लखनऊ (उत्तर प्रदेश)। बसपा की मुखिया मायावती ने मूर्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा दाखिल किया है, जिसमें मायावती ने हाथी की प्रतिमाओं सही बताया है और कहा है कि मूर्तियां लोगों की इच्छा का प्रतिनिधित्व करती है।
मायावती ने कहा, राज्य की विधानसभा की इच्छा का उल्लंघन कैसे करूं? इन प्रतिमाओं के माध्यम से विधानमंडल ने दलित नेता के प्रति आदर व्यक्त किया है।” उन्होंने यह भी कहा, “यह पैसा शिक्षा पर खर्च किया जाना चाहिए या अस्पताल पर यह एक बहस का सवाल है और इसे अदालत द्वारा तय नहीं किया जा सकता है।”
यह भी पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट ने दिया मायावती को झटका, कहा मूर्तियों पर खर्च किया जनता का पैसा लौटाना चाहिए
BSP chief Mayawati files affidavit before the Supreme Court justifying expenses in installation of her statues and elephant statues in Uttar Pradesh. In her affidavit she has stated, ‘it was the will of the people’. (file pic) pic.twitter.com/eFAhTdwsqw
— ANI (@ANI) April 2, 2019
मायावती का कहना हैं कि लोगों को प्रेरणा दिलाने के लिए इन स्मारक को बनाया गया था। यह बसपा के पार्टी प्रतीक का प्रतिनिधित्व नहीं करते है। हलफनामे में मायावती ने यह भी कहा हैं कि, दलित नेताओं द्वारा बनाई गई मूर्तियों पर ही सवाल क्यों? वहीं बीजेपी और कांग्रेस जैसी पार्टियों द्वारा जनता के पैसे इस्तेमाल करने पर सवाल क्यों नहीं? मायावती ने इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सरदार पटेल, शिवाजी, एनटी राम राव और जयललिता आदि की मूर्तियों का भी हवाला दिया।
सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर आज सुनवाई कर सकता है। लखनऊ और नोएडा में लगाई गई हाथी की मूर्तियों के मामले में सु्प्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में कहा था कि, मायावती को मूर्तियों पर खर्च पैसे को सरकारी खजाने में वापस जमा कराना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि “प्रथम दृष्टया बीएसपी नेता मायावती को अपनी प्रतिमाओं और पत्थर के हाथियों पर खर्च किए गए सभी सार्वजनिक धन का भुगतान करना चाहिए।
यह था पूरा मामला-
वर्ष 2007 से 2011 के बीच उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने लखनऊ और नोएडा में दो पार्क बनवाए थे। इन पार्कों में मायावती ने अपनी, संविधान के संस्थापक भीमराव अंबेडकर, बसपा के संस्थापक कांशीराम और पार्टी के चिह्न हाथी की कई मूर्तियां बनवाई थीं। हाथी की पत्थर की 30 मूर्तियां और कांसे की 22 मूर्तियां लगवाई गईं थीं। इस पर 685 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। मूर्तियों की इस परियोजना की कुल लागत 1,400 करोड़ रुपए से ज्यादा थी। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस पर सरकारी खजाने को 111 करोड़ रुपए का नुकसान होने का मामला दर्ज किया था।