दिनों आदिवासी बच्चों को बेहतर शिक्षा मिलने लगी है; क्योंकि अब उन्हें...