मुम्बई। रिजर्व बैंक ने आज कहा कि बैंकों के बचत खाते से साप्ताहिक निकासी की सीमा 20 फरवरी से बढ़ाकर 50,000 रुपए कर दी जाएगी और उसके बाद 13 मार्च से कोई सीमा नहीं होगी। रिजर्व बैंक ने कहा कि 27 जनवरी को कुल मिलाकर 9.92 लाख करो़ड़ रुपए के नए नोट चलन में आ चुके थे।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने नोटबंदी के बाद बचत बैंक खाते से निकासी की सीमा 20 फरवरी से 50,000 रुपए कर दी है। आरबीआई ने बुधवार को कहा कि खाते से रकम निकासी पर लगी सभी प्रकार की सीमा 13 मार्च से समाप्त कर दी जाएगी।
आरबीआई के उप गवर्नर आर. गांधी ने केंद्रीय बैंक द्वारा द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा के बाद यह जानकारी दी। इसमें आरबीआई ने प्रमुख ब्याज दर को 6.25 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा है और कहा है कि वह नोटबंदी के असर का पूरी तरह खत्म होने का इंतजार कर रहा है, जिसे सरकार ने 8 नवंबर को लागू किया था।
आरबीआई ने 30 जनवरी को चालू खाता, कैश क्रेडिट एकाउंट और ओवरड्राफ्ट एकाउंट से निकासी पर लगी सभी किस्म की सीमा को खत्म कर दिया था।
आरबीआई ने 8 नवंबर को 1000 और 500 रुपए के नोटों पर प्रतिबंध के बाद खातों से निकासी पर सीमा लगाई थी। उस वक्त एटीएम से निकासी की अधिकतम सीमा 2,500 रुपए थी, जिसे बाद में बढ़ाकर 4,500 रुपए कर दिया गया था।
जनवरी ने आरबीआई ने एटीएम से निकासी की सीमा को बढ़ाकर 10,000 रुपए और करेंट एकाउंट से निकासी की सीमा को बढ़ाकर 1 लाख रुपए कर दिया था।
अब 13 मार्च से एटीएम से निकासी पर किसी प्रकार की सीमा नहीं होगी, जबकि नोटबंदी से पहले भी यही स्थिति थी। देखना यह है कि आरबीआई इसके बाद नागरिकों की नकदी की मांग को पूरा कर पाता है या नहीं।
इससे पहले राज्यसभा में बैंकों और एटीएम से नकद निकासी की सीमा पूरी तरह समाप्त करने की मांग करते हुए तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य सुखेंदु शेखर रॉय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्थिति सामान्य बनाने के लिए केवल 50 दिन मांगे थे। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर रॉय ने यह मुद्दा उठाया और प्रधानमंत्री मोदी के राष्ट्र के नाम संदेश का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने स्थिति सामान्य बनाने के लिए 50 दिनों का समय मांगा था। मोदी ने 500 और 1000 रुपए के नोटों को अमान्य घोषित करने के बाद राष्ट्र को संबोधित करते हुए उक्त बातें कही थी।
रॉय ने कहा, “नोटबंदी के बाद से आज (बुधवार) 90 दिन हो चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 50 दिन मांगे थे। उन्होंने यहां तक कहा था कि अगर वह विफल होते हैं तो उन्हें चौराहे पर ले जाकर दंडित किया जा सकता है।”
उन्होंने आगे कहा, “हम नहीं चाहते हैं कि उन्हें चौराहे ले जाया जाए, लेकिन लोगों को अब बिना किसी प्रतिबंध के बैंकों से उनके पैसे निकालने की इजाजत मिलनी चाहिए।”
मोदी सरकार ने गत साल आठ नवम्बर को 500 और 1000 रुपए मूल्य के नोटों को अमान्य घोषित कर दिया था और तब से बैंकों और एटीएम से नकदी निकालने की सीमा निर्धारित है।